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हरियाणा में कोरोना के कारण पौधारोपण में आई कमी, देखिए ये रिपोर्ट

जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है. कुदरत ने हमें वो तमाम साधन उपलब्ध करवाए हैं, जिनके बिना धरती पर जीवन संभव ही नहीं है. ऐसे में पौधारोपण और पेड़ों का संरक्षण काफी अहम हो जाता है. जिसमें वन विभाग अहम भूमिका निभा रहा है. प्रदेश में हरियाली बरकरार रखने के लिए प्लांटेशन प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं.

corona effect on plantation program in haryana
हरियाणा में कोरोना के कारण पौधारोपण में आई कमी, देखिए ये रिपोर्ट
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Published : Oct 18, 2020, 9:09 PM IST

गुरुग्राम/फरीदाबादः भारत जैसे प्रकृति पूजक देश में पर्यावरण पर गंभीर संकट खड़ा है. हैरान करने वाली बात ये है कि इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (एफएसआई) 2013 के अनुसार हरियाणा में वन आवरण 1586 वर्ग किलोमीटर है. जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 3.59% है.

वहीं राज्य में ट्री कवर 1282 वर्ग किलोमीटर है, जो भौगोलिक क्षेत्र का 2.90% है. इसी तरह वन और ट्री कवर का कुल क्षेत्र हरियाणा राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 6.49% है. ऐसे में पौधारोपण और पेड़ों का संरक्षण काफी अहम हो जाता है. जिसमें वन विभाग अहम भूमिका निभा रहा है. प्रदेश में हरियाली बरकरार रखने के लिए प्लांटेशन प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं.

पौधारोपण पर इस साल रहा कोरोना का साया, देखिए ये रिपोर्ट

फरीदाबाद और गुरुग्राम में वन क्षेत्र

फरीदाबाद में पौधों के प्लांटेशन पर पहाड़ी एरिया में 2018 से लेकर अब तक एक करोड़ खर्च किया गया है. तो वहीं इसी समय अंतराल में 2 करोड़ रुपए प्लेन एरिया में खर्च किया गया है.

गुरुग्राम करीब दो लाख एकड़ क्षेत्र में फैला है. इसमें मात्र 800 एकड़ वन क्षेत्र है. यानी जिले में मात्र 9 फीसदी वन क्षेत्र है. संरक्षित वन क्षेत्र के नाम पर करीब साढे़ तीन सौ एकड़ में सुल्तानपुर वन क्षेत्र और करीब 300 एकड़ वन क्षेत्र सर बसीर में है. इसके अलावा 70 एकड़ में सोहना के पास रायपुर गांव में वन क्षेत्र है. जिसके संरक्षण के लिए विन विभाग द्वारा तमाम प्रबंध किए जा रहे हैं.

गुरुग्राम में पौधारोपण का लक्ष्य

गुरुग्राम में इस साल 25 लाख 269 पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कोरोना के चलते पौधारोपण के अभियान में कई बाधाएं आई. जिसके चलते 30 सितंबर तक मात्र 17 लाख 80 हजार 500 पौधे ही रोपे गए जबकि 2019 में तकरीबन 26 लाख का पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 19 लाख का लक्ष्य पूरा किया गया था. इस बार स्कूली बच्चों से 6 लाख 70 हजार पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन स्कूल बंद होने के चलते मात्र 2,30,000 पौधे ही रोपे गए.

फरीदाबाद में भी टारगेट अधूरा

फरीदाबाद वन विभाग की तरफ से साल 2020 में लगभग डेढ़ लाख पौधों का प्लांटेशन किया गया है, जबकि ढाई लाख पौधे लोगों को मुफ्त में बांटे गए हैं. स्कूलों से करीब 1.4 लाख की डिमांड हर साल वन विभाग को मिलती थी, लेकिन इस बार वो डिमांड भी नहीं मिली. यानी इस साल कोरोना की वजह से पौधा लगाने का टारगेट अधूरा रह गया.

ये भी पढ़ेंः हरियाणा की नई फसल बीमा योजना पर किसानों को नहीं विश्वास, देखिए ये रिपोर्ट

इन जिलों में सुधरे हालात

बदलते दौर और बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है. नतीजन जंगल ख़त्म हो रहे हैं. देश में वन क्षेत्रफल 19.2 फ़ीसद है, जो बहुत ही कम है. घटते वन क्षेत्र को राष्ट्रीय लक्ष्य 33.3 फ़ीसद के स्तर पर लाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा वृक्ष लगाने होंगे. ताजा तस्वीरें गुरुग्राम और फरीदाबाद से हमारे सामने आई हैं. जहां इस साल पौधारोपण के स्तर में काफी सुधार देखा गया है.

क्या केवल पौधारोपण काफी है?

