फतेहाबादः बीती रात फतेहाबाद में तेज बारिश हुई. इस बारिश में मंडियों में रखी धान की बोरियां भीग गई. वहीं अगली सुबह धान की ढेरियां पानी में तैर रही थी. किसानों का कहना है कि मार्केट कमेटी की ओर से बारिश से बचने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की गई थी. जिसके कारण तेज बारिश में उनकी सारी धान की बोरियां भीग गई. जिला व्यापार मंडल ने भी मार्केट कमेटी पर लापरवाही और अनदेखी के आरोप लगाए हैं.
मंडी में नहीं कोई व्यवस्था
हरियाणा का किसान पहले ही पराली जलाने के मामले को लेकर लगातार परेशानियां झेल रहा है. वहीं अब मंडी में भी अपनी फसल बेचने के लिए पहुंचे किसान को मौसम की मार का सामना करना पड़ रहा है. फतेहाबाद में रात को हुई तेज बारिश में किसान का धान भीग गया. मार्केट कमेटी कि तरफ से किसानों के लिए तिरपाल की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. जिसके चलते अनाज मंडी में खुले में पड़ा किसानों का धान पूरी तरह से बारिश मे भीगता रहा.
खुले आसमान के नीचे पड़ा 'सोना'
किसानों का कहना है कि तिरपाल के साथ-साथ अनाज मंडी में पानी निकासी की कोई व्यवस्था मार्केट कमेटी ने नहीं की. जिसके कारण बारिश का पानी मंडी में ही जमा हो गया है और पानी निकासी नहीं निकल पाया. किसानों ने बताया कि मंडी शैड के नीचे ज्यादा जगह नहीं होने के चलते अधिकतर किसानों ने खुले आसमान के नीचे ही अपना धान रखा हुआ है. धान की ढेरों में नमी होने के चलते कई किसान काफी दिनों से मंडी में बैठे हैं.
![fatehabad grain market](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4987534_ftb.jpg)
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व्यापार मंडल ने लगाए आरोप
वहीं दूसरी तरफ व्यापार मंडल में भी मार्केट कमेटी की व्यवस्था को लेकर रोष जाहिर किया है. व्यापार मंडल का कहना है कि धान की खरीद शुरू होने से पहले ही व्यापार मंडल ने पत्र लिखकर मार्केट कमेटी को मंडी में पानी की निकासी, तिरपाल की व्यवस्था और लाइट की व्यवस्था ठीक करवाने के लिए आग्रह किया था. लेकिन मार्केट कमेटी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. अब रात को हुई तेज बारिश के चलते किसानों और व्यापारियों दोनों का धान पूरी तरह से भीग गया.
![crops soaked in fatehabad grain market](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4987534_fatehabad.jpg)
'बेबस' हुआ किसान
गौरतलब है कि बारिश में धान भीगने के चलते सरकारी खरीद एजेंसियां और व्यापारी धान को ओने-पौने दामों पर खरीदेंगी. जिससे घाटा किसान का ही हो रहा है. अब मामला भले ही पराली जलाने का हो या फसल के भीगने का इसका जुर्माना तो बेबस किसान को ही भरना होगा.
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