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डीएसआर तकनीक से करिए धान की बिजाई, सरकार देगी 4 हजार रुपये, जानिए क्या है योजना

गिरते भूजल स्तर को देखते हुए प्रदेश में धान की सीधी बिजाई (DSR technology of paddy in Haryana) करने के लिए हरियाणा सरकार किसानों को जागरूक कर रही है. किसान अगर डीएसआर तकनीक से गेहूं और अन्य फसलों की तरह सीधी धान की बिजाई करेंगे तो सरकार उन्हें चार हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देगी.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान
धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान
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Published : Jul 5, 2022, 3:37 PM IST

Updated : Jul 5, 2022, 4:06 PM IST

हिसार: हरियाणा में भूजलस्तर लगातार गिरता जा रहा है जो चिंता का कारण बना हुआ है. कई जिले डार्क जोन (dark zone in haryana) में हैं जहां धान की खेती करना मुश्किल हो रहा है. धान की खेती पर कम पानी खर्च हो इसलिए डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस यानि के डीएसआर तकनीक का प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार किसानों को सीधी बिजाई करने वाली मशीनों को खरीदने के लिए सब्सिडी भी दे रही है.

डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने पर 30 प्रतिशत तक की पानी की बचत होती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 1 किलो धान उगाने के लिए 5 हजार लीटर पानी खर्च होता है. माॅनसून की बरसात शुरू होने के साथ प्रदेश में धान की बिजाई जोर पकड़ने लगी है. बहुत से किसानों ने धान की सीधी बिजाई में रूचि भी दिखाई है.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान

डीएसआर तकनीक क्या है- धान बिजाई की डीएसआर तकनीक गेहूं की बिजाई की तरह है. डीएसआर यानि डायरेक्ट सीडिंग राइस. जैसे गेहूं की बिजाई सीधे खेत में कर दी जाती है उसी तरह धान को भी सीधे खेत में छीट दिया जाता है. बिजाई के बाद खेत की सिंचाई कर दी जाती है फिर बीजों का अंकुरण होता है. धान की बिजाई के लिए जमीन को कद्दू या दलदली करने की जरूरत नहीं होती. सीधी बिजाई में धान की नर्सरी तैयार करने की जरूरत भी नहीं होती. इस तकनीक से धान की फसल भी 10 दिन पहले तैयार होती है. नर्सरी नहीं लगाने के चलते धान की खेती में लागत और समय दोनो की बचत होती है.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान
धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान

डीएसआर मशीन से एक एकड़ में धान की रोपाई मात्र 30 मिनट में हो जाती है. अगर किसान धान की रोपाई मजदूरों से करवाता है तो 6 से 8 मजदूर 1 दिन में 1 ही एकड़ में धान की रोपाई कर पाते हैं. मजदूर प्रति एकड़ के 2000 से 2500 रुपए धान की रोपाई के लिए लेते हैं. इसलिए डीएसआर तकनीक से रूपए और समय दोनों की बचत होती है. धान की सीधी बिजाई का ये सीजन ट्रायल के तौर पर देखा जा रहा है. जिसका अच्छा रिस्पॉंस मिल रहा है. लेकिन इस तकनीक की असली परीक्षा धान की कटाई के बाद ही हो पाएगी. अगर धान की पैदावार अच्छी होती है तो किसानों के लिए ये वरदान साबित होगी.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान
धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान

प्रोत्साहन राशि के लिए ऐसे करें आवेदन- किसानों को सीधी बिजाई करने के लिए पहले मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल (meri fasal mera byora portal) पर आवेदन करना पड़ेगा. कृषि अधिकारी प्रवीण मंडल ने बताया की आवेदन के बाद कृषि विभाग के अधिकारी खेतों का मुआयना करेंगे. फिर किसानों के खातों में 4 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से राशि डाल दी जाएगी. कृषि विभाग 40 डीएसआर मशीनें खरीदने पर इस सीजन में 50 से 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रहा है. जिले में 8 हजार एकड़ में सीधी बिजाई करने का लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा है जिसमें से 2 हजार एकड़ का टारगेट पूरा हो गया है. इस साल 8 जिलों में ये योजना चलाई जा रही है जिसका किसान लाभ उठा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें -पारंपरिक खेती छोड़ मछली पालन करने में जुटे किसान, हो रही बंपर आमदनी

