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क्यों हर बार मानसून की बारिश में डूब जाता है गुरुग्राम, जानें जलभराव की इनसाइड स्टोरी

गुरुग्राम में इस बार हुई बारिश (Rain in Gurugram) लोगों के लिए आफत बनकर बरसी है. तेज बारिश की वजह से अंडरपास में जलभराव हो गया. शहर का पॉश इलाका हो या फिर हाइवे, हर जगह पानी ही पानी (Gurugram Water Logging) नजर आ रहा है. एक व्यक्ति की तो डूबने से मौत भी हो गई. ऐसे में बड़ा सवाल ये कि आखिर क्यों हर बार मानसून में गुरुग्राम में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं.

Gurugram Water Logging
Gurugram Water Logging
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Published : Jul 21, 2021, 10:54 AM IST

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम एक बार फिर से पानी-पानी (Rain in Gurugram) है. जरा सी बारिश क्या हुई कि पूरा शहर ही डूब गया. यहां की सड़कें नालों का रूप ले चुकी हैं. शीतला माता मंदिर के बाहर तो कमर तक पानी भर गया. शहर का पॉश इलाका हो या फिर हाइवे, बस पानी ही पानी (Gurugram Water Logging) नजर आ रहा है. गुरुग्राम के ऐसा हाल पहली बार नहीं हुआ है. हर साल मानसून के दिनों में शहर की यही हालत होती है. सबसे बड़ा सवाल यहीं उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन?

ये भी पढ़ें- बारिश के बाद डूबा गुरुग्राम, नेशनल हाईवे से सट्टे इलाके हुए जलमग्न

तेजिंदर नाम के स्थानीय निवासी ने इसका जिम्मेदार (Gurugram Water Logging causes) अधिकारियों के लापरवाही भरे रवैये को माना. उन्होंने कहा कि हर साल लाखों का बजट पास किया जाता है. पानी निकासी के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन मानसून की पहली बारिश ने इनके दावों की पोल खोलकर रख दी. गुरुग्राम जैसे विकसीत शहर में पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होना अधिकारियों की कार्यशैली को दिखाता है.

क्यों हर बार मानसून की बारिश में डूब जाता है गुरुग्राम, जानें जलभराव की इनसाइड स्टोरी

अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि शहर का सबसे बड़ी बादशाहपुर ड्रेन (Badshahpur Drain Gurugram) का निर्माण कई सालों से अटका हुआ है. जो जलभराव की मुख्य वजह है. दूसरा बड़ी वजह से कि लालच में प्रशासन ने शहर के जलाशयों को खत्म कर दिया. उनकी जगह बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना दी. जिसकी वजह से पानी निकासी नहीं पाती.

अगर हम शहर की भूगोलिक स्थिति को समझे तो गुरुग्राम के सबसे ऊंचे और सबसे निचले इलाके के बीच 90 मीटर का अंतर है. बंधवाड़ी में जहां समुद्र तल से शहर की ऊंचाई 290 मीटर है. वहीं शहर के दूसरे छोर खेड़की माजरा में समुद्र तल से ऊंचाई 200 मीटर है. सवाल ये कि अभी तक अधिकारियों को ये बात क्यों समझ नहीं आई कि शहर के नीचले तल पर पानी निकासी का इंतजाम किया जाना चाहिए.

Gurugram Water Logging
मानसून की बारिश में डूब गया गुरुग्राम

गुरुग्राम में जलभराव की बड़ी वजह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का ना होना भी है. जो हैं भी वो रखरखाव के अभाव में बंद पड़े हैं. अगर शहर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का जाल बिछाया जाए तो शायद इस समस्या से निजात मिल सके. लेकिन अभी की तस्वीरें तो चौंकाने वाली हैं. डराने वाली हैं. आपको बता दें कि राजीव चौक पर जलभराव के चलते युवक की मौत हो गई. जिसके बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी है.

