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आर्थिक पैकेज से कुछ सुक्ष्म, लघु उद्योग संचालक हुए खुश, तो कुछ कन्फ्यूज - सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग हरियाणा

केंद्र की तरफ से जारी 3 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक मदद से सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को राहत दी गई है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने जाना कि इस मदद से फरीदाबाद के किसान कितना खुश हैं.

reaction of msme company owners on economy package 20 lac crore
आर्थिक पैकेज को लेकर कुछ सुक्ष्म, लघु उद्योग संचालक हुए खुश
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Published : May 14, 2020, 7:50 PM IST

फरीदाबाद: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री लोन दिए जाने की घोषणा करने के बाद एमएसएमई से जुड़े लोगों में खुशी देखने को मिल रही है. उनका कहना है की इस पैकेज से छोटे उद्योगों को संजीवनी बूटी मिल गई है, लेकिन वहीं कुछ लोगों को सरकार की योजनाओं पर संशय भी है. उनका कहना है कि घोषणा करने और जमीनी स्तर पर योजना को पहुंचाने में काफी अंतर होता है.

सरकार की तरफ से जारी आर्थिक पैकेज पर हाईवे के शाइनिंग बोर्ड और अन्य कई प्रकार के पार्ट्स बनाने वाले लघु उद्योग संचालक भूपेंद्र ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि लॉकडाउन होने के बाद उनके उद्योग धंधों की हालत खराब हो चुकी है, क्योंकि लॉकडाउन होने के कारण एकदम से उनको काम बीच में रोकना पड़ा. जिस वजह से सारा सिस्टम तबाह हो गया. उन्होंने अपने वर्करों की सैलरी भी दी है. जिस वजह से उनके आर्थिक हालात सही नहीं चल रहे हैं, लेकिन अब एमएसएमई को जो तीन लाख करोड रुपये के राहत पैकेज की बात कही गई है. इससे उनको संजीवनी बूटी मिली है. उन्होंने कहा कि लोन बिना किसी गारंटी के उनके उद्योग को मिलेगा तो निश्चित तौर पर उनके आर्थिक हालात सुधरेंगे.

रिपोर्ट: आर्थिक पैकेज से कुछ सुक्ष्म, लघु उद्योग संचालक हुए खुश, तो कुछ कन्फ्यूज

वहीं कई उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने एमएसएमई के लिए जो फैसले किए हैं. वह काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि छोटे उद्योग बड़े उद्योगों को माल की सप्लाई करते हैं. तो ऐसे में इस आर्थिक पैकेज से छोटे उद्योगों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा की लॉकडाउन होने के चलते अधिकतर लेबर अपने घर जा चुकी है, लेकिन जिस तरह से कर्मचारियों के ईपीएफ का पैसा सरकार ने देने की बात कही है.

'कर्मचारियों में आया आत्मविश्वास'

उद्योगपतियों का कहना है कि इस पैकेज से कर्मचारियों में फिर से आत्मविश्वास जागा हो गया है. साथ ही उन्होंने खुशी जताई कि एक साल तक उनको लोन का कोई पैसा नहीं चुकाना पड़ेगा, साथ ही साथ उन्होंने कहा कि पेपर में सरकारी योजनाएं बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन जब जमीनी हकीकत की बात आती है तो योजनाएं कई बार दम तोड़ती हुई नजर आती हैं. उन्होंने कहा कि अगर इंप्लीमेंट अच्छे से किया जा रहा है तो निश्चित तौर पर ही इस राहत कोष का उद्योगों को लाभ मिलेगा.

'उद्योग नवीनीकरण का चक्र शुरू होगा'

वहीं लघु उद्योग संचालक मुकेश ने बताया वह कार के गियर बॉक्स के पार्ट बनाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की इस घोषणा पैकेज से एमएसएमई से जुड़े उद्योगों को मदद मिलेगी और उद्योगों के नवीनीकरण का जो चक्र है, वह शुरू होगा. अभी तक उद्योग पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाए हैं, लेकिन सरकार की इस घोषणा से छोटे उद्योग को बेहद फायदा होने वाला है.

'पीएफ की छूट से मिलेगी मदद'

उन्होंने कहा कि तीन लाख करोड़ के पैकेज से एमएसएमई के उद्योगों को कच्चा माल खरीदने में सहायता मिलेगी और कर्मचारियों के लिए ईपीएफ और पीएफ के बारे प्रतिशत की राशि जो सरकार जमा करेगी, उससे कंपनियों को सहारा मिलेगा और कर्मचारियों को भी सरकार पर विश्वास कायम होगा कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है.

'सब सही, लेकिन लोन लेकर सैलरी क्यों बांटे'

कुछ एमएसएमई से जुड़े उद्योग संचालक इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार उनको लोन दे रही है और वह उसी लोन से फिर अपने कर्मचारियों को पैसे देंगे. जब सरकार को मदद करनी है तो वह क्यों ना इस लोन पर सब्सिडी दे. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा की तीन लाख करोड़ की घोषणा हुई है, लेकिन लोन लेने के लिए कागजातों का झमेला लगेगा और आधे से ज्यादा उद्योगों को लोन ही नहीं मिल पाएगा. ऐसे में लघु उद्योग मुसीबत में ही फंस कर रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक कि योजना जमीनी स्तर पर इंप्लीमेंट मजबूती के साथ नहीं होगी. इसका लघु उद्योग को कोई फायदा नहीं होगा. उनका सबसे बड़ा सवाल यही था कि हम लोन लेकर सैलरी क्यों बाटे?

