हिसार: कोरोना संक्रमण से भारत में हजारों लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं हजारों की संख्या में ठीक भी हो रहे है. फ्रंट लाइन पर कोरोना को हराने वाले डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की दिन रात की मेहनत का नतीजा है. हिसार जिले में भी एक 56 वर्षीय महिला ने अपने हौसले और स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत से कोरोना पर विजय पाई है. ईटीवी भारत ने महिला से खास बातचीत करते हुए उनसे इस दौरान के अनुभव को जाना.
'इलाज मिला और मैं स्वस्थ हुई, कोरोना भयंकर नहीं है'
हाल में कोरोना की जंग जीतने के बाद हिसार की बिमला देवी ने ईटीवी से अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि आइसोलेशन में जब वो इलाज करवा रही थीं, तो उस वक्त उन्हें ज्यादा भय नहीं लग रहा था, लेकिन मन में यह चल रहा था की कोई उनका हाल पूछे. उन्हें अपनों की कमी जरूर खली, लेकिन डॉक्टर्स की दवाइयों और स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से वो ठीक हुईं. धीरे-धीरे दवाइयों से उन्हें कुछ आराम मिलना शुरू हुआ.
'हम पति-पत्नी क्वांरटीन में हैं, स्वस्थ हैं'
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज शुरू हुआ. एक दो दिन में उनके कई बार टेस्ट हुए जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. इसके बाद हॉस्पिटल से उन्हें छुट्टी दी गई. उन्होंने बतया की करीब चार दिन वह अस्पताल में रही. विमला देवी ने बताया कि वह और उनके पति अभी होम क्वांरटाइन में है और बिलकुल स्वस्थ हैं.
'मेरे परिवार का मुझे काफी सहयोग मिला'
विमला देवी ने परिवार की मानसिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को ऐसे समय में उसके परिवार का सहयोग आवश्यक है जो उन्हें मिला है. उन्होंने बताया की इस दौरान यूएस से बेटे ने लगातार उनका हाल जाना और पति ने भी पूरा सहयोग उन्हें मिला है. कोरोना से जंग जीत चुकी विमला देवी ने बताया की वह सभी को यह सन्देश देना चाहेंगी कि कोरोना से डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि लॉक डाउन और साफ सफाई आदि निर्देशों के प्रति सचेत रहें.
उन्होंने कहा कि वो अपने अनुभव से ये मानती हैं कि कोरोना इतनी भयंकर बीमारी नहीं है क्योंकि संक्रमित व्यक्ति ठीक भी हो रहे हैं, लेकिन निर्देशों का पालन बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसे इस तरह के लक्षण हैं तो वो तुरंत चिकित्सक को बताएं, इससे डरने की जरूरत नहीं है.
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