फरीदाबाद: वैसे तो फरीदाबाद नगर निगम अपने कारनामों के लिए काफी चर्चित रहता है लेकिन इस बार जो मामला सामने आया हैं उसे जानने के बाद आप भी कहेंगे वाकई नगर निगम फरीदाबाद को तो अब कारनामाओं की आदत सी हो गई है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि नगर निगम की करतूत बयां कर रही है. फरीदाबाद में नगर निगम की लापरवाही की हद पार होने वाली करतूत का खुलासा हुआ है.
दरअसल कोरोना काल के दौरान सब कुछ ठप पड़ गया था. वाहनों का आवागमन भी बंद हो गया था. इस दौरान अकाल मौतें हो रहीं थी. उस दौरान अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ रही थी. ऐसे में फरीदाबाद के शवदाह गृहों में शवों को जलाने के लिए लकड़ियों की भी भारी किल्लत थी. प्रदेश सरकार ने पहल करते हुए कुरुक्षेत्र और कैथल से 13 मई 2021 से 5 जुलाई 2021 तक 210 टन लकड़ियां नगर निगम को मुहैया करवाई थी. इन लकड़ियों की कीमत (7 lakh wood wasted in Faridabad) करीब 7 लाख रुपये थी.
इन लकड़ियों को फरीदाबाद के अलग-अलग शवदाह गृहों में भेजा जाना चाहिए था. जब कोरोना मरीजों की एक के बाद एक मौत हो रही थी. लेकिन नगर निगम की लापरवाही की वजह से इन लकड़ियों को शवदाह गृह में नहीं भेजा गया. धीरे-धीरे कोरोना के मामले भी कम होने लगे और मौतों की संख्या में भी कमी आने लगी और धीरे-धीरे कोरोना महामारी भी कम हो गई.
उधर अधिकारी भी चिंतामुक्त हो गए अब हाल यह है कि भारी संख्या में लकड़ियां नगर निगम प्रांगण में सड़ रही हैं, लकड़ियों का रत्ती भर भी प्रयोग नहीं किया गया. मतलब जैसे लकड़ी को नगर निगम के प्रांगण में डंप किया गया था वैसे के वैसे ही ये लकड़ियां यहां पर है. वहीं कई बार बारिश भी हुई ऐसे में लकड़ियां पूरी तरह से सड़ (Woods wasted in Faridabad Municipal Corporation) रही है.
आलम ये है कि दीमक ने लकड़ियों को खाना शुरू कर दिया है. कमाल की बात है नगर निगम के दफ्तर में नगर निगम के बड़े अधिकारी बैठते हैं और ऐसे में किसी भी अधिकारी का ध्यान इस तरफ नहीं आया. लगभग डेढ़ साल से लकड़ियां जस की तस ही पड़ी है. वहीं मीडिया में मामला आने के बाद नगर निगम के वरिष्ठ निरीक्षक राजेंद्र दहिया का कहना है कि प्रदेश सरकार ने कोरोना के दौरान यह लकड़ियां फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Municipal Corporation) को भिजवाई थी.
उन्होंने कहा कि इन लकड़ियों को अलग-अलग शवदाह गृह में भेजा जाना था लेकिन जब से लकड़ियां यहां पहुंची उसके बाद कोरोना के मामले धीरे-धीरे कम होने लगे. अधिकारियों से बात हुई है 10 परसेंट कोटा रखकर इन लकड़ियों की बोली लगाएंगे. गौरतलब है कि शवदाह गृह में लकड़ी 300 रुपये प्रति क्विंटल मिलती है और 50 रुपये किराए भाड़े का यानी 350 रुपये प्रति क्विंटल शवदाह गृह में लकड़ी मिलती है.
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इन लकड़ियों को अलग-अलग जिलों से लाने के लिए नगर निगम को करीब 7 लाख रुपये किराया भी चुकाना पड़ा था. ऐसे में इन लकड़ियों को जिले के सभी शवदाह गृह में दे देना चाहिए था. अगर ऐसा ना हो पाता तो ऐसे में सेवा शक्ति दल को सभी लकड़ियां दे देनी चाहिए थी. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जो लावारिस शव जिले में मिलते हैं और उनकी निर्धारित समय 72 घंटे के अंदर पहचान नहीं हो पाती है तो ऐसे में सेवा शक्ति दल संस्था उन लाशों का अंतिम संस्कार करती है. (Wood worth 7 lakhs was wasted in Faridabad)
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