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सूरजकुंड मेले में सिक्कों का संग्राहलय, यहां आपको मिलेगा रुपये का इतिहास, जानें क्या है खासियत

फरीदाबाद सूरजकुंड मेले 2023 में काफी अहम और अनोखी चीजें देखने को मिलती हैं. शायद वो भी जो आपको कहीं ना मिली हो. क्योंकि यहां पर दूर-दूर से आए लोगों ने अलग अलग तरह की चीजों की स्टॉल लगाई है. जो यहां आने वाले लोगों के लिये आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. ईटीवी भारत पर आप उन पुराने सिक्कों का इतिहास देखिये जो आज से हजारों सालों पुराना है.

Surajkund mela in Faridabad
Surajkund mela in Faridabad
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Published : Feb 18, 2023, 8:27 PM IST

सूरजकुंड मेले में सिक्कों का संग्राहलय, यहां आपको मिलेगा रुपये का इतिहास, जानें क्या है खासियत

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में सूजरकुंड हस्तशिल्प मेले में आपको कई तरह की चीजें देखने को मिल जाएंगी. जिसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी, वो भी आपको इस मेले में देखने को मिलेंगी. अक्सर आपने सुना होगा लोगों को कहते हुए कि मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं है. आज की नई पीढ़ी फूटी कौड़ी के बारे में सुनते आए हैं पर उन्होंने फूटी कौड़ी को देखा नहीं है. आज आपको इस रिपोर्ट में फूटी कौड़ी से हम रूबरू करवाएंगे. जिसे मुगल साम्राज्य ने चलाया था.

Surajkund mela in Faridabad
काफी पुराना है सिक्कों का इतिहास

पुराने सिक्कों ने बढ़ाई स्टॉल की शोभा: आपको बता दें 36वां अन्तर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला जिसमें पर्यटकों को फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा, आना और रुपये की स्टॉल ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस स्टॉल पर पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन, दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्कों की पर्यटक जमकर खरीदारी कर रहे हैं. हिसार के रहने वाले मास्टर बिजेन्द्र सिंह ने इन सिक्कों की क्लेक्शन की है.

Surajkund mela in Faridabad
एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के मौजूद

सिक्कों का संग्राहलय बना आकर्षण का केंद्र: इनमें मुख्य रूप से फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा आना और रूपया और पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल काल के तथा कई अन्य सिक्के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के देखने और खरीदने के लिए मिल रहें हैं. वहीं एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, दौ सौ, पांच सौ, एक हजार और दो हजार रुपये के नोट भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

Surajkund mela in Faridabad
सूरजकुंड मेले में सिक्कों का संग्राहलय

पुराने सिक्कों से रोजगार: ईटीवी भारत से बातचीत में मास्टर बिजेंद्र सिंह ने बताया उनको बचपन से ही सिक्के इकट्ठे करने का शौक था. वह जब 7 साल पहले नेपाल गए तब उनकी उस रुचि को पंख मिल गया. क्योंकि वहां पर भी कई सारे नोटों और सिक्कों का कलेक्शन उन्होंने किया. उसके बाद इंडिया आकर उन्होंने अपने शौक को रोजगार बनाया और इस काम में जुट गए. मास्टर बिजेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके पास राजा महाराजाओं से लेकर सभी तरह के सिक्के हैं.

Surajkund mela in Faridabad
मुगल शासन के दौरान के सिक्के

विदेशी नोटों की भी क्लेक्शन: अकबर के काल में क्या चलता था, मुगल शासन के दौरान किन सिक्कों का प्रचलन था, दिल्ली सल्तनत में कौन से सिक्के चलते थे. कई हजार साल पहले अलग-अलग राजाओं द्वारा अलग-अलग सिक्के चलाए गए थे. वह तमाम सिक्के उनके पास है, जिसका कलेक्शन बहुत ज्यादा हो चुका है. इसीलिए में अब इसे वो बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास पुराने विदेशी नोटों का भी कलेक्शन है. जिसमें एक विदेशी नोट 50 करोड़ रुपये का भी है. लेकिन अब वो नोट विदेशों में बंद हो चुका है.

ऑनलाइन दाम है बेहद ज्यादा: गौरतलब है कि जिन सिक्कों के बारे में हमने किताबों में पढ़ा है, जिन राजाओं के बारे में हम सुनते आए हैं. उनके जमाने में उन राजाओं द्वारा कौन से सिक्के चलाए जाते थे. वह तमाम सिक्के सूरजकुंड मेले में मौजूद है और यही वजह है कि मास्टर बिजेंद्र के इंस्टॉल पर जहां लोग इन सिक्कों को देखते हैं. उन्हें छूकर महसूस करते हैं, वहीं जमकर इन सिक्कों की खरीदारी भी कर रहे हैं. खरीदारी की बात करें तो ऑनलाइन इन सिक्कों का रेट बहुत ही ज्यादा होता है.

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50 करोड़ रुपये का नोट

ये भी पढ़ें: महाशिवरात्रि 2023: हर-हर महादेव के जयकारे से गूंजा शिव दरबार, भक्तों ने गंगाजल चढ़ाकर मनाया उत्सव

मेले में इतना है सिक्कों का रेट: सूरजकुंड मेले में इन सिक्कों का रेट बहुत ही कम रखा गया है. यानी आप यदि अकबर के जमाने का एक सिक्का लेते हैं, तो उसके लिए आपको सौ से डेढ़ सौ रुपए चुकाने पड़ेंगे. तो यदि आप भी सूरजकुंड मेले में आते हैं, तो जरूर इस स्टॉल पर आइए और जिन सिक्कों के बारे में हमने आपने पढ़ा है. उन सिक्कों को आप देखिए उनको महसूस कीजिए. इसे खरीद कर अच्छी क्लेक्शन कीजिए.

