हिसार: 1 अप्रैल से हरियाणा में गेहूं की खरीद (wheat procurement in haryana) शुरू हो चुकी है. लेकिन गेहूं खरीद प्रक्रिया में किसान बेहद कम ही रुझान ले रहे हैं. एक तो इस बार गेहूं की फसल थोड़ी लेट है और दूसरा इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ रहे खाद्यान्नों के भाव (food grains price in international market) की वजह से किसानों ने फसल को रोक रखा है.
गौरतलब है कि प्रदेश की मंडियों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2015 पर खरीदा जा रहा है. जबकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत 2500 से ₹3000 के बीच में है. हालांकि इस भाव पर अभी स्थानीय मंडियों में कोई खरीददार नहीं है. कुछ किसान मंडी में गेहूं लेकर भी आ रहे हैं, लेकिन पिछले साल के आंकड़ों से तुलना की जाए तो अभी तक हिसार की मंडी में 8582 क्विंटल गेहूं ही आया है. पिछले से इसकी तुलना करें तो साल 2021 में अप्रैल तक 43422 क्विंटल गेहूं मंडी में खरीदा जा चुका था.
आंकड़ों की बात की जाए तो हिसार मंडी में साल 2021 की खरीद के दौरान विभिन्न एजेंसियों के द्वारा 3 लाख 44 हजार 144 रुपये का गेहूं खरीदा गया था. अब गेहूं खरीद शुरू हुए 11 दिन बीत चुके हैं. अभी तक पिछले साल की तुलना में 58 प्रतिशत कम गेहूं की खरीद हो पाई है. ऐसे में सरकारी खरीद पर बेहद व्यापक असर दिखाई दे रहा है, अगर किसान इसी तरह गेहूं की आवक मंडी में बेहद कम रही तो सरकार के लिए गेहूं खरीद करना चुनौती बन जाएगा.
हिसार जिले की 7 मंडियों में गेहूं खरीद के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन
मंडी | सीजन 2022-23 की 10 अप्रैल तक खरीद | सीजन 2021-22 की 10 अप्रैल तक खरीद | पिछले साल और इस साल गेहूं खरीद में अंतर |
हिसार अनाज मंडी | 8082 क्विंटल | 63532 क्विंटल | -87 प्रतिशत |
हांसी अनाज मंडी | 107316 क्विंटल | 192158 क्विंटल | -44 प्रतिशत |
आदमपुर अनाज मंडी | 3067 क्विंटल | 105208 क्विंटल | -97 प्रतिशत |
बरवाला अनाज मंडी | 29623 क्विंटल | 185234 क्विंटल | -84 प्रतिशत |
उकलाना अनाज मंडी | 30723 क्विंटल | 31837 क्विंटल | -3 प्रतिशत |
नारनौंद अनाज मंडी | 113942 क्विंटल | 118537 क्विंटल | -4 प्रतिशत |
बास अनाज मंडी | 14328 क्विंटल | 26099 क्विंटल | -45 प्रतिशत |
टोटल | 307081 क्विंटल | 722605 क्विंटल | -58 प्रतिशत |
हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए ही खरीद पोर्टल के आंकड़ों से पता चल रहा है कि इस बार मंडी में गेहूं पहले से कम आ रहा है. इससे पहले सरसों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹5050 से 1500 रुपये ज्यादा बिकी है. किसानों को ये उम्मीद है कि भाव इससे ज्यादा ऊपर आएगा और इसी वजह से किसान मंडी में लाने की बजाय घर पर भी स्टॉक कर रहे हैं. किसान कुलदीप कुंडू ने बताया कि इस बार गेहूं की पैदावार भी बेहद कम हुई है और दूसरा भाव के कारण किसान मंडी में कम जा रहे हैं, किसानों को पता है कि मार्केट भाव ₹2500 से ज्यादा चल रहा है, तो वो सरकारी रेट 2015 पर कैसे बेचें. इसलिए बड़े किसान ज्यादातर गेहूं को अपने घर में तो कर रहे हैं. उन्हें पता है कि आज नहीं तो 1 महीने बाद ये 2500 से 2700 में बिकेगा.
गेहूं व्यापारी वेद प्रकाश जैन ने बताया कि भाव पर सबसे ज्यादा असर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से हुआ है. बाजार में सभी खदानों के भाव तेज हैं. बाजरे का भाव भी तेज हुआ है. वहीं मक्का 2400 रुपए क्विंटल और जौ ₹2800 क्विंटल तक बिक रहे हैं, अब हालात ये है कि भाव के कारण किसान मंडियों में गेहूं लाने की बजाय स्टॉक कर रहे हैं, ऐसे ही सरसों की बहुत कम आई थी जो कि किसानों द्वारा स्टॉक कर ली गई, मंडी में माल ही नहीं आ रहा तो व्यापारी कैसे स्टॉक करेंगे, किसानों द्वारा ही माल को घर पर डाला जा रहा.
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