हिसार: आधुनिकता के इस जमाने में अब समय के साथ साथ अब किसान भी हाईटेक तकनीक अपनाने (pesticide spray from drones in Hisar) लगे है. इसी कड़ी में हिसार के लाडवा गांव में एग्रीनर्स किसान समूह ने इस ड्रोन तकनीक का प्रयोग पहली बार कीटनाशक स्प्रे करने के लिए किया है. ड्रोन के जरिए सफाई करने से कीटनाशकों की खपत कम होगी और जमीन भी खराब होने से बचेगी. इसके साथ-साथ जमीनी पानी के स्तर में भी सुधार आएगा. ड्रोन के जरिए कीटनाशक स्प्रे की यह तकनीक इफको के सहयोग से एग्रीनर्स किसान समूह के किसानों तक पहुंची है.
बता दें कि साल 2022-23 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ड्रोन खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रावधान दिया है. वहीं एग्रीनर्स किसान समूह का नेतृत्व करने वाले दो युवा विजय श्योराण और डॉ. मनोज नेहरा लगातार किसानों को इस टेक्नोलॉजी (Drone technology for farmers in Hisar) के बारे में बता रहे है. ड्रोन के जरिए खेती करने से एक किसान के कीटनाशक और खाद की खपत में बेहद फर्क आएगा. क्योंकि अभी तक मैनुअल स्प्रे की तुलना में ड्रोन ज्यादा प्रभावी है और कीटनाशक व खाद व्यर्थ जमीन पर नहीं फैलता है.
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क्या है ड्रोन तकनीक की खूबियां: यह ड्रोन खाद मिले पानी को लेकर सिर्फ 5 से 10 मिनट में एक एकड़ फसल पर स्प्रे करेगा. मात्र 10 लीटर पानी और दवाई के मिश्रण को 1 एकड़ फसल पर स्प्रे आसानी से किया जा सकता है. इसकी तुलना में ट्रैक्टर या हाथ से स्प्रे करने पर 1 एकड़ में करीब 65 लीटर औसत पानी व दवाई मिश्रण की खपत होती है. यदि ड्रोन को ऑटोमेटिक मोड पर सेट करें, तो जितना रकबा उसमें जीपीएस के जरिये फीड किया जाएगा, उतने रकबे में स्प्रे करके वापस लौट आएगा. इससे किसान का समय, जल एवं धन की भी बचत होगी.
सरकार द्वारा ड्रोन पर सब्सिडी: गौरतलब है कि इस ड्रोन की कीमत लगभग 4.5 लाख से 5 लाख रुपये तक है. केंद्र सरकार इस तकनीक को प्रमोट करने के लिए इस पर अच्छी खासी सब्सिडी भी दे रही है. जिसके बाद यह ड्रोन एक किसान समूह को करीब ढाई लाख रुपए में मिल जाता है. अगर कोई किसान प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशन यानी किसान समूह इसे खरीदना है, तो उसे 75 फीसदी तक का अनुदान केंद्र सरकार की तरफ से दिया जाता है. इसके अलावा कोई कस्टम हायरिंग सेंटर या फिर किसान निजी तौर पर इसे खरीदना है. तो उसे करीब 40 फीसदी तक का अनुदान सरकार द्वारा दिया जा रहा है.
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एग्रीनर्स किसान समूह के प्रमोटर व कृषि एक्सपर्ट मनोज नेहरा ने बताया कि अभी मौजूदा तकनीकों से स्प्रे करने में किसानों को स्वास्थ्य का खतरा भी रहता है और टाइम भी बहुत ज्यादा लगता है. वहीं इस ड्रोन तकनीक से फसल के हर पौधे तक दवाई पहुंचेगी और ज्यादा प्रभावशाली तरीके से काम करेगी. मनोज नेहरा ने बताया कि ड्रोन के जरिए स्प्रे करने से कीटनाशक की खपत भी बहुत कम होगी, क्योंकि ट्रैक्टर के जरिए या हाथ से गिर जाने वाले स्प्रे में सिर्फ 60 फीसदी पौधे पर काम करता है. बाकी दवाई जमीन में चली जाती थी या फिर वह हवा के साथ बह जाती थी.
वहीं अब इस ड्रोन तकनीक के जरिए पानी की बूंद से भी छोटे ड्रॉपलेट्स बनते हैं, जो 80 फीसदी दवाई पौधे तक पहुंचाएगी. जिससे कीटनाशक व्यर्थ जमीन पर नहीं फैलेगा. किसानों को अभी तक प्रति एकड़ लगभग 45 किलो यूरिया खाद डालना पड़ता था, लेकिन अब ड्रोन के जरिए मात्र आधा लीटर नैनो यूरिया को पानी में मिलाकर पूरे एकड़ में स्प्रे किया जा सकता है. किसान समूह के मुख्य सदस्य विजय श्योराण ने बताया ड्रोन के जरिए स्प्रे करने से किसानों को स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होगा. क्योंकि पहले हाथ से स्प्रे करते समय किसान के शरीर मे सांस के साथ कीटनाशकों का कुछ हिस्सा चला जाता था जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.
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साथ ही ड्रोन के जरिए अब वह खेत के किसी भी कोने में बैठ कर आराम से स्प्रे कर सकता है. ट्रैक्टर के जरिए सप्रे करने से एक एकड़ में किसान को दो से 3 घंटे लगते हैं और पूरे दिन में वह ज्यादा से ज्यादा 3 एकड़ में स्प्रे कर पाता था. अब ड्रोन के जरिए 1 दिन में कम से कम 15 एकड़ में स्प्रे कर सकता है. जिससे किसान की लेबर की बचत होगी व समय भी खराब नहीं होगा.
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