गुरुग्राम: हरियाणा में बढ़ता प्रदूषण प्रशासन के लिए गले की फांस बना हुआ है. हालांकि गुरुग्राम प्रशासन प्रदूषण को कम करने के लिए सड़कों पर पानी की बौछार करवा रहा है. उसके बाद भी प्रदूषण से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है.
प्रशासन की अपील
दिवाली पर पटाखों का चलाना और किसानों का पराली को फूंकना ये दो वजह प्रदूषण की अहम बताई जा रही है. सरकार और प्रशासन किसानों से लगातार पराली को ना जलाने की अपील कर रहे हैं. वहीं फर्रुखनगर के किसानों ने भी प्रदेश के किसानों से पराली ना जलाने की अपील की है.
किसानों ने ली शपथ
फर्रुखनगर के किसानों ने ये शपथ भी ली कि वो पराली को नहीं जलाएंगे. किसानों की जो भी पराली है उसे हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बेचा जा रहा है. कुछ किसानों ने पराली को गौशाला में दान भी किया है. जिससे कि गौशाला में चारे की कामी ना रहे.
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'नहीं जलानी चाहिए पराली'
किसानों का ये भी कहना है कि उनको पराली नहीं जलानी चाहिए. इससे धरती की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है और प्रदूषण भी बढ़ता है. बता दे कि इस वक्त पूरा उत्तर भारत प्रदूषण की चपेट में है. ये प्रदूषण अब जानलेवा होता जा रहा है. लोगों को आंख में जलन और सांस लेने में तकलीफ हो रही है.
खतरनाक स्तर पर वायु प्रदूषण
दिवाली के बाद हरियाणा में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है. शुक्रवार को प्रदेश के दस शहर दोपहर 12 बजे तक गैस चैंबर बने रहे. इन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 रिकॉर्ड किया गया. प्रदेश में वायु प्रदूषण का ये स्तर इस साल में अब तक का सर्वाधिक है. उधर, देश की राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य आपात काल लागू होने के बाद प्रदूषण फैलाने वालों पर हरियाणा में सख्ती बरती गई है. हरियाणा में भी पांच जिलों में स्वास्थ्य आपात काल लागू कर दी गई है.