हिसार: पूरे उत्तर भारत में ठंड का कहर जारी है. हरियाणा के कुछ हिस्सों में बारिश होने के चलते हरियाणा में ठंड काफी बढ़ गई है. जिसके चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मौसम की बात करें तो आने वाले दिनों में धुंध पड़ने के आसार बढ़ गए हैं.
मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण 26 व 27 दिसंबर को जम्मू कश्मीर व हिमाचल में जो बर्फबारी हुई. उसकी वजह से रात के समय पहाड़ों की तरफ से आ रही उत्तर पश्चिमी ठंडी हवाओं के कारण तापमान में गिरावट दर्ज हुई है.
मौसम विभाग के अनुसार 28 दिसंबर की रात को 1.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ है. जो सामान्य से 2.9 डिग्री सेल्सियस कम है. अगले 3 दिनों तक उत्तर पश्चिमी हवाएं मैदानी क्षेत्रों में चलने की संभावना से हरियाणा राज्य में रात्रि तापमान में गिरावट और पाला पड़ने की संभावना है. इस दौरान वातावरण में नमी अधिक होने से सुबह धुंध भी रहने की संभावना है.
पाला से नष्ट हो जाती हैं फलों की कोशिकाएं
बता दें कि सर्द मौसम में जब तापमान हिमांक के आसपास या नीचे चला जाता है. तब वायु में उपस्थित जलवाष्प द्रव्य रूप में परिवर्तित न होकर सीधे ही हिम कणों में परिवर्तित हो जाते हैं. इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है. दोपहर बाद हवा के न चलने और रात में आसमान साफ रहने पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. राज्य में पाला आमतौर पर दिसंबर से फरवरी के महीने में ही पड़ने की संभावना बनी रहती है. पाले के कारण फसलों, सब्जियों और छोटे फलदार पौधों पर इनका हानिकारक प्रभाव पड़ता है. पाला पड़ने पर फसलों और सब्जियों के तने में उपस्थित पानी बर्फ के रूप में जम जाते हैं. जिससे पौधों की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं.
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पाले से बचाव के लिए किसान करें फसलों की सिंचाई
मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि पाले का हानिकारक प्रभाव सरसों,आलू ,फलों व सब्जियों की नर्सरी और छोटे फलदार पौधों पर पड़ सकता है. इसे बचाव के लिए किसान भाई यदि पानी उपलब्ध हो, तो विशेषकर सब्जियों को सिंचाई करें. ताकि जमीन का तापमान बढ़ सके. किसान भाईयों को खेत के किनारे पर 15 से 20 फीट की दूरी के अंतराल पर जिस ओर से हवा आ रही है. उस ओर रात्रि के समय कूड़ा-कचरा या सूखी घास आदि एकत्रित कर धुआं करना चाहिए. ताकि वातावरण में तापमान बढ़ सके और फलों और सब्जियों को नुकसान होने से बचाया जा सके.