फरीदाबाद: हरियाणा में जिला फरीदाबाद पुलिस ने सोनीपत में तत्कालीन सोनीपत नगर निगम कमिश्नर IAS धर्मेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है. IAS धर्मेंद्र पर रिश्वत का आरोप है. वर्तमान में वो बतौर एडिशनल रेजिडेंट कमिश्नर पद पर हरियाणा भवन में नियुक्त थे. जांच में पाया गया है कि 1.10 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में सोनीपत नगर निगम के कई अधिकारी और कर्मचारी संलिप्त हैं. जिसमे तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर की भी मिलीभगत पाई गई.
ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखकर सोनीपत नगर निगम की बिल्डिंग प्रोजेक्ट को 52.70 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 87.85 करोड़ करने की एज में शिकायतकर्ता से रिश्वत ली थी. बता दें कि दिल्ली निवासी ललित की शिकायत पर जून 2022 में कोतवाली थाने में भ्रष्टाचार अधिनियम व 420, 120B, 406 IPC की धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसकी जांच एसीपी एनआईटी विष्णु प्रसाद कर रहे हैं.
तफ्तीश के दौरान मामले में सबसे पहले रामबीर नाम के दलाल को गिरफ्तार किया गया. जिसके बाद जांच में तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर आईएएस अधिकारी धर्मेंद्र सिंह का नाम सामने आया. लेकिन नाम सामने आने से पुलिस के लिए चुनौती थी, कि एक आईएएस अधिकारी को इस तरह से गिरफ्तार नहीं कर सकती. जिसके बाद मामले में और भी तेजी लाई गई. जब आईएएस अधिकारी के खिलाफ पुख्ता सबूत मिल गए. तब जाकर उसे गुरुग्राम से फरीदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जिसे आज अदालत में पेश करके पुलिस रिमांड पर लिया गया है.
मामले की पूरी जानकारी देते हुए पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि जून 2022 में दिल्ली निवासी शिकायतकर्ता ललित की शिकायत के आधार पर कोतवाली थाने में भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसमें जांच के दौरान सामने आया कि मामले में नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल है. उन्होंने ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए दलाल रामबीर के माध्यम से 1.10 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और नियमों को ताक पर रखकर सोनीपत नगर निगम बिल्डिंग का ठेका 52.70 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 87.85 करोड़ का रिवाइज्ड एस्टीमेट तैयार करके अनुमति के लिए अर्बन लोकल बॉडीज के डायरेक्टर को भेजा गया था.
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इसके बाद तफ्तीश के दौरान टेक्निकल टीम द्वारा बढ़ाए गए एस्टीमेट की जांच करवाई गई. जिसमें टेक्निकल टीम ने जांच में पाया कि नगर निगम सोनीपत के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्रोजेक्ट का रिवाइज्ड एस्टीमेट नियमों की ताक पर रखकर बनाया था और बढ़ाए गए एस्टीमेट को आईएएस अधिकारी ने अनुमति के लिए भेजा था. जिसके बाद मामले में आईएएस अधिकारी धर्मेंद्र सिंह की भी भ्रष्टाचार में संलिप्तता पाई गई.