हिसार: हरियाणा में पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से एक बार फिर अच्छी बारिश हुई है. सर्दी के सीजन में एक से 23 जनवरी तक प्रदेश में 67.3 एमएम औसत बारिश हो चुकी है. जो सामान्य बारिश से 720 फीसदी ज्यादा है. इस सीजन में हरियाणा में सामान्य तौर पर 8.2 एमएम बारिश ही होती है. अब तक सबसे ज्यादा बारिश यमुनानगर में हुई है. यहां अब तक 158.9mm बरसात हो चुकी है. वहीं पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण सोमवार को भी आसमान में बादल छाने की संभावना है लेकिन बारिश का अनुमान कम है.
बता दें कि पिछले साल अक्टूबर के महीने से ही इस साल जनवरी तक पश्चिमी विक्षोभ से लगातार हर महीने बारिश देखने को मिल रही है. आशंका जताई जा रही है कि फरवरी के महीने में भी बारिश की गतिविधियां देखने को मिल सकती है. जैसे ही बारिश खत्म होती हैं उसके बाद कोहरा, पाला और शीतलहर की स्थिति बनने लगती है.
कब होता है कोल्ड डे: जब रात्रि तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो और दिन का तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस कम हो तब कोल्ड डे घोषित होता है. इसके साथ ही जब दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 7 डिग्री सेल्सियस कम होता है तो यह स्थिति सीवियर कोल्ड डे की होती है.
हरियाणा मौसम विभाग (haryana meteorological department) ने सोमवार से कड़ाके की सर्दी (कोल्ड-डे) को लेकर 25 से 27 तक शीतलहर की चेतावनी जारी की है. वहीं प्रदेश में घना कोहरा छाने का यलो अलर्ट भी जारी किया है. मौसम विभाग का अनुमान है आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है.
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन लाल खीचड़ ने बताया कि सोमवार से बारिश का अनुमान कम है। लेकिन आसमान में दिनभर बादल छाए रह सकते हैं. साथ ही हवा भी उत्तर एवं उत्तर-दक्षिण की ओर से चल सकती है. इससे लोगों को गलन (ठंड) का अहसास होगा. अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट के साथ ही सुबह और देर रात में घना कोहरा छाने की संभावना है.
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वहीं 25 जनवरी को राज्य के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम खुश्क रहेगा जबकि 26 जनवरी से हल्की गति से उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने से रात्रि तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट आएगी. वहीं कृषि को लेकर बात की जाए तो वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बारिश से गेहूं की फसल को छोड़कर अन्य फसलों में नुकसान की ज्यादा संभावना है. ज्यादातर क्षेत्र में सरसों की फसल अब फलियों के साथ तैयार होने की आखिरी पड़ाव पर है. वहीं गेहूं की फसल मैं यह बारिश खाद की तरह काम करेगी और अच्छी पैदावार होने की संभावना है.
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