हिसार: खेती करने के लिए किसानों को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है और उस पानी की पूर्ति के लिए अभी तक ज्यादातर किसान डीजल इंजन बेस्ड ट्यूबवेल और बिजली पर निर्भर थे, लेकिन अब जब से नवीनीकरण ऊर्जा विभाग ने सोलर ट्यूबवेल (haryana solar tubewells) लगाने शुरू किए हैं तो किसानों की बिजली और डीजल इंजन से निर्भरता खत्म हो गई है. सोलर उर्जा का किसान खूब उपयोग कर रहे हैं जिससे पानी की कमी नहीं रहती नतीजतन अधिक पैदावार होती है. इन्हीं विशेषताओं और फायदे के चलते अब हरियाणा में किसानों का सोलर ट्यूबवेल की तरफ रुझान बढ़ने लगा है.
अब आपको बताते हैं कि हरियाणा में सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन कैसे मिलता है. हरियाणा में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हर साल किसानों से सोलर कनेक्शन के लिए आवेदन मांगे जाते हैं और बजट के हिसाब से हर साल लगभग 1000 से ज्यादा सोलर ट्यूबवेल एक जिले में लगाये जाते हैं. किसानों द्वारा दिए गए आवेदन के हिसाब से 'पहले आओ-पहले पाओ' के आधार पर किसानों को ट्यूबवेल अलॉट किया जाता है और उनसे 25 प्रतिशत राशि जमा करवाई जाती है.
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उसके बाद निर्धारित एजेंसी द्वारा किसान के खेत में ट्यूबवेल कंपनी द्वारा सोलर पैनल इंस्टॉल किया जाता है. उसकी 75 प्रतिशत कीमत सब्सिडी के तौर पर सरकार सीधा कंपनी को देती है. हिसार जिले में अभी तक विभाग द्वारा 2800 किसानों के खेतों में ऐसे ट्यूबवेल लगाये जा चुके हैं. बता दें कि, सरकार की तरफ से बजट सत्र में प्रदेश में 3hp से लेकर 10hp क्षमता के 50,000 सोलर ट्यूबवेल लगाने की घोषणा की गई थी. इनमें से प्रथम चरण के 15,000 लगभग ट्यूबवेल लगाए जा चुके हैं और 35,000 दूसरे चरण में अब लगाए जाने हैं. इन सोलर ट्यूबवेल पर प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान के तहत 30 पर्सेंट सब्सिडी केंद्र सरकार देती है और 45 प्रतिशत राज्य सरकार देती है.
अब सोलर ट्यूबवेल पर आने वाले खर्च की बात भी कर लेते हैं. बता दें कि किसान की जरूरत और पानी की उपलब्धता के आधार पर सोलर पैनल लगाया जाता है, और पैनल की क्षमता के हिसाब से खर्च आता है. अगर 3 हार्सपॉवर का पैनल लगेगा तो उसमें 1 लाख 40 हजार रुपये लगेंगे जिसमें किसान के 35 हजार रुपये खर्च होंगे. वहीं 5 हार्सपॉवर का पैनल लगेगा तो उसमें 2 लाख 20 हजार रुपये लगेंगे जिसमें किसान के 54 हजार रुपये खर्च होंगे. अगर 7.5 हार्सपॉवर का पैनल लगेगा तो उसमें 3 लाख 40 हजार रुपये लगेंगे जिसमें किसान के 84 हजार रुपये खर्च होंगे, और अगर 10 हार्सपॉवर का पैनल लगेगा तो उसमें 4 लाख 50 हजार रुपये लगेंगे जिसमें किसान के 1 लाख 10 हजार रुपये खर्च होंगे.
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इसका उपयोग कर रहे किसानों ने बताया कि एक सामान्य सोलर वाटर पंप दिन भर में छह से 10 घंटे तक चल सकता है. अगर धूप तेज हो तो इसकी पानी देने की क्षमता भी बढ़ जाती है. डीजल के हिसाब से देखें तो सोलर पंप किसानों के लिए बेहद सस्ता साधन है. एक फसल में एक बार पानी देने के लिए प्रति एकड़ लगभग 1500 से 2000 रुपये का खर्च आता है, लेकिन एक बार सोलर लगवाने के बाद 5 साल तक किसान का कोई खर्चा नहीं है. वहीं समर्सिबल मोटर की 5 साल की गारंटी मिलती है और 25 साल की सोलर पैनल की.
सोलर ट्यूबवेल लगने के बाद अब जब भी किसान को जरूरत होती है तो वो खेत में पानी चलाते हैं. अब न बिजली का इंतजार करना पड़ता है न बारिश का और पैदावार भी अच्छी होती है. सोलर ट्यूबवेल लगवाने का एक और फायदा ये भी है कि जो किसान खेत में ही रहते हैं वह एक कनवर्टर का उपयोग कर अपनी घरेलू जरुरतों के लिए बिजली का उत्पादन भी कर सकते हैं. बहरहाल जिस हिसाब से डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में ये सोलर पंप किसानों के लिए बहत फायदे का सौदा साबित हो रहे हैं, और इसीलिए किसानों का इस और रुझान बढ़ रहा है.
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