ये भी पढ़ें- शराब घोटाले को लेकर विपक्ष हमलावर, सुरजेवाला और सैलजा ने सरकार को घेरा

फरीदाबाद: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री लोन दिए जाने की घोषणा करने के बाद एमएसएमई से जुड़े लोगों में खुशी देखने को मिल रही है. उनका कहना है की इस पैकेज से छोटे उद्योगों को संजीवनी बूटी मिल गई है, लेकिन वहीं कुछ लोगों को सरकार की योजनाओं पर संशय भी है. उनका कहना है कि घोषणा करने और जमीनी स्तर पर योजना को पहुंचाने में काफी अंतर होता है.

सरकार की तरफ से जारी आर्थिक पैकेज पर हाईवे के शाइनिंग बोर्ड और अन्य कई प्रकार के पार्ट्स बनाने वाले लघु उद्योग संचालक भूपेंद्र ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि लॉकडाउन होने के बाद उनके उद्योग धंधों की हालत खराब हो चुकी है, क्योंकि लॉकडाउन होने के कारण एकदम से उनको काम बीच में रोकना पड़ा. जिस वजह से सारा सिस्टम तबाह हो गया. उन्होंने अपने वर्करों की सैलरी भी दी है. जिस वजह से उनके आर्थिक हालात सही नहीं चल रहे हैं, लेकिन अब एमएसएमई को जो तीन लाख करोड रुपये के राहत पैकेज की बात कही गई है. इससे उनको संजीवनी बूटी मिली है. उन्होंने कहा कि लोन बिना किसी गारंटी के उनके उद्योग को मिलेगा तो निश्चित तौर पर उनके आर्थिक हालात सुधरेंगे.

रिपोर्ट: आर्थिक पैकेज से कुछ सुक्ष्म, लघु उद्योग संचालक हुए खुश, तो कुछ कन्फ्यूज

वहीं कई उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने एमएसएमई के लिए जो फैसले किए हैं. वह काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि छोटे उद्योग बड़े उद्योगों को माल की सप्लाई करते हैं. तो ऐसे में इस आर्थिक पैकेज से छोटे उद्योगों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा की लॉकडाउन होने के चलते अधिकतर लेबर अपने घर जा चुकी है, लेकिन जिस तरह से कर्मचारियों के ईपीएफ का पैसा सरकार ने देने की बात कही है.

'कर्मचारियों में आया आत्मविश्वास'

उद्योगपतियों का कहना है कि इस पैकेज से कर्मचारियों में फिर से आत्मविश्वास जागा हो गया है. साथ ही उन्होंने खुशी जताई कि एक साल तक उनको लोन का कोई पैसा नहीं चुकाना पड़ेगा, साथ ही साथ उन्होंने कहा कि पेपर में सरकारी योजनाएं बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन जब जमीनी हकीकत की बात आती है तो योजनाएं कई बार दम तोड़ती हुई नजर आती हैं. उन्होंने कहा कि अगर इंप्लीमेंट अच्छे से किया जा रहा है तो निश्चित तौर पर ही इस राहत कोष का उद्योगों को लाभ मिलेगा.

'उद्योग नवीनीकरण का चक्र शुरू होगा'

वहीं लघु उद्योग संचालक मुकेश ने बताया वह कार के गियर बॉक्स के पार्ट बनाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की इस घोषणा पैकेज से एमएसएमई से जुड़े उद्योगों को मदद मिलेगी और उद्योगों के नवीनीकरण का जो चक्र है, वह शुरू होगा. अभी तक उद्योग पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाए हैं, लेकिन सरकार की इस घोषणा से छोटे उद्योग को बेहद फायदा होने वाला है.

'पीएफ की छूट से मिलेगी मदद'

उन्होंने कहा कि तीन लाख करोड़ के पैकेज से एमएसएमई के उद्योगों को कच्चा माल खरीदने में सहायता मिलेगी और कर्मचारियों के लिए ईपीएफ और पीएफ के बारे प्रतिशत की राशि जो सरकार जमा करेगी, उससे कंपनियों को सहारा मिलेगा और कर्मचारियों को भी सरकार पर विश्वास कायम होगा कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है.

'सब सही, लेकिन लोन लेकर सैलरी क्यों बांटे'

कुछ एमएसएमई से जुड़े उद्योग संचालक इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार उनको लोन दे रही है और वह उसी लोन से फिर अपने कर्मचारियों को पैसे देंगे. जब सरकार को मदद करनी है तो वह क्यों ना इस लोन पर सब्सिडी दे. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा की तीन लाख करोड़ की घोषणा हुई है, लेकिन लोन लेने के लिए कागजातों का झमेला लगेगा और आधे से ज्यादा उद्योगों को लोन ही नहीं मिल पाएगा. ऐसे में लघु उद्योग मुसीबत में ही फंस कर रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक कि योजना जमीनी स्तर पर इंप्लीमेंट मजबूती के साथ नहीं होगी. इसका लघु उद्योग को कोई फायदा नहीं होगा. उनका सबसे बड़ा सवाल यही था कि हम लोन लेकर सैलरी क्यों बाटे?

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