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लॉकडाउन में हुआ 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान, 20 हजार परिवारों का क्या होगा ?

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Published : Jul 28, 2020, 8:42 PM IST

कोरोना का कहर देश दुनिया का हर सेक्टर झेल रहा है. लॉकडाउन के बाद अनलॉक का दौर तो आया लेकिन हालात कमोबेस जस के तस हैं. छोटे-छोटे काम से लेकर उद्योग धंधे ठप पड़े हैं. देश की तमाम आईटी और एमएनसी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम के सहारे चल रही हैं. वर्क फ्रॉम होम के चलते बड़ी-बड़ी कंपनियों को खाना सप्लाई करने वाले कॉरपोरेट कैटरर्स पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

corporate caterers facing financial crisis in haryana during lockdown
corporate caterers facing financial crisis in haryana during lockdown

गुरुग्राम: कोरोना कॉल में देश को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा. तो वहीं अनलॉक के जरिए तमाम आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है, लेकिन अभी भी देश की कई आईटी और एमएनसी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम का सहारा ले रही हैं. जिसके चलते कॉरपोरेट कैटरर्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वर्क फ्रॉम होम के चलते कॉरपोरेट कैटरर्स से जुड़े करीब 20 हजार परिवार पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है.

पहले होती थी 18 हजार मील सप्लाई, अब सिर्फ 250 से 300

गुरुग्राम के सेक्टर-37 में खुशबू फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कैटरर्स के चेयरमैन हारुन की मानें तो पहले औसतन 18,000 मील प्रतिदिन कंपनियों में सप्लाई होती थी, लेकिन अब मात्र 3 कंपनियों में खाना जा रहा है वो भी 250 से 300 मील/दिन. क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं और इसलिए कंपनियों में खाने की सप्लाई लगभग ना के बराबर है.

कॉरपोरेट कैटरर्स पर संकट के बादल, लॉकडाउन में 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

नौकरी जाने का खतरा

कॉरपोरेट कैटरर्स में काम कर रहे वर्करों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने साफ कहा की कोरोना काल अगर जल्द खत्म नहीं हुआ तो उनकी नौकरी जा सकती है. क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते काम नहीं बचा है और डर के साए में वो नौकरी करने को मजबूर हैं. डर सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि नौकरी जाने का भी है.

गुरुग्राम में खाना सप्लाई करने वाले करीब 10-12 बड़े कैटरर्स हैं, लेकिन 150 से अधिक कैटरर्स ऐसे हैं जो छोटे स्केल पर अपना काम करते हैं. वहीं कॉरपोरेट कैटरर्स से जुड़े लोगों की मानें तो तमाम छोटे कैटरर्स ने या तो काम बंद कर दिया है या फिर वो कोई और विकल्प खोजने में जुट गए हैं, क्योंकि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद हुए नुकसान से भरपाई करना उनके लिए बेहद मुश्किल साबित हो गया है.

सेफ्टी के चलते बढ़ी प्रोडक्शन कॉस्ट

कोरोना की वजह से सैनिटाइजेशन, पैकिंग मैटेरियल बदल गया है. अब आने वाले टाइम में इसी तरीके से खाना सप्लाई किया जाएगा. जाहिर सी बात है कि अब प्रोडक्शन कॉस्ट भी बढ़ गई है. जहां एक थाली की कीमत 70 रुपये थी अब उस थाली की कीमत 80 रुपये हो गई है, क्योंकि सैनिटाइजेशन और सेफ्टी इक्विपमेंट्स से ये कॉस्ट बढ़ गई है.

रोजी-रोटी पर मंडरा रहा है खतरा

वर्क फ्रॉम होम के चलते तमाम कॉरपोरेट कैटरर्स ने अपने कर्मचारियों की कॉस्ट कटिंग की है. जिसके बाद 20 हजार परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते कॉरपोरेट् कैटरर्स का काम बंद है. कई फूड सप्लाई कंपनियों ने तो अपने आधे से ज्यादा कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है.

