हिसार: खेतों में बची पराली और अनगिनत वाहनों से निकलने वाला धुआं और सर्द मौसम कुछ ऐसे कारण हैं, जिनके एक साथ मिलने के कारण पैदा हुई वायु प्रदूषण की कालिख ने तपते सूरज की चमक और तेज को भी फीका कर दिया है. हिसार में हवा की गुणवत्ता का स्तर खतरनाक स्तर पर पार कर चुका है. हिसार और आसपास के क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के आसपास चल रहा है, जो काफी खतरनाक श्रेणी में माना जाता है.
हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि पोलूशन कंट्रोल बोर्ड ने लोगों से बिना काम घरों से बाहर नहीं निकलने का आव्हान किया है. लोगों को आंखों में जलन का अनुभव हो रहा है और सांस लेने में भी कठिनाई हो रही है. ये प्रदूषित वातावरण कोरोना से उबर चुके लोगों और दमा के मरीजों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. कोरोना महामारी के बीच इस प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण ही एनजीटी ने एनसीआर क्षेत्र में 30 नवंबर तक किसी भी प्रकार के पटाखों को जलाने पर पाबंदी लगा दी है.
हरियाणा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राकेश भोंसले के अनुसार इस वक्त हिसार सहित बहुत से जिलों में वायु की गुणवत्ता काफी खराब चल रही है. हवा की गति नहीं होने के कारण पराली जलाने और अन्य कारणों से फैला धुआं इकट्ठा होता जा रहा है. बुजुर्गों और बच्चों को ऐसे वातावरण में बाहर बिल्कुल भी नहीं निकलना चाहिए.
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हिसार में फिलहाल पटाखे जलाने को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. एनजीटी ने खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके एक्यूआई वाले शहरों और एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है, लेकिन हिसार को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से अब तक कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं.