फरीदाबाद: 35वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले (Surajkund Mela in Faridabad) में बहादुरगढ़ के 67 वर्षीय शिल्पकार की स्टॉल चर्चा की विषय बनी है. अंडरकट कार्विंग कला के शिल्पकार ने 20 ग्राम की लकड़ी पर अनोखी नकाशी की है. 1 लाख रुपये की बोली लगने के बाद भी शिल्पकार ने इस कलाकृति को नहीं बेचा. बहादुरगढ़ के रहने वाले राजेंद्र प्रसाद 67 वर्ष की उम्र में भी अपनी नकाशी का जलवा मेले में चारों तरफ बिखरे हुए हैं.
अंडरकट कार्विंग कला (undercut carving art) के लिए वर्ष 1984 में राजेंद्र प्रसाद को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है. दुनिया के बड़े-बड़े देशों में वो अपनी इस कला का लोहा मनवा चुके हैं. राजेंद्र प्रसाद ने 20 ग्राम चंदन की लकड़ी पर अंडे के आकार की आकृति बनाई है. खास बात ये है कि बिना कटिंग और जोड़ के, उन्होंने अंडे के अंदर ही एक हाथी, उसके ऊपर बैठा राजा, हाथी का महावत, हाथी की पीठ पर बनी कपड़े की सीट और 10 चिड़ियां का आकार बनाया है.
इसे अंडरकट कार्विंग कला के नाम से जाना जाता है. करीब डेढ़ इंच की लकड़ी पर की गई अनोखी नकाशी 6 महीने में पूरी हुई और इसी वर्ष 2012-13 में बनाया गया. इसकी कीमत ₹1 लाख है. इसी तरह कदम की लकड़ी से ज्वेलरी बॉक्स बनाया है. जिसकी कीमत करीब ड़ेढ लाख रुपये है. लेकिन इस शिल्पकार (Bahadurgarh craftsman Rajendra Prasad) ने अपनी इस कला को बेचने से इंकार कर दिया.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि 67 वर्ष की उम्र में भी वो अंडरकट कार्विंग कला के माध्यम से आकृतियां बनाने का काम कर रहे हैं. राजेंद्र प्रसाद के परिवार के चार लोगों को भी इसी कला में नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इस कला की शुरूआत उनके ही पूर्वजों ने की थी और पूरी दुनिया को इस कला (undercut carving art) को उनके ही परिवार ने दिया है.
हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP