हिसार: आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि लोग नौकरी से रिटायरमेंट लेने के बाद आराम की जिंदगी जीते हैं. दिन का अधिकतर समय पार्क में बिता देते हैं. लेकिन इन सबसे हटकर एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद अब दूसरों के लिए जीना शुरू कर दिया है.
इनका नाम है गुलशन ढींगरा. गुलशन बीएसएनएल में जेटीओ के पद पर तैनात थे. 4 साल पहले ढींगरा रिटायर हुए और उसके बाद हिसार की 'भीख नहीं किताब दो' नाम की संस्था से जुड़े. अब वो बीते 4 सालों से स्लम बस्तियों के बच्चों को पढ़ा रहे हैं. गुलशन ढींगरा से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की.
गुलशन ढींगरा ने बताया कि भगवान ने उनको ये सेवा दी है और वो भगवान की प्रेरणा से ही इन बच्चों को पढ़ा रहा हैं. इन बच्चों को पढ़ाकर उन्हें समझ आया कि अपने लिए तो हर कोई जीता है जीना उसी का नाम है जो दूसरों के लिए जिये.
गुलशन ढींगरा ने बताया कि जब इन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो उनके मां-बाप गालियां भी देते थे. ये बच्चे भीख मांगते थे. कूड़ा बीनते थे. जिससे उन्हें 50-100 रुपये दिन में मिल जाते थे. फिर हमने उन्हें समझाया कि अगर ये ऐसे ही भीख मांगते रहे और पढ़ाई नहीं की तो आगे चलकर ये भी आपकी तरह कोठियों में सफाई का काम करेंगे और भीख मांगेंगे.
2 घंटे रोजाना होती है क्लास
बता दें, गुलशन ढींगरा स्लम बस्तियों के भीख मांगने वाले बच्चों को 2 घंटे रोजाना पढ़ाते हैं और इन्हें कॉपी-किताब और स्टेशनरी भी खुद अपने पैसों से उपलब्ध करवाते हैं. साथ ही जब कोई भी खाना देने या कुछ अन्य चीज देने आता है तो वो उन्हें प्रेरित करते हैं कि इन्हें भीख नहीं किताब दो, ताकि आगे चलकर इन्हें भीख मांगने की जरूरत ना पड़े.
'स्कूल में एडमिशन भी करवाते हैं'
गुलशन ढींगरा ने बताया कि अब जितने भी प्रवासी मजदूर झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं वो खुद आकर बच्चों को पढ़ाने के लिए बोलते हैं. हम उनका आधार कार्ड और कागज बनवाकर इन बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाते हैं. ये बच्चे भी और बच्चों की तरह ही टैलेंटेड होते हैं, सिर्फ इन्हें फैसिलिटी नहीं मिलती और हम हम जितना हो सकता है उपलब्ध करवाने की कोशिश करते हैं.
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सलाम है गुलशन ढींगरा को
मुफलिसी में जी रहे लोगों के जीवन को नया मुकाम देना, मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं है. आमतौर पर सड़कों पर भीख मांग रहे बच्चों को हम कुछ सिक्के देकर अपने मानवीय दायित्यों की पूर्ति कर लेते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो ऐसे नौनिहालों का जीवन पूरी तरह बदल देते हैं. ऐसे लोग इंसानियत की मिसाल हैं. जो अब अपना जीवन दूसरों के लिए जी रहे हैं और किसी परिवार की खुशी का छोटा सा हिस्सा बन रहे हैं.