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लॉकडाउनः इन दो बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को अधर में छोड़ा, पानी पीकर काट रहे वक्त

सोहना में करीब 50 से ज्यादा मजदूर 25 साल से वाडीलाल के लिए काम कर रहे थे. कंपनी ने उन्हें रहने के लिए घर भी दिए थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद वाडीलाल ने ना तो इनसे कोई संपर्क किया और ना ही इन्हें काम दिया. ऐसा ही कुछ हाल रहेजा बिल्डर्स के लिए काम करने वाले मजदूरों का भी है.

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वाडीलाल-रहेजा बिल्डर्स को नहीं मजदूरों की फिक्र, पानी से मिटा रहे भूख
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Published : Apr 6, 2020, 2:01 PM IST

Updated : Apr 6, 2020, 9:20 PM IST

गुरुग्राम/सोहना: लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर पड़ रहा है तो वो हैं मजूदर. लॉकडाउन की वजह उन्हें ना तो काम मिल रहा है और ना ही वो अपने राज्य वापस जा पा रहे हैं. ऐसे में मशहूर कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को लॉकडाउन के बीच अधर में छोड़ चुकी हैं.

सोहना में वाडीलाल और रहेजा बिजडर्स जैसी कंपनियों ने भी अपने मजदूरों को इस विपदा में मरने के लिए छोड़ दिया है. इन मजदूरों को अब सिर्फ सरकारी और समाजिक संस्थाओं से मदद की ही आस है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

सोहना में करीब 50 से ज्यादा मजदूर 25 साल से वाडीलाल के लिए काम कर रहे थे. कंपनी ने उन्हें रहने के लिए घर भी दिए थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद वाडीलाल ने शुरू में 21 लोगों के लिए 3 हजार रुपये तो दिए, लेकिन उसके बाद से कंपनी के मालिक ने इनकी कोई सुध नहीं ली है. अब इन मजदूरों को समाजिक संस्थाएं खाना पहुंचा रही हैं.

ये भी पढ़िए: लॉकडाउन से नदियों को मिला 'जीवनदान', 40 साल बाद इतनी स्वच्छ बह रही यमुना

ऐसा ही कुछ हाल है सोहना से सटे रायपुर के पास जंगल मे फंसे रहेजा बिल्डर्स के कर्मचारियों का. ये कर्मचारी लॉकडाउन के बाद से ही कंपनी की साइट पर फंसे थे. दो दिन भूखा रहने के बाद एक संस्था की ओर से इनतक खाना पहुंचाया गया. इन कर्मचारियों ने बताया कि मालिक कह रहा है कि लॉकडाउन है. जब लॉकडाउन खुलेगा तब उन्हें वापस बुला लिया जाएगा, तबतक खाने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं है.

गुरुग्राम/सोहना: लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर पड़ रहा है तो वो हैं मजूदर. लॉकडाउन की वजह उन्हें ना तो काम मिल रहा है और ना ही वो अपने राज्य वापस जा पा रहे हैं. ऐसे में मशहूर कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को लॉकडाउन के बीच अधर में छोड़ चुकी हैं.

सोहना में वाडीलाल और रहेजा बिजडर्स जैसी कंपनियों ने भी अपने मजदूरों को इस विपदा में मरने के लिए छोड़ दिया है. इन मजदूरों को अब सिर्फ सरकारी और समाजिक संस्थाओं से मदद की ही आस है.

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सोहना में करीब 50 से ज्यादा मजदूर 25 साल से वाडीलाल के लिए काम कर रहे थे. कंपनी ने उन्हें रहने के लिए घर भी दिए थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद वाडीलाल ने शुरू में 21 लोगों के लिए 3 हजार रुपये तो दिए, लेकिन उसके बाद से कंपनी के मालिक ने इनकी कोई सुध नहीं ली है. अब इन मजदूरों को समाजिक संस्थाएं खाना पहुंचा रही हैं.

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ऐसा ही कुछ हाल है सोहना से सटे रायपुर के पास जंगल मे फंसे रहेजा बिल्डर्स के कर्मचारियों का. ये कर्मचारी लॉकडाउन के बाद से ही कंपनी की साइट पर फंसे थे. दो दिन भूखा रहने के बाद एक संस्था की ओर से इनतक खाना पहुंचाया गया. इन कर्मचारियों ने बताया कि मालिक कह रहा है कि लॉकडाउन है. जब लॉकडाउन खुलेगा तब उन्हें वापस बुला लिया जाएगा, तबतक खाने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं है.

Last Updated : Apr 6, 2020, 9:20 PM IST
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