ये हैरत और अफ़सोस की बात है कि हमारी बढ़ती जरूरतों के कारण आज समाज में पेड़ कम हो रहे हैं. हालांकि अमूमन होता ये है कि सरकारें या स्वयंसेवी संस्थाएं जोरशोर से बड़े पैमाने पर पौधारोपण तो करती हैं, लेकिन पौधारोपण के बाद उनका ख्याल नहीं रखा जाता है. जिस वजह से प्रदेश में अभियान तो सिरे चढ़ते हैं लेकिन परिणाम शुन्य होता है.

गुरुग्राम/फरीदाबादः भारत जैसे प्रकृति पूजक देश में पर्यावरण पर गंभीर संकट खड़ा है. हैरान करने वाली बात ये है कि इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (एफएसआई) 2013 के अनुसार हरियाणा में वन आवरण 1586 वर्ग किलोमीटर है. जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 3.59% है.

वहीं राज्य में ट्री कवर 1282 वर्ग किलोमीटर है, जो भौगोलिक क्षेत्र का 2.90% है. इसी तरह वन और ट्री कवर का कुल क्षेत्र हरियाणा राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 6.49% है. ऐसे में पौधारोपण और पेड़ों का संरक्षण काफी अहम हो जाता है. जिसमें वन विभाग अहम भूमिका निभा रहा है. प्रदेश में हरियाली बरकरार रखने के लिए प्लांटेशन प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं.

पौधारोपण पर इस साल रहा कोरोना का साया, देखिए ये रिपोर्ट

फरीदाबाद और गुरुग्राम में वन क्षेत्र

फरीदाबाद में पौधों के प्लांटेशन पर पहाड़ी एरिया में 2018 से लेकर अब तक एक करोड़ खर्च किया गया है. तो वहीं इसी समय अंतराल में 2 करोड़ रुपए प्लेन एरिया में खर्च किया गया है.

गुरुग्राम करीब दो लाख एकड़ क्षेत्र में फैला है. इसमें मात्र 800 एकड़ वन क्षेत्र है. यानी जिले में मात्र 9 फीसदी वन क्षेत्र है. संरक्षित वन क्षेत्र के नाम पर करीब साढे़ तीन सौ एकड़ में सुल्तानपुर वन क्षेत्र और करीब 300 एकड़ वन क्षेत्र सर बसीर में है. इसके अलावा 70 एकड़ में सोहना के पास रायपुर गांव में वन क्षेत्र है. जिसके संरक्षण के लिए विन विभाग द्वारा तमाम प्रबंध किए जा रहे हैं.

गुरुग्राम में पौधारोपण का लक्ष्य

गुरुग्राम में इस साल 25 लाख 269 पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कोरोना के चलते पौधारोपण के अभियान में कई बाधाएं आई. जिसके चलते 30 सितंबर तक मात्र 17 लाख 80 हजार 500 पौधे ही रोपे गए जबकि 2019 में तकरीबन 26 लाख का पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 19 लाख का लक्ष्य पूरा किया गया था. इस बार स्कूली बच्चों से 6 लाख 70 हजार पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन स्कूल बंद होने के चलते मात्र 2,30,000 पौधे ही रोपे गए.

फरीदाबाद में भी टारगेट अधूरा

फरीदाबाद वन विभाग की तरफ से साल 2020 में लगभग डेढ़ लाख पौधों का प्लांटेशन किया गया है, जबकि ढाई लाख पौधे लोगों को मुफ्त में बांटे गए हैं. स्कूलों से करीब 1.4 लाख की डिमांड हर साल वन विभाग को मिलती थी, लेकिन इस बार वो डिमांड भी नहीं मिली. यानी इस साल कोरोना की वजह से पौधा लगाने का टारगेट अधूरा रह गया.

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इन जिलों में सुधरे हालात

बदलते दौर और बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है. नतीजन जंगल ख़त्म हो रहे हैं. देश में वन क्षेत्रफल 19.2 फ़ीसद है, जो बहुत ही कम है. घटते वन क्षेत्र को राष्ट्रीय लक्ष्य 33.3 फ़ीसद के स्तर पर लाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा वृक्ष लगाने होंगे. ताजा तस्वीरें गुरुग्राम और फरीदाबाद से हमारे सामने आई हैं. जहां इस साल पौधारोपण के स्तर में काफी सुधार देखा गया है.

क्या केवल पौधारोपण काफी है?

ये हैरत और अफ़सोस की बात है कि हमारी बढ़ती जरूरतों के कारण आज समाज में पेड़ कम हो रहे हैं. हालांकि अमूमन होता ये है कि सरकारें या स्वयंसेवी संस्थाएं जोरशोर से बड़े पैमाने पर पौधारोपण तो करती हैं, लेकिन पौधारोपण के बाद उनका ख्याल नहीं रखा जाता है. जिस वजह से प्रदेश में अभियान तो सिरे चढ़ते हैं लेकिन परिणाम शुन्य होता है.

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