हिसार: हरियाणा में भूजलस्तर लगातार गिरता जा रहा है जो चिंता का कारण बना हुआ है. कई जिले डार्क जोन (dark zone in haryana) में हैं जहां धान की खेती करना मुश्किल हो रहा है. धान की खेती पर कम पानी खर्च हो इसलिए डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस यानि के डीएसआर तकनीक का प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार किसानों को सीधी बिजाई करने वाली मशीनों को खरीदने के लिए सब्सिडी भी दे रही है.

डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने पर 30 प्रतिशत तक की पानी की बचत होती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 1 किलो धान उगाने के लिए 5 हजार लीटर पानी खर्च होता है. माॅनसून की बरसात शुरू होने के साथ प्रदेश में धान की बिजाई जोर पकड़ने लगी है. बहुत से किसानों ने धान की सीधी बिजाई में रूचि भी दिखाई है.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान

डीएसआर तकनीक क्या है- धान बिजाई की डीएसआर तकनीक गेहूं की बिजाई की तरह है. डीएसआर यानि डायरेक्ट सीडिंग राइस. जैसे गेहूं की बिजाई सीधे खेत में कर दी जाती है उसी तरह धान को भी सीधे खेत में छीट दिया जाता है. बिजाई के बाद खेत की सिंचाई कर दी जाती है फिर बीजों का अंकुरण होता है. धान की बिजाई के लिए जमीन को कद्दू या दलदली करने की जरूरत नहीं होती. सीधी बिजाई में धान की नर्सरी तैयार करने की जरूरत भी नहीं होती. इस तकनीक से धान की फसल भी 10 दिन पहले तैयार होती है. नर्सरी नहीं लगाने के चलते धान की खेती में लागत और समय दोनो की बचत होती है.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान
धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान

डीएसआर मशीन से एक एकड़ में धान की रोपाई मात्र 30 मिनट में हो जाती है. अगर किसान धान की रोपाई मजदूरों से करवाता है तो 6 से 8 मजदूर 1 दिन में 1 ही एकड़ में धान की रोपाई कर पाते हैं. मजदूर प्रति एकड़ के 2000 से 2500 रुपए धान की रोपाई के लिए लेते हैं. इसलिए डीएसआर तकनीक से रूपए और समय दोनों की बचत होती है. धान की सीधी बिजाई का ये सीजन ट्रायल के तौर पर देखा जा रहा है. जिसका अच्छा रिस्पॉंस मिल रहा है. लेकिन इस तकनीक की असली परीक्षा धान की कटाई के बाद ही हो पाएगी. अगर धान की पैदावार अच्छी होती है तो किसानों के लिए ये वरदान साबित होगी.

धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान
धान की सीधी बिजाई कर रहे किसान

प्रोत्साहन राशि के लिए ऐसे करें आवेदन- किसानों को सीधी बिजाई करने के लिए पहले मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल (meri fasal mera byora portal) पर आवेदन करना पड़ेगा. कृषि अधिकारी प्रवीण मंडल ने बताया की आवेदन के बाद कृषि विभाग के अधिकारी खेतों का मुआयना करेंगे. फिर किसानों के खातों में 4 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से राशि डाल दी जाएगी. कृषि विभाग 40 डीएसआर मशीनें खरीदने पर इस सीजन में 50 से 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रहा है. जिले में 8 हजार एकड़ में सीधी बिजाई करने का लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा है जिसमें से 2 हजार एकड़ का टारगेट पूरा हो गया है. इस साल 8 जिलों में ये योजना चलाई जा रही है जिसका किसान लाभ उठा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें -पारंपरिक खेती छोड़ मछली पालन करने में जुटे किसान, हो रही बंपर आमदनी

Last Updated : Jul 5, 2022, 4:06 PM IST
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