हिसार: कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल 2020 को वापस ना लेने, जन सेवाओं के विभागों को निजी घरानों को सौंपने, रेगुलराइजेशन की स्थाई नीति न बनाने, जनतांत्रिक अधिकारों पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ सर्व कर्मचारियों और मजदूरों के संयुक्त आह्वान पर विरोध प्रदर्शन किया गया.
इस दौरान तमाम कर्मचारियों और मजदूरों ने कृषि विश्वविद्यालय के गेट नंबर 4 के सामने एकत्रित होकर उपायुक्त कार्यालय तक रोष प्रदर्शन किया और केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन में सबसे पहले किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रति 2 मिनट का मौन रखा गया था.
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के ब्लॉक प्रधान सुरेंद्र मान ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिना किसानों की राय लिए कृषि कानून बना दिए और आज उन काले कानूनों को किसानों पर जबरदस्ती थोप रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हठधर्मिता करते हुए इन कानूनों को वापस नहीं लेना चाहती है. सुरेंद्र मान ने कहा कि केंद्र सरकार संवेदनशील तरीके से मूकदर्शक बनी हुई है. इस कड़ाके की ठंड में अभी तक 60 से ज्यादा किसान आंदोलन में शहीद हो चुके हैं.
किसान आंदोलन पर बोलने के बाद उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते की किस्त जुलाई 2021 तक बंद करी जा चुकी है. जिससे कर्मचारियों को हर महीने हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है.
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उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रियों, सांसदों को पेंशन का लाभ मिल रहा है लेकिन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर रखा जा रहा है, जो कि असंवैधानिक है.सर्व कर्मचारी संघ ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों की मांगे मान लें वरना आने वाले समय में प्रदेश के मंत्रियों के घरों का घेराव किया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार ही होगी.