हिसार: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के निदेशक डॉ. जी.पी. सिंह हिसार कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं व जौ अनुभाग के अनुसंधान क्षेत्र का दौरा करने के बाद वैज्ञानिकों से रूबरू हुए। वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक समय पर बिजाई की जाने वाली व अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों को विकसित करने पर अधिक शोध कार्य करें ताकि किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके. और वे खुशहाल हो सकें।
ये भी पढ़ें- खर्च कम और मुनाफा ज्यादा, जैविक खेती ने बदल दी कैथल के इस किसान की जिंदगी
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनके द्वारा विकसित गेहूं की आधुनिक व उन्नत किस्मों की देशभर में मांग रहती है. जिसकी बदौलत देश के खाद्यान भण्डारण में प्रदेश का अहम योगदान है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में विकसित गेहूं की उन्नत किस्म डब्ल्यूएच-1270 के लिए वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि इस किस्म की औसतन पैदावार 75.85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई है जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसलिए इस किस्म का अधिक से अधिक बीज तैयार करें और इसका प्रचार व प्रसार करते हुए किसानों को उपलब्ध करवाएं ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
ये भी पढ़ें- हिसार कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं का ऐसा बीज तैयार किया है जिससे बढ़ जाएगी पैदावार
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने भी वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे ऐसी तकनीकों एवं विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों को विकसित करने पर जोर दें जिससे किसानों को कम खर्च में अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने किसानों से कहा कि वे अपनी फसलों पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा सिफारिश किए गए कीटनाशकों का ही उनकी सलाहनुसार प्रयोग करें ताकि समय रहते फसलों पर आने वाली बीमारियों की रोकथाम की जा सके.
ये भी पढ़ें- गेहूं की इन नई किस्मों से होगी बंपर पैदावार, देखिए ये रिपोर्ट
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न अनुसंधान कार्यों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यहां के वैज्ञानिक अपनी अथक मेहनत व लगन से निरंतर विश्वविद्यालय की गरिमा को चार-चांद लगा रहे हैं, जिसकी बदौलत राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की अलग पहचान है। यहां से विकसित उन्नत किस्मों की न केवल हरियाणा बल्कि अन्य राज्यों में भी बहुत अधिक मांग बढ़ रही है।
ये भी पढ़ें- वैज्ञानिकों ने बनाई गन्ने की नई किस्म, इस विधि से होगी पैदावार दोगुनी