फरीदाबाद: हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी को बहुत ही खास माना जाता है. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव का मिलन होता है. अगर इस दिन कोई सच्चे मन से उनकी पूजा पाठ और आराधना करे तो सीधा बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इसके अलावा उनके सारे पाप दूर हो जाते हैं. इस बार 25 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी है.
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की मुलाकात: ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए आचार्य श्री महेश भैया जी ने बताया कि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की मुलाकात होती है. बैकुंठ चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा आराधना करने से भक्तों के सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं साथ ही बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमः शिवाय या ॐ नमो नारायणाय' का जाप दिन भर मन में करते रहें. इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी करना चाहिए.
बैकुंठ चतुर्दशी शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त 25 नवंबर शाम 5 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर, अगले दिन यानी 26 नवंबर 3 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. शुभ फल के लिए बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा पाठ और भगवान की आराधना करें.
बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि: पंडित के अनुसार सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. दिनभर व्रत में रहें और शुभ मुहूर्त में भगवान के मंदिर जाकर या फिर घर में ही भगवान विष्णु और भोले बाबा की तस्वीर रखकर उनके सामने घी का दिया जलाएं. इसके अलावा पांच तरह के फल, पांच तरह की मिठाई उन्हें अर्पित करें. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव पर माला चढ़ाएं. उसके अलावा पूरी निष्ठा से उनकी पूजा करें. इस दौरान भोले बाबा को बेलपत्र, अक्षत, चंदन जरूर चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शंकर और भगवान विष्णु की आरती करें. अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले इसी तरह से पूजा करके पारण करें.
बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व: बता दें कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की मुलाकात होती है और जो भी भक्त पूरे निष्ठा से इन भगवानों का पूरे विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं उनको बैकुंठ की प्राप्ति होती है. यानी जहां एक तरफ उनका सारा पाप कट जाता है, वहीं उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि भक्तों में बैकुंठ चतुर्दशी को लेकर काफी उत्साह रहता है. इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है.
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