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पहले मजदूरों का पलायन, अब सोशल डिस्टेंसिंग, मुश्किल हुआ मारुति का प्रोडक्शन

12 मई से मारुति के मानेसर प्लांट में प्रोडक्शन का काम शुरू हुआ है. लेकिन अभी तक प्रोडक्शन पर कोई सकारात्मक असर नहीं दिखा है. मारुति सुजुकी के कामगार यूनियन के महासचिव के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मेन्युफेक्चरिंग में काफी परेशानी आ रही हैं.

economic slowdown in maruti plant in gurugram
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Published : May 17, 2020, 9:16 PM IST

गुरुग्राम: मंदी की मार झेल रही ऑटो इंडस्ट्री पर कोरोना वायरस ने दोहरी मार की है. ये सेक्टर भयंकर मंदी से जूझ रहा है. अर्थव्यवस्था पटरी पर आए इसको लेकर सरकार ने कुछ गाडडलाइन जारी कर प्रोडक्शन शुरू करने के आदेश दिए.

12 मई से मारुति के मानेसर प्लांट में प्रोडक्शन का काम शुरू हुआ है. लेकिन अभी तक प्रोडक्शन पर कोई सकारात्मक असर नहीं दिखा है. मारुति सुजुकी के कामगार यूनियन के महासचिव के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मेन्युफेक्चरिंग में काफी परेशानी आ रही हैं.

पहले मारुति के मानेसर प्लांट में 8000 से 10000 कर्मचारी काम करते थे. नई गाइडलाइन के तहत अब यहां 2500 से 3000 कर्मचारी काम कर रहे हैं. जिससे की मेन्युफेक्चरिंग पर असर पड़ रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से पार्ट्स को असेंबल करने में काफी परेशानी हो रही है.

वीडियो पर क्लिक कर देखें स्पेशल रिपोर्ट

मारुति सुजुकी के कामगार यूनियन के महासचिव ने बताया कि दोबारा से स्थिति सामान्य होने में काफी वक्त लगेगा. देश की जानी मानी कार निर्माता कंपनी मारुति के एक प्लांट में हर महीने लगभग 1.5 लाख गाड़ियां बनाई जाती हैं, अब ये उत्पादन ना के बराबर रह गया है.

लघु उद्योग भारत के हेड डॉक्टर राजेश गुप्ता ने भी सरकार को अर्थव्यवस्था सुधारने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को डिफाल्टर और सही कंपनी का चुनाव करना चाहिए. जिसके बाद सारे नियमों का सही तरीके से पालन करने वाली कंपनी को एक प्रतिशत की टैस्क में छूट दी जानी चाहिए.

सबसे बड़ी समस्या मजदूरों का पलायन करना भी है. मारुति की 10% लेबर गुरुग्राम से पलायन कर चुकी है. लॉकडाउन के दौरान ऑटो सेक्टर में 20 से 25 प्रतिशत के करीब बिक्री में कमी आई है. अभी तीन महीने और मारुति सुजुकी का उत्पादन ना के बराबर रहने के आसार हैं. क्योंकि ना तो काम करने के लिए पूरे मजदूर हैं और ना ही ट्रांसपोर्ट के लिए अनुकूल परिस्थितियां.

मंदी के लिए जिम्मेदार जीएसटी-नोटबंदी!

ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी पर ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का कहना है कि इस मंदी के लिए साफ तौर पर नोटबंदी और जीएसटी भी जिम्मेदार है. 1200 cc इंजन की गाड़ी से नीचे 28 प्रतिशत और 1200 cc इंजन की गाड़ी से ऊपर 40 प्रतिशत जीएसटी लगा रहा है. जिस वजह से गाड़ियों की बिक्री कम हो गई है. इसके साथ ही पहले गाड़ियों पर लोन आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब सरकार ने इस पर भी ज्यादा कागजी कार्रवाई कर दी है. जिस वजह से डाउनफॉल बढ़ गया है. और अब रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी.

अर्थव्यवस्था पर बड़ा खतरा!

ऑटो इंडस्ट्री का देश की GDP में 7 फीसदी का योगदान है और इंडस्ट्रियल GDP में ऑटो कंपनियों का 26 फीसदी का योगदान है. ऑटो सेक्टर में आई ये मंदी भारत की अर्थव्यवस्था का भी खेल खराब कर सकती है.

गुरुग्राम: मंदी की मार झेल रही ऑटो इंडस्ट्री पर कोरोना वायरस ने दोहरी मार की है. ये सेक्टर भयंकर मंदी से जूझ रहा है. अर्थव्यवस्था पटरी पर आए इसको लेकर सरकार ने कुछ गाडडलाइन जारी कर प्रोडक्शन शुरू करने के आदेश दिए.

12 मई से मारुति के मानेसर प्लांट में प्रोडक्शन का काम शुरू हुआ है. लेकिन अभी तक प्रोडक्शन पर कोई सकारात्मक असर नहीं दिखा है. मारुति सुजुकी के कामगार यूनियन के महासचिव के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मेन्युफेक्चरिंग में काफी परेशानी आ रही हैं.

पहले मारुति के मानेसर प्लांट में 8000 से 10000 कर्मचारी काम करते थे. नई गाइडलाइन के तहत अब यहां 2500 से 3000 कर्मचारी काम कर रहे हैं. जिससे की मेन्युफेक्चरिंग पर असर पड़ रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से पार्ट्स को असेंबल करने में काफी परेशानी हो रही है.

वीडियो पर क्लिक कर देखें स्पेशल रिपोर्ट

मारुति सुजुकी के कामगार यूनियन के महासचिव ने बताया कि दोबारा से स्थिति सामान्य होने में काफी वक्त लगेगा. देश की जानी मानी कार निर्माता कंपनी मारुति के एक प्लांट में हर महीने लगभग 1.5 लाख गाड़ियां बनाई जाती हैं, अब ये उत्पादन ना के बराबर रह गया है.

लघु उद्योग भारत के हेड डॉक्टर राजेश गुप्ता ने भी सरकार को अर्थव्यवस्था सुधारने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को डिफाल्टर और सही कंपनी का चुनाव करना चाहिए. जिसके बाद सारे नियमों का सही तरीके से पालन करने वाली कंपनी को एक प्रतिशत की टैस्क में छूट दी जानी चाहिए.

सबसे बड़ी समस्या मजदूरों का पलायन करना भी है. मारुति की 10% लेबर गुरुग्राम से पलायन कर चुकी है. लॉकडाउन के दौरान ऑटो सेक्टर में 20 से 25 प्रतिशत के करीब बिक्री में कमी आई है. अभी तीन महीने और मारुति सुजुकी का उत्पादन ना के बराबर रहने के आसार हैं. क्योंकि ना तो काम करने के लिए पूरे मजदूर हैं और ना ही ट्रांसपोर्ट के लिए अनुकूल परिस्थितियां.

मंदी के लिए जिम्मेदार जीएसटी-नोटबंदी!

ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी पर ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का कहना है कि इस मंदी के लिए साफ तौर पर नोटबंदी और जीएसटी भी जिम्मेदार है. 1200 cc इंजन की गाड़ी से नीचे 28 प्रतिशत और 1200 cc इंजन की गाड़ी से ऊपर 40 प्रतिशत जीएसटी लगा रहा है. जिस वजह से गाड़ियों की बिक्री कम हो गई है. इसके साथ ही पहले गाड़ियों पर लोन आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब सरकार ने इस पर भी ज्यादा कागजी कार्रवाई कर दी है. जिस वजह से डाउनफॉल बढ़ गया है. और अब रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी.

अर्थव्यवस्था पर बड़ा खतरा!

ऑटो इंडस्ट्री का देश की GDP में 7 फीसदी का योगदान है और इंडस्ट्रियल GDP में ऑटो कंपनियों का 26 फीसदी का योगदान है. ऑटो सेक्टर में आई ये मंदी भारत की अर्थव्यवस्था का भी खेल खराब कर सकती है.

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