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किसान आंदोलन के रंग: 80 साल की महिला किसान का जज्बा देखिए

सोमवार को हिसार लघु सचिवालय के सामने एक अलग ही तरह की तस्वीर दिखाई दी. यहां एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला मोदी को कोसते हुए गीत गा रही थी और साथ ही अन्य महिलाओं के साथ नाच भी रही थी.

Hisar elderly women protest
Hisar elderly women protest
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Published : Jan 18, 2021, 10:19 PM IST

हिसार: कृषि कानूनों का पूरे प्रदेश भर में अलग-अलग तरीके से विरोध हो रहा है. किसान ट्रैक्टर पर सवार होकर नारेबाजी करके पुतले फूंक कर सरकार को ये बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वो इस कानून के विरोध में हैं.

वहीं सोमवार को हिसार लघु सचिवालय के सामने एक अलग ही तरह की तस्वीर दिखाई दी. यहां एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला मोदी को कोसते हुए गीत गा रही थी और साथ ही अन्य महिलाओं के साथ नाच भी रही थी.

ये भी पढे़ं- सीएम खट्टर ने रेल मंत्री से की मुलाकात, इन रेलवे प्रोजेक्ट पर हुई चर्चा

बुजुर्ग महिला का साहस देखकर वहां काफी भीड़ जुट गई और सब बुजुर्ग महिला के हौसले की तारीफ करते नजर आए. राजली गांव की रहने वाली बुजुर्ग महिला किसान परमेश्वरी ने बताया कि हम यहां प्रधानमंत्री की मृत्यु का शोक मनाने आए हैं.

सरकार ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा. हम अपने हक के लिए लड़ेंगे चाहे गर्दन धड़ से अलग हो जाए. लेकिन पीछे नहीं हटेंगे और अपना हक लेकर ही वापस जाएंगे. मैं एक बार दिल्ली समर्थन के लिए जा चुकी हूं और अब दोबारा फिर दिल्ली जाऊंगी. अपना हक लिए बिना वापस नहीं लौटूंगी.

हिसार: कृषि कानूनों का पूरे प्रदेश भर में अलग-अलग तरीके से विरोध हो रहा है. किसान ट्रैक्टर पर सवार होकर नारेबाजी करके पुतले फूंक कर सरकार को ये बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वो इस कानून के विरोध में हैं.

वहीं सोमवार को हिसार लघु सचिवालय के सामने एक अलग ही तरह की तस्वीर दिखाई दी. यहां एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला मोदी को कोसते हुए गीत गा रही थी और साथ ही अन्य महिलाओं के साथ नाच भी रही थी.

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बुजुर्ग महिला का साहस देखकर वहां काफी भीड़ जुट गई और सब बुजुर्ग महिला के हौसले की तारीफ करते नजर आए. राजली गांव की रहने वाली बुजुर्ग महिला किसान परमेश्वरी ने बताया कि हम यहां प्रधानमंत्री की मृत्यु का शोक मनाने आए हैं.

सरकार ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा. हम अपने हक के लिए लड़ेंगे चाहे गर्दन धड़ से अलग हो जाए. लेकिन पीछे नहीं हटेंगे और अपना हक लेकर ही वापस जाएंगे. मैं एक बार दिल्ली समर्थन के लिए जा चुकी हूं और अब दोबारा फिर दिल्ली जाऊंगी. अपना हक लिए बिना वापस नहीं लौटूंगी.

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