हिसार: बुधवार को जिलेभर में होली का पर्व मनाया जाएगा. 8 मार्च को दुल्हेंडी का पर्व है. बाजारों में होली की धूम देखने को मिल रही है. बाजारों में रंग-गुलाल, पिचकारियां खरीदी जा रही हैं. अलग-अलग क्वालिटी वाले और मिलावटी रंग भी बाजार में उपलब्ध हैं. अगर आप भी होली के लिए रंग खरीदने जा रहे हैं तो इनमें होने वाली मिलावट का भी ध्यान रखें. मिलावटी या नकली रंग आपकी त्वचा की रंगत को बिगाड़ सकता है. पैकेजिंग देखकर व पानी में मिलाकर आप असली और नकली रंगों की पहचान कर सकते हैं. डॉ. भंवर सिंह के मुताबिक बाजार में उपलब्ध रंगों के अलावा घर में भी हर्बल रंग बनाए जा सकते हैं. हर्बल रंग बनाने के लिए घर में उपलब्ध व कुछ अन्य चीजों की आवश्यकता पड़ती है. घर में ही लाल, हरा, पीला, नीला आदि रंग बनाए जा सकते हैं.
कैसे बनाएं घर में रंग:
• लाल रंग बनाने के लिए चंदन, सिंदूर व गुड़हल से मिलाकर बनाया जा सकता है. लाल रंग बनाने के लिए चुकंदर को बारीक काटकर सूखा दें. इसके बाद इसे बारीक पीस लें. इसके बाद चावल के आटे या मैदा को मिला लें. इससे लाल रंग तैयार किया जा सकता है. इसके अलावा गुलाब की पत्तियों को सुखाकर इसमें चावल का आटा मिलाकर भी लाल रंग तैयार किया जा सकता है. सुंगध के लिए इसमें चंदन पाउडर मिला सकते हैं.
• केसरिया रंग बनाने के लिए टेसू के फूलों को सुखाकर उसे पीस लें. इसके बाद इसमें चावल का आटा मिलाया जा सकता है.
• घर पर ही पीला रंग तैयार करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही इसमें बेसन या चंदन पाउडर मिलाया जा सकता है.
घर पर नीला रंग बनाने के लिए नीले गुड़हल फूल की पंखुड़िया व चावल के आटे का प्रयोग किया जा सकता है. गीले रंगों के लिए जकरंदा के मसलकर सूखे हुए फूलों को पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें.
सेहत के लिए नुकसानदेह केमिकल युक्त कलर:
हिसार सिविल अस्पताल के डिप्टी सीएमओ डॉ. सुभाष खतरेजा, डॉ. अनामिका बिश्नोई ने रंगों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि होली में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग सेहत के लिए काफी खतरनाक होते हैं. केमिकल युक्त रंग यदि आंखों में चला जाए तो आंखों में जलन हो सकती है. इसके साथ ही कई बार आंखों की रोशनी भी कम हो सकती है. पेट में जाने पर रंग आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. कानों में भी केमिकल वाले रंग जाने पर सुनने की क्षमता प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए केमिकल युक्त रंग ना खरीदें.
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सीसा, एल्युमिनियम, कॉपर से बन रहे रंग:
• हरे रंग को बनाने के लिए आमतौर पर कॉपर सल्फेट मिलाया जाता है जो आंखों में जाने पर एलर्जी पैदा करते हैं . काले रंग बनाने के लिए मिलावटखोर लेड का प्रयोग करते हैं जो गुर्दों को नुकसान पहुंचाते हैं.
• लाल रंग बनाने के लिए मरक्यूरिक ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है जो त्वचा कैंसर कर सकता है. सिल्वर रंग बनाने के लिए एल्युमिनियम ब्रोमाइड का प्रयोग होता है.
• बैंगनी रंग बनाने के लिए क्रोमोमियम आयोडाइड का उपयोग होता है जो स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं. पीले रंग को बनाने में ओरमिन का प्रयोग होता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसान देह है.
• इसके साथ ही रंगों को चमकीला बनाने के लिए उनमें सीसा मिलाया जाता है, जो त्वचा में लगते ही जलन पैदा करने लगती है.
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