फतेहाबाद: गर्मियों के दिनों में मच्छर बड़ी मुसीबत बन सकते हैं. इसको लेकर वैसे तो प्रत्येक वर्ष स्वास्थ्य विभाग सर्तकता रखता है. लेकिन इस साल चमकी बुखार ने स्वास्थ्य विभाग की माथे पर चिन्ता की रेखाएं बढ़ा दी हैं. इसको लेकर टोहाना के सामान्य अस्पताल में विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के जिम्मेदार स्वास्थ्य कर्मियों उपस्थित रहे.
सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. हरविन्द्र सिंह सागू ने कहा कि इस मौसम में प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मी को मुस्तैद होने की जरूरत है. क्योंकि जहां इस महीने में शहर में बाहर से कामगार का आना होता है. वहीं इसी समय में मच्छर भी भयंकर रूप से पैदा होता है. इसलिए प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मी को अपने इलाके में प्रत्येक घर में जाकर डेंगू, मलेरिया और बुखार की जानकारी तुरंत लेकर विभाग को सूचित करना होगा. अगर ऐसा नहीं होता तो संबंधित कर्मी पर कार्रवाई की जा सकती है. उन्होनें ये भी बताया कि इस मौसम में मच्छरों से निपटने के लिए फोगिंग के लिए नगर परिषद को भी निर्देंश जारी किए गए हैं.
कैसे फैलता है मलेरिया?
एक पैरासाइट प्लासमोडियम के कारण, ये रोग संक्रमित एनोफेलीज मच्छरों के काटने के माध्यम से फैलता है. ये पैरासाइट्स लिवर में बढ़ते जाते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं. इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और उल्टियां शामिल हैं. अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा हो सकता है,.
क्या होता है क्यूलेक्स?
ये फाइलेरिया मच्छर से फैलाता है. मादा 150-200 अंडे देती है. ये भी शाम के समय में लोगों को काटती है. यदि कोई संक्रमित मादा मच्छर अंडे देती है तो उससे पैदा होने वाले सारे मच्छर पहले से ही इन्फेक्शन लिए होंगे और किसी भी हेल्दी आदमी को काटेंगे तो उसे बीमार बना देंगे.
कैसे होता है चिकनगुनिया?
ये भी डेंगू की तरह फैलने वाली बीमारी है. इसे भी मादा ऐडीज मच्छर ही फैलाते हैं. इसमें बुखार के साथ-साथ जोड़ों में ज्यादा दर्द होता है.
ज़िका फीवर क्या है?
ज़िका वायरस भी एडीज प्रजातियों के मच्छरों के काटने से फैलती है. इसके लक्षण हल्के होते हैं और इसमें बुखार, ज्वाइंट मसल्स पेन या दाने उठना है.
मच्छरों से कैसे बचें?
घर में मॉस्कीटो रिपेलेंट जला कर रखें. ज्यादातर लोग इसे रात को जलाते हैं. रात को सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं. यदि ये इन्सेक्टिसाइड से ट्रीट की हुई हो तो और अच्छा होगा.
पाइकाराइडिन
ये एक नया रिपेलेंट है और असरदार भी माना जाता है. ये मच्छरों को अपने शिकार को पहचानने से भ्रमित करता है. इसकी गंध ज्यादा तेज नहीं होती. 20% क्षमता के साथ इससे बने रिपेलेंट मच्छरों को 8 से 14 घंटे तक दूर रखते हैं.
लेमन यूकलिप्टस ऑइल
ये नेचुरल रिपेलेंट है और छोटे बच्चों के लिए ठीक रहता है. इसके अलावा नेचुरल प्लांट ऑयल (सीडर, सिट्रानेल, लेमनग्रास और रोजमैरी) से बने रिपेलेंट भी बाजारों में उपलब्ध हैं. हालांकि ये रिपेलेंट एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी से, जो रिपेलेंट की क्षमता और पर्यावरण पर उसके असर को तय करती है, मान्यता प्राप्त नहीं हैं. फिर भी विशेषज्ञ इन्हें असरदार मानते हैं.