फरीदाबाद: फरीदाबाद पंचायत विभाग में पिछले कुछ सालों में लगभग 50 करोड़ रुपये के घोटाले सामने आए हैं, लेकिन किसी भी घोटाले में आरोपियों गिरफ्तारी नहीं हुई है. जिस वजह से फरीदाबाद के प्रशासन और पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. पंचायत विभाग का जिम्मा गांव में विकास कराना होता है, लेकिन पंचायत विभाग के अधिकारी इन लोगों के चुने हुए नुमाइंदों के द्वारा गांव के पैसे को दिखाने में लगे हुए हैं.
फरीदाबाद पंचायत विभाग में पिछले कई सालों से लगातार करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आ रहे हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो ये घोटाले 50 करोड़ के करीब हैं और सभी में जांच चल रही है, लेकिन हैरत की बात ये है कि किसी भी घोटाले के आरोप में कोई गिरफ्तारी नहीं है. खानापूर्ति करने के लिए केवल सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है. गांव में विकास कार्यों के नाम पर होने वाले इन घोटालों में पंचायत विभाग के बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारी शामिल हैं.
सबसे बड़ा घोटाला हुआ गांव सोतई में
इनमें सबसे पहला घोटाला है फरीदाबाद के गांव सोतई का. इस गांव में विकास कार्य के नाम पर 22 करोड़ रुपये का गबन सरपंच के द्वारा किया गया और इस गबन में अकेले सरपंच ही नहीं बल्कि विभागीय अधिकारी भी शामिल हैं. इस मामले में ग्राम सचिव सहित सरपंच को सस्पेंड किया गया है और बल्लभगढ़ के उप मंडल अधिकारी के पास जांच चल रही है. जांच को चलते हुए साल भर से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन मामले में अभी तक भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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दूसरा घोटाला है फरीदाबाद की पंचायत गांव मुंझेड़ी का, जिसमें फर्जी बिल लगाकर बिना काम कराए ही 70 लाख रुपये का भुगतान पंचायत विभाग की तरफ से कर दिया गया और इस मामले की मुख्य आरोपी हैं पंचायत विभाग की अधिकारी पूजा शर्मा जिनको ये घोटाला सामने आने के बाद सस्पेंड कर दिया गया. मार्च 2021 में ये घोटाला सामने आया और इस मामले में सरपंच सहित ग्राम सचिव विजयपाल के साथ ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया, लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस का कहना है कि एक आरोपी इसमें हाईकोर्ट से जमानत ले चुका है और मामले की जांच चल रही है, बाकी आरोपियों की भी जल्द गिरफ्तारी की जाएगी.
बिना अनुमति लाखों के मास्क, सैनिटाइजर खरीदे
फरीदाबाद की एक और पंचायत नीमका में कोरोना काल में ग्राम सचिव पवन शर्मा के द्वारा लाखों रुपये के मास्क, सैनिटाइजर बिना किसी परमिशन के खरीदे गए. जिसको लेकर विभाग ने पवन शर्मा को सस्पेंड तो कर दिया है, लेकिन गिरफ्तारी अभी भी नहीं हुई है. इसके अलावा इसी पंचायत में परमजीत नामक ग्राम सचिव ने 15 लाख रुपये पंचायत विभाग के खाते से निकलवा लिए और इसके चलते परमजीत को भी सस्पेंड किया गया है. जिसकी जांच चल रही है.
सस्पेंड हुए कर्मचारी फरमा रहे आराम
गांव महोना में भी कई लाख रुपये के विकास कार्यों में पैसे का गबन किया गया और इसकी भी जांच चल रही है. इन सभी मामलों में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को सस्पेंड जरूर किया गया है, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है. ये मामले काफी लंबे समय से चल रहे हैं. ये घोटाले पंचायत विभाग को दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं, लेकिन जांच के नाम पर खानापूर्ति करके केवल कागज भरे जा रहे हैं. सरकारी कर्मचारी सस्पेंड होने के बाद अपने घर पर बैठकर आराम फरमा रहे हैं, लेकिन पुलिस के हाथ उन तक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे ही छोटे-मोटे दर्जनों घोटाले हैं जिनकी जांच केवल फाइलों तक ही सीमित रह गई है.
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