हिसारः जिले में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. शनिवार को शहर के हालात पर्यावरण इमरजेंसी जैसे हो गए. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार हिसार का एक्यूआइ लगभग 900 पार हो गया है. लोगों का घरों के बाहर ही नहीं, घरों के अंदर और कार्यालयों में भी सांस लेना मुश्किल हो गया. प्रदूषण के कारण सांस लेने में आने वाली दिक्कत और आंखों में जलन को लेकर अस्पतालों में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है.
गैस चैंबर में तब्दील हिसार
हिसार में प्रदूषण का स्तर देश में सबसे अधिक स्तर पर पहुंच चुका है. हिसार का एयर क्वालिटी इंडेक्स एक मौके पर 900 का अंक भी पार कर चुका है जो कि बहुत खरतनाक स्तर होता है. दिवाली के बाद तीन-चार दिन तक तो हिसार का मौसम साफ रहा लेकिन अचानक शुक्रवार से हिसार की आबोहवा भी बिगडऩे लगी और शनिवार तक हिसार गैस चैम्बर में तबदील हो गया. बिगड़े प्रदूषण के कारण हालात इतने भयंकर हो गए कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने सड़कों पर धूल को रोकने के लिए पानी का छिड़काव करवाया.
विशेषज्ञों के मुताबिक
पर्यावरण विभाग अधिकारी डॉ नरसी बिश्नोई के अनुसार आसमान में छाए बादल और बढ़ती ठंड के कारण हवा का दबाव बढ़ा है. जिससे वातावरण में पराली जलाने के कारण फैला धुआं ऊपर जाने के बजाए नीचे आ रहा है. यही कारण है कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और आंखों में भी जलन हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बारिश ही कारगर साबित होगी. उन्होंने कहा कि हल्की बूंदा बांदी हिसार को इस जहरीले धुंए से राहत दिला सकती है.
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क्या होता है स्मॉग
स्मॉग में सूक्ष्म पर्टिकुलेट कणों के अलावा नाइट्रोजन, मोनोऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें होती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ये सभी तत्व इंसानों की सेहत के लिए खतरनाक हैं. गाड़ियों के धुएं से हवा में मिलने वाले स्मॉग के सूक्ष्म कण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं. इन कणों की मोटाई लगभग 2.5 माइक्रोमीटर होती है. स्मॉग में होने वाले तत्व और गैसें इंसानों के साथ पशु-पक्षियों के श्वसन तंत्र को भी गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं.