गुरुग्राम: शहर के सरकारी अस्पताल में काम नहीं शुरू होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. साइबर सिटी गुरुग्राम में बीते लंबे समय से नागरिक अस्पताल की कंडम हो चुकी इमारत को तोड़ कर नई इमारत बनाने की प्लानिंग सरकारी फाईलों में एक जगह से दूसरी जगह टहल रही है.
शहर के अस्पताल के बनने का काम अधर में
दरअसल गुरुग्राम का मुख्य सिविल अस्पताल पुरी तरह है कंडम हो चुका है जहां अब 300 बेड का नया अस्पताल बनाया जाना है, जिसके चलते सरकारी अस्पताल की सभी सेवाएं सेक्टर 10 और सेक्टर 31 में शिफ्ट कर दी गई है. अस्पताल को शिफ्ट करने की वजह से जहां मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं अस्पताल शिफ्ट होने के बाद मरीजों को रेफर करने के मामलों में बडी बढोतरी देखी जा रही है.
रेफर किए जाने के कारण मरीज परेशान
हाल ही में लगाई गई एक आरटीआई के मुताबिक जहां साल 2014 से अब तक 3000 से भी ज्यादा मरीजों को गुरुग्राम से दिल्ली के सफदरजंग और एम्स हॉस्पिटल में रेफर किया चुका है. मरीज दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में रेफर किए गए थे. वहीं अस्पताल शिफ्ट किए जाने के बाद 2018 के मुकाबले 2019 में ये संख्या तीन गुणा जा पहुंची है.
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1975 में किया गया था शहर के सबसे बड़े अस्पताल का निर्माण
आपको बता दें कि गुरुग्राम का सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का निर्माण 1975 में किया गया था. जिसके बाद कई बार अस्पताल में रेनोवेशन का काम किया गया. लेकिन बीते कई सालों में अस्पताल कि हालत इस कद्र बिगड़ी की छत गिरने से लेकर कई हादसे अस्पताल में हुए. बाद में सरकार ने इमारत को तोड़कर करीब 7 एकड़ में नया अस्पताल बनाने का फैसला लिया. लेकिन ये फैसला अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है. जिसके चलते अस्पताल की सेवाएं अलग अलग जगह शिफ्ट करने से मरीजों की परेशानी बढ़ी रही है.