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फरीदाबाद नगर निगम घोटाला: 200 करोड़ के घोटाले में चीफ इंजीनियर सहित दो निलंबित

फरीदाबाद नगर निगम में हुए बहुचर्चित 200 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. घोटाले के इस बार सुर्खियों में आने की वजह यह है कि इस मामले में दो अधिकारियों का निलंबन हुआ है. जिन दो अधिकारियों का निलंबन हुआ है उनमें नगर निगम के चीफ इंजीनियर रहे डीआर भास्कर और एक्सईएन रमन शर्मा का नाम शामिल है

Faridabad Municipal Corporation scam
फरीदाबाद नगर निगम घोटाला: 200 करोड़ के घोटाले में चीफ इंजीनियर सहित दो निलंबित
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Published : May 11, 2022, 1:58 PM IST

Updated : May 11, 2022, 10:17 PM IST

फरीदाबाद: दो साल पहले फरीदाबाद नगर निगम में हुए बहुचर्चित 200 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. घोटाले के इस बार सुर्खियों में आने की वजह यह है कि इस मामले में दो अधिकारियों का निलंबन हुआ है. जिन दो अधिकारियों का निलंबन हुआ है उनमें नगर निगम के चीफ इंजीनियर रहे डीआर भास्कर और एक्सईएन रमन शर्मा का नाम शामिल है. अर्बन लोकल बॉडी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरुण गुप्ता ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है. डीआर भास्कर वर्तमान में अर्बन लोकल बॉडी चंडीगढ़ में तैनात है जबकि रमन शर्मा हिसार नगर निगम में चीफ इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं.

स्टेट विजिलेंस द्वारा 50 करोड़ रुपये के बिलों के भुगतान करने को लेकर इस मामले के मुख्य आरोपी सतवीर ठेकेदार के बयान पर चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर और एक्सईएन रमन शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत कई धाराओं में केस दर्ज हुआ है. इसके अलावा अदालत के द्वारा दोनों की गिरफ्तारी के वारंट भी जारी हो चुके हैं.

Faridabad Municipal Corporation scam
अर्बन लोकल बॉडी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरुण गुप्ता ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है

कैसे हुआ था घोटाले का खुलासा - यह घोटाला मई 2020 में उजागर हुआ था. फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों ने तत्कालीन निगम आयुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने ठेकेदार सतबीर की विभिन्न फर्मों को बिना काम किए भुगतान कर दिया है. निगम आयुक्त ने पहले अपने स्तर पर मामले की जांच कराई. ठेकेदार को भुगतान में अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने विजिलेंस से जांच की सिफारिश की.

विजिलेंस ने जब साल 2020 में इस घोटाले की जांच शुरू की तो सबसे ठेकेदार सतबीर, कार्यकारी अभियंता प्रेमराज, कनिष्ठ अभियंता शेर सिंह, लिपिक पंकज कुमार, प्रदीप, लेखा शाखा लिपिक तस्लीम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया. विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर की चार फर्मों के बैंक खातों की जांच की. उसके खातों में नगर निगम की तरफ से 190 करोड़ रुपये का भुगतान मिला. इसमें एक मुकदमा 28 मार्च को दर्ज किया गया था.

छह अप्रैल को विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर को गिरफ्तार कर लिया. सतबीर ने विजिलेंस को बताया कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड मुख्य अभियंता डीआर भास्कर है. इसके बाद विजिलेंस ने डीआर भास्कर को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया. मगर डीआरभास्कर अपना मोबाइल बंद कर फरार हो गया. उसके विदेश भागने की आशंका को देखते हुए विजिलेंस ने उसके खिलाफ सभी एयरपोर्ट पर लुकआउट नोटिस भी जारी कराया है.

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फरीदाबाद: दो साल पहले फरीदाबाद नगर निगम में हुए बहुचर्चित 200 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. घोटाले के इस बार सुर्खियों में आने की वजह यह है कि इस मामले में दो अधिकारियों का निलंबन हुआ है. जिन दो अधिकारियों का निलंबन हुआ है उनमें नगर निगम के चीफ इंजीनियर रहे डीआर भास्कर और एक्सईएन रमन शर्मा का नाम शामिल है. अर्बन लोकल बॉडी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरुण गुप्ता ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है. डीआर भास्कर वर्तमान में अर्बन लोकल बॉडी चंडीगढ़ में तैनात है जबकि रमन शर्मा हिसार नगर निगम में चीफ इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं.

स्टेट विजिलेंस द्वारा 50 करोड़ रुपये के बिलों के भुगतान करने को लेकर इस मामले के मुख्य आरोपी सतवीर ठेकेदार के बयान पर चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर और एक्सईएन रमन शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत कई धाराओं में केस दर्ज हुआ है. इसके अलावा अदालत के द्वारा दोनों की गिरफ्तारी के वारंट भी जारी हो चुके हैं.

Faridabad Municipal Corporation scam
अर्बन लोकल बॉडी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरुण गुप्ता ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है

कैसे हुआ था घोटाले का खुलासा - यह घोटाला मई 2020 में उजागर हुआ था. फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों ने तत्कालीन निगम आयुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने ठेकेदार सतबीर की विभिन्न फर्मों को बिना काम किए भुगतान कर दिया है. निगम आयुक्त ने पहले अपने स्तर पर मामले की जांच कराई. ठेकेदार को भुगतान में अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने विजिलेंस से जांच की सिफारिश की.

विजिलेंस ने जब साल 2020 में इस घोटाले की जांच शुरू की तो सबसे ठेकेदार सतबीर, कार्यकारी अभियंता प्रेमराज, कनिष्ठ अभियंता शेर सिंह, लिपिक पंकज कुमार, प्रदीप, लेखा शाखा लिपिक तस्लीम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया. विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर की चार फर्मों के बैंक खातों की जांच की. उसके खातों में नगर निगम की तरफ से 190 करोड़ रुपये का भुगतान मिला. इसमें एक मुकदमा 28 मार्च को दर्ज किया गया था.

छह अप्रैल को विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर को गिरफ्तार कर लिया. सतबीर ने विजिलेंस को बताया कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड मुख्य अभियंता डीआर भास्कर है. इसके बाद विजिलेंस ने डीआर भास्कर को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया. मगर डीआरभास्कर अपना मोबाइल बंद कर फरार हो गया. उसके विदेश भागने की आशंका को देखते हुए विजिलेंस ने उसके खिलाफ सभी एयरपोर्ट पर लुकआउट नोटिस भी जारी कराया है.

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Last Updated : May 11, 2022, 10:17 PM IST
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