झज्जर: कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्कता बरत रहा है. जिसका परिणाम भी अब दिखने लगा है. जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के रिकवरी रेट का आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है. इस समय जिले का रिकवरी रेट 77.6 प्रतिशत हो गया है.
डीसी जितेंद्र कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण फैलाव को रोकने के साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य सुधार में जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्कता बरत रहा है. डीसी ने कहा कि झज्जर जिले में स्वास्थ्य विभाग की टीम सहित जिलावासी भी कोरोना से बचाव में उठाए जा रहे कदमों में सहभागी बन रहे हैं.
कोरोना संक्रमित मरीजों का पॉजिटिविटी रेट हुआ 2.9 प्रतिशत
सिविल सर्जन डॉे.संजय दहिया ने स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों का पॉजिटिविटी रेट घटकर 2.9 प्रतिशत तक पहुंच गया है. यानी अब झज्जर जिला में रोजाना सामने आने वाले मरीजों की संख्या पहले की अपेक्षा कम हुई है.
डॉ. दहिया ने बताया कि झज्जर में अब जहां एक ओर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले कम हुई है. वहीं अब इससे ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में भी लगातार सुधार नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लोगों को अधिक से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास कर रहा है.
होम आइसोलेशन में 45.6 प्रतिशत संक्रमित व्यक्ति हुए स्वस्थ
सिविल सर्जन ने बताया कि झज्जर जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में पहले की अपेक्षा जागरूकता बढ़ी है. जिले में कोरोना संक्रमित मरीज अब घर रहकर भी ठीक हो रहे हैं. जिले में 30 जून को जहां होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की प्रतिशत दर 36 प्रतिशत थी. वहीं 20 जुलाई तक यह प्रतिशत दर 45.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि जिले में होम आइसोलेशन को लेकर लोगों का विश्वास पहले के मुकाबले बढ़ा है और लोग होम आइसोलेशन में रहकर भी ठीक हो रहे हैं.
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है ताकि उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को समय रहते दूर किया जा सके. इतना ही नहीं, होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की काउंसलिंग के लिए भी डॉक्टरों की टीम लगाई गई है. ताकि लोगों में कोरोना को लेकर भय की स्थिति को दूर किया जा सके.
डॉ. दहिया ने बताया कि जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए टेस्टिंग क्षमता को भी बढ़ाया गया है. उन्होंने बताया कि सघन टेस्टिंग व ट्रेसिंग अभियान के का ही ये परिणाम है कि जिले में अब मृत्यु दर का आंकड़ा घटकर 1.17 प्रतिशत हो गया है.
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