ये भी पढ़ें- Gurugram Traffic update: बारिश के बाद गुरुग्राम-दिल्ली बॉर्डर पर भारी ट्रैफिक जाम, कई किलोमीटिर तक फंसे लोग

चंद घंटों की बारिश में गुरुग्राम की सड़कों पर सैलाब उमड़ पड़ा. आपको याद होगा कि कैसे साल 2016 में बारिश की वजह से 'महाजाम' लग गया था. करीब 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक लोग सड़कों पर फंसे रह गए थे, उस 2016 के महाजाम को भी 5 साल बीत चुके हैं, उसके बावजूद भी गुरुग्राम जिला प्रशासन ने अभी तक कोई सबक नहीं लिया है. आज भी हालात जस के तस हैं. 5 साल बाद भी स्थिति जस की तस है.

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम एक बार फिर से पानी-पानी (Rain in Gurugram) है. जरा सी बारिश क्या हुई कि पूरा शहर ही डूब गया. यहां की सड़कें नालों का रूप ले चुकी हैं. शीतला माता मंदिर के बाहर तो कमर तक पानी भर गया. शहर का पॉश इलाका हो या फिर हाइवे, बस पानी ही पानी (Gurugram Water Logging) नजर आ रहा है. गुरुग्राम के ऐसा हाल पहली बार नहीं हुआ है. हर साल मानसून के दिनों में शहर की यही हालत होती है. सबसे बड़ा सवाल यहीं उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन?

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तेजिंदर नाम के स्थानीय निवासी ने इसका जिम्मेदार (Gurugram Water Logging causes) अधिकारियों के लापरवाही भरे रवैये को माना. उन्होंने कहा कि हर साल लाखों का बजट पास किया जाता है. पानी निकासी के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन मानसून की पहली बारिश ने इनके दावों की पोल खोलकर रख दी. गुरुग्राम जैसे विकसीत शहर में पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होना अधिकारियों की कार्यशैली को दिखाता है.

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अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि शहर का सबसे बड़ी बादशाहपुर ड्रेन (Badshahpur Drain Gurugram) का निर्माण कई सालों से अटका हुआ है. जो जलभराव की मुख्य वजह है. दूसरा बड़ी वजह से कि लालच में प्रशासन ने शहर के जलाशयों को खत्म कर दिया. उनकी जगह बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना दी. जिसकी वजह से पानी निकासी नहीं पाती.

अगर हम शहर की भूगोलिक स्थिति को समझे तो गुरुग्राम के सबसे ऊंचे और सबसे निचले इलाके के बीच 90 मीटर का अंतर है. बंधवाड़ी में जहां समुद्र तल से शहर की ऊंचाई 290 मीटर है. वहीं शहर के दूसरे छोर खेड़की माजरा में समुद्र तल से ऊंचाई 200 मीटर है. सवाल ये कि अभी तक अधिकारियों को ये बात क्यों समझ नहीं आई कि शहर के नीचले तल पर पानी निकासी का इंतजाम किया जाना चाहिए.

Gurugram Water Logging
मानसून की बारिश में डूब गया गुरुग्राम

गुरुग्राम में जलभराव की बड़ी वजह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का ना होना भी है. जो हैं भी वो रखरखाव के अभाव में बंद पड़े हैं. अगर शहर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का जाल बिछाया जाए तो शायद इस समस्या से निजात मिल सके. लेकिन अभी की तस्वीरें तो चौंकाने वाली हैं. डराने वाली हैं. आपको बता दें कि राजीव चौक पर जलभराव के चलते युवक की मौत हो गई. जिसके बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी है.

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चंद घंटों की बारिश में गुरुग्राम की सड़कों पर सैलाब उमड़ पड़ा. आपको याद होगा कि कैसे साल 2016 में बारिश की वजह से 'महाजाम' लग गया था. करीब 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक लोग सड़कों पर फंसे रह गए थे, उस 2016 के महाजाम को भी 5 साल बीत चुके हैं, उसके बावजूद भी गुरुग्राम जिला प्रशासन ने अभी तक कोई सबक नहीं लिया है. आज भी हालात जस के तस हैं. 5 साल बाद भी स्थिति जस की तस है.

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