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बोरवेल से निकले बच्चे की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

48 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर निकले नदीम की हालत गंभीर हो गई है. जिसके चलते उसे इलाज के लिए अग्रोहा मेडिकल कॉलेज से हिसार के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

निजी अस्पताल में बच्चे को किया गया शिफ्ट
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Published : Mar 23, 2019, 12:38 PM IST

Updated : Mar 23, 2019, 3:37 PM IST

हिसारः बोरवेल में लगातार 48 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल निकाले गए 18 महीने के नदीम को इलाज के लिए अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. जहां देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गई और अब उसे हिसार के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है.

बताया जा रहा है कि मासूम की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी और मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार की सुविधाएं ना होने के कारण उसे शहर के निजी अस्पताल में रेफर किया गया है.

पूरा मामला

बुधवार शाम लगभग 5:00 बजे नदीम खान नाम का एक छोटा बच्चा अपने भाई-बहनों और अन्य साथियों के साथ खेतों में बने अपने मकान से लगभग 100 मीटर दूरी पर खेल रहा था. तभी अचानक साथ ही खोदे गए 60 फुट के गहरे बोरवेल में गिर गया. बच्चे की रोने की आवाज सुनकर और भाई बहनों के बताने पर आसपास के किसानों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस चौकी को दी, जिसके बाद ये मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में आया.

निजी अस्पताल में बच्चे को किया गया शिफ्ट

कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकला छोटा 'बाहुबली'

गुरुवार सुबह लगभग 4 बजे एनडीआरएफ की एक अन्य टीम भी घटनास्थल पर पहुंची. एनडीआरएफ की टीम शुक्रवार को भी बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर संभव कोशिश करती रही. गुरुवार सारी रात रेस्क्यू ऑपरेशन चला.

पूरे गांव में खुशी का माहौल

ग्रामीणों ने भी मदद की. आखिरी 10 फीट लोगों और एनडीआरएफ ने खुद हाथों से मिट्टी खोदी. शुक्रवार की सुबह तक बच्चे तक पहुंचने की जद्दोजहद लगी रही. शुक्रवार शाम करीब 5 बजकर 15 मिनट पर अच्छी खबर सामने आई. नदीम बोरवेल से बाहर आ गया. पूरे गांव में खुशी का माहौल है. फिलहाल नदीम को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया.

हिसारः बोरवेल में लगातार 48 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल निकाले गए 18 महीने के नदीम को इलाज के लिए अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. जहां देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गई और अब उसे हिसार के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है.

बताया जा रहा है कि मासूम की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी और मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार की सुविधाएं ना होने के कारण उसे शहर के निजी अस्पताल में रेफर किया गया है.

पूरा मामला

बुधवार शाम लगभग 5:00 बजे नदीम खान नाम का एक छोटा बच्चा अपने भाई-बहनों और अन्य साथियों के साथ खेतों में बने अपने मकान से लगभग 100 मीटर दूरी पर खेल रहा था. तभी अचानक साथ ही खोदे गए 60 फुट के गहरे बोरवेल में गिर गया. बच्चे की रोने की आवाज सुनकर और भाई बहनों के बताने पर आसपास के किसानों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस चौकी को दी, जिसके बाद ये मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में आया.

निजी अस्पताल में बच्चे को किया गया शिफ्ट

कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकला छोटा 'बाहुबली'

गुरुवार सुबह लगभग 4 बजे एनडीआरएफ की एक अन्य टीम भी घटनास्थल पर पहुंची. एनडीआरएफ की टीम शुक्रवार को भी बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर संभव कोशिश करती रही. गुरुवार सारी रात रेस्क्यू ऑपरेशन चला.

पूरे गांव में खुशी का माहौल

ग्रामीणों ने भी मदद की. आखिरी 10 फीट लोगों और एनडीआरएफ ने खुद हाथों से मिट्टी खोदी. शुक्रवार की सुबह तक बच्चे तक पहुंचने की जद्दोजहद लगी रही. शुक्रवार शाम करीब 5 बजकर 15 मिनट पर अच्छी खबर सामने आई. नदीम बोरवेल से बाहर आ गया. पूरे गांव में खुशी का माहौल है. फिलहाल नदीम को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया.

NEWS BY - SAJJAN KUMAR / HISAR
SLUG - नदीम को तबियत बिगड़ने पर अग्रोहा मेडिकल कॉलेज से हिसार के एक निजी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया
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लगातार 48 घंटे के रेस्क्यू के बाद बोरवेल से सकुशल निकाले गए 18 महीने के मासूम नदीम को सीधे अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में ले जाया गया था लेकिन देर रात्रि इस बच्चे को मेडिकल कॉलेज से हिसार के एक निजी हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया। बताया जा रहा है कि मासूम की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी और मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार की सुविधाएं ना होने के कारण उसे शहर के निजी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया है। 

दिन रात एक करते हुए लगातार बिना सोए आर्मी और एनडीआरफ के जवानों ने कड़ी मशक्कत कर इस 18 महीने के मासूम को बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया था लेकिन उसके बाद प्रशासन ने अपनी तरफ से बेहतर सुविधाओं का हवाला देते हुए नजदीक के अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में बच्चे को भर्ती करवाया था। लेकिन बाद में जब बच्चे की तबीयत में सुधार नहीं हुआ और लगातार उसकी तबीयत बिगड़ती गई तो आनन-फानन में आधी रात, हिसार के एक निजी हॉस्पिटल का सहारा लेना पड़ा। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि विकास के दावे करने वाली सरकार और सिर्फ बयानों में ही सूबे की स्वास्थ्य सेवाएं देशभर में एक नंबर पर ले जाने वाले मंत्री अनिल विज का महकमा क्या मेडिकल कॉलेज जैसी संस्थाओं में भी इस तरीके की सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है ? आखिरकार शाम पाँच बजे से लेकर आधी रात 12 बजे तक बिना सुविधाओं के हॉस्पिटल में बच्चे की जान पर रिस्क क्यों लिया गया ?  लगातार 7 घंटे की यह सरकारी लापरवाही बच्चे की जान पर किस तरीके से बीतेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन अगर बच्चे को इस दौरान कुछ हो जाता है तो उसकी पूरी जवाबदेही सरकारी तंत्र की होगी। 

एनडीआरएफ और सेना के जवानों के जॉइंट ऑपरेशन से बच्चे को सकुशल बाहर निकाले जाने पर जो ग्रामीण और परिजन खुशी से झूम रहे थे अब उनके चेहरे पर दोबारा उदासी देखी जा सकती है। ग्रामीणों का एक सुर में कहना है कि सरकार को पहले ही एहतियात के तौर पर बड़े कदम उठाने चाहिए थे और किसी अच्छे हॉस्पिटल में बच्चे का इलाज करवाना चाहिए था !!
Last Updated : Mar 23, 2019, 3:37 PM IST
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