हिसार: हरियाणा सरकार 2 मार्च को प्रदेश का बजट (Haryana budget session 2022) पेश करने जा रही है. हरियाणा सरकार ने पिछले बजट सत्र में किसानो को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थी. इसमें किसानों को एमएसपी पर फसलें खरीदने, किसान कर्ज माफी योजना, किसान मित्र योजना, राज्य में 1000 किसान एटीएम स्थापित करने की घोषणाएं सरकार ने की थी. सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं को लेकर धरातल स्तर पर क्या काम हुए इस को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने किसान नेताओं से उनकी प्रतिक्रिया जानी.
किसान नेता सूबे सिंह बूरा ने बताया कि बीजेपी किसानों से हमेश झूठे वादे करते आ रही है, पिछले बजट सत्र में भी किसानों से वायदा किया था कि एमएसपी पर सारी फसल खरीदी जाएगी. अगर किसानों की सब्जियां एमएसपी रेट से कम में बिकती है तो उन्हें सरकार के द्वारा भुगतान किया जाएगा. लेकिन सरकार ने आज तक वादा पूरा नहीं किया. एमएसपी रेट कम होने के कारण किसानों को अपने ने टमाटर सड़कों पर फेंकने पड़ रहे है. मंडी में आज मूली एक-दो रुपए किलो बिकती है. ऐसे में किसानों को जमकर घाटा हो रहा है. साथ ही किसानों को सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिल रही है.
पिछले बजट सत्र में किसान मित्र योजना लागू करने की बात कही थी. लेकिन आज तक किसानों को इस योजना का फायदा नहीं मिला है. किसान नेता सूबे सिंह बूरा ने कहा की राज्य सरकार और केंद्र की मोदी सरकार किसान विरोधी कानून समय-समय पर ला रही है. जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है. सरकार ने आज तक पराली जलने का कोई समाधान नहीं निकाला. बाकि पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमे और जुर्माना लगाने का काम जरूर किया है. किसान नेता कुलदीप खरड़ ने सरकार के वायदों को लेकर कहा कि हमेशा सरकार बजट के दौरान किसानों के लिए हर बजट में नयी-नयी योजनाओं घोषणा करती है.
लेकिन पूरे साल किये गए घोषणा का पर कोई अमल नहीं किया जाता है. बजट सेशन के दौरान सरकार ने किसानों का बाजरा खरीदने की बात कही थी. लेकिन इस बार भी सरकार ने किसानों से बाजरा ही नहीं खरीदा. सरकार ने एमएसपी से कम भुगतान पर सीधा किसानों के खाते में देने की बात कही थी. जब बाजरा बिकेगा ही नहीं तो एमएसपी से भावांतर कैसे सामने आएगा. राज्य सरकार किसानों को गुमराह करने वाली बात है. कुलदीप खरड़ ने कहा की लगातार खेती करने में उपयोग होने वाले उत्पाद जैसे बीज खाद दवाइयां व पेस्टीसाइड के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और वही सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी भी बहुत कम है.
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