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जज्बा: जब सरकार ने नहीं सुनी तो खिलाड़ियों ने खुद बदली बदहाल स्टेडियम की तस्वीर

जिले के वॉलीबॉल खिलाड़ियों ने बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर पिरथला के बदहाल स्टेडियम को एक नया रूप दिया और इसे खेलने योग्य बनाया.

बदहाल स्टेडियम की बदली तस्वीर
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Published : Jun 30, 2019, 12:42 PM IST

फतेहाबाद: पिरथला का स्टेडियम तो याद होगा जहां कुछ दिन पहले तक आवार पशु घूमते दिखाई देते थे. ये स्टेडियम खेलने की जगह कम और पशुओं का आरामगृह ज्यादा लगता था. लेकिन वो कहते हैं ना कि इंसान अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता बस मन में तस्वीर बदलने का हौसला होना चाहिए. ऐसा ही कुछ किया गांव पिरथला के खिलाड़ियों ने और इन्हें साथ मिला ग्राम पंचायत का.

पेड़ के रख रखाव का लिया जिम्मा
बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर यहां के खिलाड़ियों ने पर्यावरण दिवस के दिन से यहां पेड़ लगाने की शुरूआत की. पहले इन्होंने यहां 25 पौधे लगाए और रविवार को यहां 100 पौधे और लगाए गए. खिलाड़ियों ने न सिर्फ इस ग्राउंड का हाल बदला बल्कि इसे खेलने योग्य भी बनाया. इतना ही नहीं सभी खिलाड़ियों ने ये फैसला लिया है कि वो इन पेड़ों का पूरा ख्याल रखेंगे और पर्यावरण को शुद्ध बनाएंगे.

क्लिक कर देखें वीडियो

बदहाल स्टेडियम को लेकर ग्राम पंचायत और खिलाड़ियों ने कई बार सरकार और अधिकारियों से शिकायत की. लेकिन ना तो सरकार ने खिलाड़ियों की सुनी और ना ही अधिकारियों ने. कहीं से मदद ना मिलती देख खिलाड़ियों ने ग्राम पंचायत के साथ मिलकर खुद ही स्टेडियम की स्थिति को सही करने की ठानी.

ये भी पढ़ें- दुनिया का ऐसा अनोखा स्टेडियम जहां खिलाड़ी हैं कम और आवारा पशु ज्यादा

फतेहाबाद: पिरथला का स्टेडियम तो याद होगा जहां कुछ दिन पहले तक आवार पशु घूमते दिखाई देते थे. ये स्टेडियम खेलने की जगह कम और पशुओं का आरामगृह ज्यादा लगता था. लेकिन वो कहते हैं ना कि इंसान अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता बस मन में तस्वीर बदलने का हौसला होना चाहिए. ऐसा ही कुछ किया गांव पिरथला के खिलाड़ियों ने और इन्हें साथ मिला ग्राम पंचायत का.

पेड़ के रख रखाव का लिया जिम्मा
बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर यहां के खिलाड़ियों ने पर्यावरण दिवस के दिन से यहां पेड़ लगाने की शुरूआत की. पहले इन्होंने यहां 25 पौधे लगाए और रविवार को यहां 100 पौधे और लगाए गए. खिलाड़ियों ने न सिर्फ इस ग्राउंड का हाल बदला बल्कि इसे खेलने योग्य भी बनाया. इतना ही नहीं सभी खिलाड़ियों ने ये फैसला लिया है कि वो इन पेड़ों का पूरा ख्याल रखेंगे और पर्यावरण को शुद्ध बनाएंगे.

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बदहाल स्टेडियम को लेकर ग्राम पंचायत और खिलाड़ियों ने कई बार सरकार और अधिकारियों से शिकायत की. लेकिन ना तो सरकार ने खिलाड़ियों की सुनी और ना ही अधिकारियों ने. कहीं से मदद ना मिलती देख खिलाड़ियों ने ग्राम पंचायत के साथ मिलकर खुद ही स्टेडियम की स्थिति को सही करने की ठानी.

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Intro:गांव का स्टेडियम खो रहा था अपना खेल स्वरूप, ख्ख्खिलाडियों ने फोन की बजाए मैदान को दी पहल, दिया सन्देश मोबाईल पर नहीं मैदान में आकर खेलो स्वास्थ्य भी बचेगा, मैदान भी बचेगा व गांव का नाम भी रोशन होगा।Body:इसान अगर चाहे क्या नहीं कर सकता बस मन में तस्वीर बदलने का हौसला होना चाहिए ऐसा ही कुछ गांव पिरथला के खेल स्टेडियम के वर्तमान हालात देख कर आप अंदाजा लगा सकते है जहंा कुछ तस्वीर बदली है व अभी काफी बदलना बाकी है पर जितना बदला है उससे इन युवाओं के हौसले को आसानी से समझा जा सकता है। आपको याद ही होगा गांव पिरथला का वो स्टेडियम जिसमें खरपतवार था पशु घुमते दिखाई देते थे। इन हालातों को बदलने का इरादा कुछ खिलाडिय़ों ने किया जिनका साथ दिया गा्रम पंचायत ने जिसके बाद आज यहां के हालात बदल -बदले से नजर आते है। गा्रउंड में साफ सफाई है पर्यावरण दिवस पर बुर्जगों से प्ररेणा लेकर 25 पौधों से शुरूवात की गई आज यहां 100 पौधे और लगाए गए है। आगे का लक्ष्य 183 पौधो के साथ तैयार है जहां बारिश के दिनों में पौधे लगाए जाने है। आज यहां गा्रउड के हालात युवा खिलाडिय़ों ने गा्रम पंचायत के सहयोग से बदले हैै। उनका कहना है उनकी तरफ से यह कार्य जारी रहेगा धीर-धीरे यहां पर अन्य सुविधाओं में भी ईजाफा करेगे।

खिलाड़ी अजय ने बताया कि यहां सभी बालीबाली के खिलाडिय़ों ने मिलकर गा्रंउड में 100 पौधे लगाए है इसमें उनहे गा्रम सरपंच की पुरी सहायत मिल रही है सभी खिलाडिय़ों ने निर्णय लिया है कि इन पौधों को वो बड़ा भी करेगे इनका पुरा पोषण करेगे। इसके साथ ही यहां पर पानी की व्यवस्था भी करेगे। पर्यावरण को बचाने के लिए भी पौधारोपण बेहद जरूरी है। इसके अलाव उनका यह भी कहना था कि ख्ख्खिलाडी के लिए खेल से बढकर कुछ नहीं होता, कुछ लडके फोन पर खेल खेलते है उनको चाहिए की ग्राउड में आकर खेले। इससे गांव का नाम भी रोशन होगा व शरीर भी स्वस्थ होगा।

इसकी प्ररेणा कहा से मिली पर जानकारी देते हुए रोहताश ने बताया कि यहां पर धर्मशाला थी जहां पर कोई पौधा नही था छाया नहीं थी वहां पर गांव के बुर्जगों ने अपने दम पर पौधे लगाए जिससे वहां आज हरियाली नजर आती है ऐसा ही उनहोनें भी सोचा की जब बुर्जग कर सकते है तो वो क्यों नहीं कर सकते। इसकी शुरूवात भी पर्यावरण दिवस से उनके द्वारा की गई है। Conclusion:विजुवल -
bite1 - ख्खिलाडी अजय व रोहताश गांव पिरथला
vis1- गा्रउड में पौधा रोपण करते हुए युवा खिलाडी व रूप बदलता खेल स्टेडियम
vis2- old shot
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