ये भी पढ़ें: Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर बना विशेष संयोग, शनि प्रदोष व्रत होने से भक्तों पर बरस रही विशेष कृपा, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधान

सूरजकुंड मेले में सिक्कों का संग्राहलय, यहां आपको मिलेगा रुपये का इतिहास, जानें क्या है खासियत

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में सूजरकुंड हस्तशिल्प मेले में आपको कई तरह की चीजें देखने को मिल जाएंगी. जिसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी, वो भी आपको इस मेले में देखने को मिलेंगी. अक्सर आपने सुना होगा लोगों को कहते हुए कि मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं है. आज की नई पीढ़ी फूटी कौड़ी के बारे में सुनते आए हैं पर उन्होंने फूटी कौड़ी को देखा नहीं है. आज आपको इस रिपोर्ट में फूटी कौड़ी से हम रूबरू करवाएंगे. जिसे मुगल साम्राज्य ने चलाया था.

Surajkund mela in Faridabad
काफी पुराना है सिक्कों का इतिहास

पुराने सिक्कों ने बढ़ाई स्टॉल की शोभा: आपको बता दें 36वां अन्तर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला जिसमें पर्यटकों को फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा, आना और रुपये की स्टॉल ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस स्टॉल पर पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन, दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्कों की पर्यटक जमकर खरीदारी कर रहे हैं. हिसार के रहने वाले मास्टर बिजेन्द्र सिंह ने इन सिक्कों की क्लेक्शन की है.

Surajkund mela in Faridabad
एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के मौजूद

सिक्कों का संग्राहलय बना आकर्षण का केंद्र: इनमें मुख्य रूप से फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा आना और रूपया और पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल काल के तथा कई अन्य सिक्के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के देखने और खरीदने के लिए मिल रहें हैं. वहीं एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, दौ सौ, पांच सौ, एक हजार और दो हजार रुपये के नोट भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

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सूरजकुंड मेले में सिक्कों का संग्राहलय

पुराने सिक्कों से रोजगार: ईटीवी भारत से बातचीत में मास्टर बिजेंद्र सिंह ने बताया उनको बचपन से ही सिक्के इकट्ठे करने का शौक था. वह जब 7 साल पहले नेपाल गए तब उनकी उस रुचि को पंख मिल गया. क्योंकि वहां पर भी कई सारे नोटों और सिक्कों का कलेक्शन उन्होंने किया. उसके बाद इंडिया आकर उन्होंने अपने शौक को रोजगार बनाया और इस काम में जुट गए. मास्टर बिजेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके पास राजा महाराजाओं से लेकर सभी तरह के सिक्के हैं.

Surajkund mela in Faridabad
मुगल शासन के दौरान के सिक्के

विदेशी नोटों की भी क्लेक्शन: अकबर के काल में क्या चलता था, मुगल शासन के दौरान किन सिक्कों का प्रचलन था, दिल्ली सल्तनत में कौन से सिक्के चलते थे. कई हजार साल पहले अलग-अलग राजाओं द्वारा अलग-अलग सिक्के चलाए गए थे. वह तमाम सिक्के उनके पास है, जिसका कलेक्शन बहुत ज्यादा हो चुका है. इसीलिए में अब इसे वो बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास पुराने विदेशी नोटों का भी कलेक्शन है. जिसमें एक विदेशी नोट 50 करोड़ रुपये का भी है. लेकिन अब वो नोट विदेशों में बंद हो चुका है.

ऑनलाइन दाम है बेहद ज्यादा: गौरतलब है कि जिन सिक्कों के बारे में हमने किताबों में पढ़ा है, जिन राजाओं के बारे में हम सुनते आए हैं. उनके जमाने में उन राजाओं द्वारा कौन से सिक्के चलाए जाते थे. वह तमाम सिक्के सूरजकुंड मेले में मौजूद है और यही वजह है कि मास्टर बिजेंद्र के इंस्टॉल पर जहां लोग इन सिक्कों को देखते हैं. उन्हें छूकर महसूस करते हैं, वहीं जमकर इन सिक्कों की खरीदारी भी कर रहे हैं. खरीदारी की बात करें तो ऑनलाइन इन सिक्कों का रेट बहुत ही ज्यादा होता है.

Surajkund mela in Faridabad
50 करोड़ रुपये का नोट

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मेले में इतना है सिक्कों का रेट: सूरजकुंड मेले में इन सिक्कों का रेट बहुत ही कम रखा गया है. यानी आप यदि अकबर के जमाने का एक सिक्का लेते हैं, तो उसके लिए आपको सौ से डेढ़ सौ रुपए चुकाने पड़ेंगे. तो यदि आप भी सूरजकुंड मेले में आते हैं, तो जरूर इस स्टॉल पर आइए और जिन सिक्कों के बारे में हमने आपने पढ़ा है. उन सिक्कों को आप देखिए उनको महसूस कीजिए. इसे खरीद कर अच्छी क्लेक्शन कीजिए.

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