गुरुग्रामः बीते साल 14 फरवरी के दिन पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. उस हमले में भारतीय सेना के 40 से ज्यादा योद्धा शहीद हुए थे. उन्हीं शहीदों के परिवार में से एक परिवार आगरा निवासी कौशल कुमार रावत का भी है. शहीद के परिवार के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा कई वादे किए गए. लेकिन आज तक एक भी वादा पूरा नहीं है. शहीद का परिवार आज आर्थिक तंगी से जूझ रहा है.
आज तक नहीं ली सुध- शहीद की पत्नी
शहीद कौशल रावत का परिवार गुरुग्राम के खोह गांव में रहता है. जिनको राज्य सरकार की तरफ 25 लाख देने की घोषणा की गई. इतना ही नही उन्हें शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन देने की घोषणा भी की गई, साथ ही उनके गांव से लगती सड़क का नाम भी शहीद के नाम पर रखने की बात की गई. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस परिवार को 25 लाख रुपये की राशि तो दी,लेकिन उसके बाद इस परिवार की सुध तक नहीं ली.
पिता के स्मारक के लिए काट रहा है चक्कर
शहीद के परिवार की हालत लगातार दयनीय होती जा रही है और अपने पिता के लिए नाम पर शहीद स्मारक बनाने के लिए उनका बेटा अपनी मां के साथ अधिकारियों की चौखट पर पिछले 10 महीने से चक्कर काट रहा है, लेकिन हर बार इन्हें टरकाया जा रहा है. शहीद के परिवार ने कभी सपने में भी ये नही सोचा होगा कि कौशल रावत की शहादत के बाद उनको ऐसा भी दिन देखना पड़ेगा.
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परिवार का टूटा सब्र का बांध
शहीद कौशल रावत का परिवार वैसे तो यूपी के आगरा का रहने वाला है. लेकिन बीते कई सालों से गुरुग्राम के मानेसर इलाके में रह रहा है. परिवार की माली और आर्थिक हालत बेहद खराब है. इतना ही नहीं अब सरकारी व्यवस्थाओं की लापरवाही के चलते इस परिवार के सब्र का बांध भी टूट सा गया है. परिजनों ने केंद्र और यूपी सरकार के साथ-साथ मनोहर सरकार पर भी किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं करने का आरोप लगाया है.
कागजों तक सिमटे आश्वासन
शहीद की पत्नी ममता और बेटे विकास की मानें तो योगी सरकार ने जरूर उस समय 25 लाख रुपये की मदद देने की पेशकश की थी और साथ ही शहीद स्मारक बनाने और सड़क का नाम शहीद कौशल कुमार रावत के नाम पर रखने की घोषणा की थी, लेकिन शहीद के परिवार की माने तो 25 लाख रुपय की मदद के बाद सरकार सब कुछ भूल गई. उस समय जो घोषणाएं की गई थी वो सिर्फ कागजों तक सिमट के रह गई, जिनको पूरा करने के लिए पिछले कई महीनो से ये परिवार भटक रहा है.