ETV Bharat / state

34वां सूरजकुंड मेला: धान से बना नौलखा हार और ज्वेलरी लोगों को कर रहे आकर्षित - सूरजकुंड धान से बना नौलखा हार

आपने सोना-चांदी के साथ हीरे के गहने पहने होंगे. विभिन्न प्रकार के पत्थरों से बनी ज्वेलरी भी इस्तेमाल की होगी, लेकिन शायद ही कभी धान की ज्वेलरी से श्रृंगार किया हो. सूरजकुंड मेले में धान के दानों से बने नौलखा हार, ईयर रिंग, टॉप्स और तरह-तरह के आभूषण लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं.

Paddy jewelry in international surajkund fair 2020
Paddy jewelry in international surajkund fair 2020
author img

By

Published : Feb 14, 2020, 2:42 PM IST

फरीदाबाद: अरावली की वादियों में चल रहे 34वें सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में लगे एक स्टॉल पर सिर्फ धान से बनी जूलरी ही देखने को मिल रही हैं. पश्चिमी बंगाल के कोलकाता निवासी पुतुल दास मित्रा ने इस कला की खोज की है. पुतुल दास मित्रा बताती हैं कि ये ज्वेलरी पूरी तरह से वॉशेबल हैं.

लक्ष्मी पूजन से आया विचार

इनको प्रयोग करने के बाद ब्रश से धोया भी जा सकता है. यही नहीं पांच सालों तक इस ज्वेलरी में टूटने-फूटने की भी दिक्कत नहीं आती. स्टॉल पर 80 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक की जूलरी उपलब्ध है. पुतुल दास ने बताया कि धान से ज्वेलरी को बनाने का आइडिया लक्ष्मी पूजन से आइडिया वर्ष 2007 में आया.

सबसे पहले बनाई राखी

हमारे यहां दीपावली में पारंपरिक तौर पर धान आदि से मां लक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है और एक साल तक मूर्ति को पूजा घर में रख दिया जाता है. उसे देखकर धान से कुछ क्रिएटिविटी करने का विचार आया. करीब छह महीने के कठिन परिश्रम के बाद धान के दानों से राखी बनाई, जिसकी बड़ी तारीफ हुई.

विदेशों में कर चुकी हैं प्रदर्शित

उन्होंने बताया कि धान से बनी ज्वेलरी का प्रदर्शन भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, चीन, ब्राजील, अफ्रीका, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन सहित कई देशों में कर चुकी हैं. पुतुल दास ने बताया कि भारत में उनके अलावा धान की जूलरी बनाने का प्रशिक्षण कोई और नहीं देता है.

ये भी पढ़ें- 16 फरवरी को नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं अशोक तंवर !

उनके साथ इस कार्य को दर्जनों युवतियां कर रही हैं. उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करके कई लोगों ने अपना रोजगार भी शुरू किया है. उनकी कला से प्रभावित होकर पश्चिम बंगाल ने वर्ष 2002 में राज्य पुरस्कार और वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा ताज महोत्सव 2014 में बेस्ट आर्टिस्ट, त्रिपुरा सरकार द्वारा 2007 में बेस्ट क्राप्ट पर्सन अवार्ड आदि से नवाजा जा चुका है.

फरीदाबाद: अरावली की वादियों में चल रहे 34वें सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में लगे एक स्टॉल पर सिर्फ धान से बनी जूलरी ही देखने को मिल रही हैं. पश्चिमी बंगाल के कोलकाता निवासी पुतुल दास मित्रा ने इस कला की खोज की है. पुतुल दास मित्रा बताती हैं कि ये ज्वेलरी पूरी तरह से वॉशेबल हैं.

लक्ष्मी पूजन से आया विचार

इनको प्रयोग करने के बाद ब्रश से धोया भी जा सकता है. यही नहीं पांच सालों तक इस ज्वेलरी में टूटने-फूटने की भी दिक्कत नहीं आती. स्टॉल पर 80 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक की जूलरी उपलब्ध है. पुतुल दास ने बताया कि धान से ज्वेलरी को बनाने का आइडिया लक्ष्मी पूजन से आइडिया वर्ष 2007 में आया.

सबसे पहले बनाई राखी

हमारे यहां दीपावली में पारंपरिक तौर पर धान आदि से मां लक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है और एक साल तक मूर्ति को पूजा घर में रख दिया जाता है. उसे देखकर धान से कुछ क्रिएटिविटी करने का विचार आया. करीब छह महीने के कठिन परिश्रम के बाद धान के दानों से राखी बनाई, जिसकी बड़ी तारीफ हुई.

विदेशों में कर चुकी हैं प्रदर्शित

उन्होंने बताया कि धान से बनी ज्वेलरी का प्रदर्शन भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, चीन, ब्राजील, अफ्रीका, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन सहित कई देशों में कर चुकी हैं. पुतुल दास ने बताया कि भारत में उनके अलावा धान की जूलरी बनाने का प्रशिक्षण कोई और नहीं देता है.

ये भी पढ़ें- 16 फरवरी को नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं अशोक तंवर !

उनके साथ इस कार्य को दर्जनों युवतियां कर रही हैं. उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करके कई लोगों ने अपना रोजगार भी शुरू किया है. उनकी कला से प्रभावित होकर पश्चिम बंगाल ने वर्ष 2002 में राज्य पुरस्कार और वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा ताज महोत्सव 2014 में बेस्ट आर्टिस्ट, त्रिपुरा सरकार द्वारा 2007 में बेस्ट क्राप्ट पर्सन अवार्ड आदि से नवाजा जा चुका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.