सरकार से नहीं मिली कोई मदद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश को मंदी के दौर से उबारने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन कॉरपोरेट कैटरर्स का मानना है कि 20 लाख करोड़ के पैकेज में उनके लिए कुछ नहीं था. ईटीवी भारत के जरिये उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस सेक्टर से जुड़े लोगों की कुछ मदद की जाए, ताकि हजारों परिवारों की रोजी-रोटी को बचाया जा सके.

ये भी पढ़ें- हेलमेट पहनने से 69 प्रतिशत कम होता है मौत का खतरा, यहां जानें कितना सुरक्षित है आपका 'कवच'?

गुरुग्राम: कोरोना कॉल में देश को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा. तो वहीं अनलॉक के जरिए तमाम आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है, लेकिन अभी भी देश की कई आईटी और एमएनसी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम का सहारा ले रही हैं. जिसके चलते कॉरपोरेट कैटरर्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वर्क फ्रॉम होम के चलते कॉरपोरेट कैटरर्स से जुड़े करीब 20 हजार परिवार पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है.

पहले होती थी 18 हजार मील सप्लाई, अब सिर्फ 250 से 300

गुरुग्राम के सेक्टर-37 में खुशबू फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कैटरर्स के चेयरमैन हारुन की मानें तो पहले औसतन 18,000 मील प्रतिदिन कंपनियों में सप्लाई होती थी, लेकिन अब मात्र 3 कंपनियों में खाना जा रहा है वो भी 250 से 300 मील/दिन. क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं और इसलिए कंपनियों में खाने की सप्लाई लगभग ना के बराबर है.

कॉरपोरेट कैटरर्स पर संकट के बादल, लॉकडाउन में 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

नौकरी जाने का खतरा

कॉरपोरेट कैटरर्स में काम कर रहे वर्करों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने साफ कहा की कोरोना काल अगर जल्द खत्म नहीं हुआ तो उनकी नौकरी जा सकती है. क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते काम नहीं बचा है और डर के साए में वो नौकरी करने को मजबूर हैं. डर सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि नौकरी जाने का भी है.

गुरुग्राम में खाना सप्लाई करने वाले करीब 10-12 बड़े कैटरर्स हैं, लेकिन 150 से अधिक कैटरर्स ऐसे हैं जो छोटे स्केल पर अपना काम करते हैं. वहीं कॉरपोरेट कैटरर्स से जुड़े लोगों की मानें तो तमाम छोटे कैटरर्स ने या तो काम बंद कर दिया है या फिर वो कोई और विकल्प खोजने में जुट गए हैं, क्योंकि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद हुए नुकसान से भरपाई करना उनके लिए बेहद मुश्किल साबित हो गया है.

सेफ्टी के चलते बढ़ी प्रोडक्शन कॉस्ट

कोरोना की वजह से सैनिटाइजेशन, पैकिंग मैटेरियल बदल गया है. अब आने वाले टाइम में इसी तरीके से खाना सप्लाई किया जाएगा. जाहिर सी बात है कि अब प्रोडक्शन कॉस्ट भी बढ़ गई है. जहां एक थाली की कीमत 70 रुपये थी अब उस थाली की कीमत 80 रुपये हो गई है, क्योंकि सैनिटाइजेशन और सेफ्टी इक्विपमेंट्स से ये कॉस्ट बढ़ गई है.

रोजी-रोटी पर मंडरा रहा है खतरा

वर्क फ्रॉम होम के चलते तमाम कॉरपोरेट कैटरर्स ने अपने कर्मचारियों की कॉस्ट कटिंग की है. जिसके बाद 20 हजार परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते कॉरपोरेट् कैटरर्स का काम बंद है. कई फूड सप्लाई कंपनियों ने तो अपने आधे से ज्यादा कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है.

सरकार से नहीं मिली कोई मदद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश को मंदी के दौर से उबारने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन कॉरपोरेट कैटरर्स का मानना है कि 20 लाख करोड़ के पैकेज में उनके लिए कुछ नहीं था. ईटीवी भारत के जरिये उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस सेक्टर से जुड़े लोगों की कुछ मदद की जाए, ताकि हजारों परिवारों की रोजी-रोटी को बचाया जा सके.

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