फरीदाबाद: देश की राजधानी दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल के हाट की तर्ज पर हरियाणा के फरीदाबाद के नीमका जेल में मिनी मॉल बनाया जाएगा. जहां पर कैदियों द्वारा बनाए गए घर के सजावट के सामान से लेकर दैनिक दिनचर्या में उपयोग होने वाले तमाम सुख-सुविधाओं का सामान उपलब्ध हो सकेगा. जेल मुख्यालय द्वारा मिनी मॉल बनाने की अनुमति मिल गई है और जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. मिनी मॉल बनाए जाने से कैदियों के हुनर में जहां निखार आएगा, वहीं कैदियों को सुधरने का मौका भी मिलेगा.
नीमका जेल अधीक्षक जयकिशन छिल्लर ने बताया कि इससे कैदियों में एक नई ऊर्जा आएगी. कैदी जेल में रहते हुए अपने हुनर को पहचान रहे हैं. जब कैदी जेल से बाहर जाएंगे, तो वे समाज में अपना व्यवसाय कर पाएंगे. जेल में विभिन्न मामलों में सजा काट रहे कैदियों में सुधार लाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है. जेल में बंद कैदी इतनी खूबसूरती और बारीकी के साथ इन सामानों को बना रहे हैं कि ऐसा सामान बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल में भी देखने को नहीं मिलता है.
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घरों तक पहुंचेगा कैदियों का बनाया सामान: इसको लेकर जेल प्रशासन के साथ-साथ कैदियों में भी उत्साह है. दरअसल, नीमका जेल में तीन हजार कैदी अपनी सजा काट रहे हैं. जिसमें 100 के करीब ऐसे कैदी हैं, जो अपने हुनर को निखारते हुए पेंटिंग बना रहे हैं. इसके अलावा 25 के करीब ऐसे कैदी हैं, जो फर्नीचर बांसुरी समेत घर में उपयोग होने वाले सामानों को बनाते हैं. इसके अलावा जेल प्रांगण में ही खेती भी की जाती है. हालांकि इन सब्जियों को बाजार तक पहुंचाना मुश्किल है. लेकिन मिनी मॉल बनने के बाद यह सब्जी लोगों के घरों तक आसानी से पहुंचेगी.
अपने हुनर से रूबरू होंगे कैदी: नीमका जेल में बंद कैदियों को इन दिनों उनके हुनर से रूबरू करवाया जा रहा है. उनमें छिपी प्रतिभा को निखारने का काम जेल प्रशासन द्वारा किया जा रहा है. कैदियों को डेंटिंग पेंटिंग, प्लंबिंग, खेती, कारपेंटर का काम सिखाया जा रहा है. जो कैदी इन काम को सीख जाते हैं, वह इन्हें दूसरे कैदियों को सिखाते हैं. ऐसे में कैदियों का मन भी लगा रहता है और उन्हें जेल के अंदर ही रोजगार मिल जाता है.
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मिनी मॉल में मिलेगा कैदियों का बनाया सामान: जो कैदी कभी हथियार उठाते थे, वह अब अपने हुनर में प्रयोग होने वाले औजारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आपको बता दें कि जेल में बंद कैदियों द्वारा तरह-तरह के समान बनाए जा रहे हैं, जिसको जेल प्रशासन नीमका जेल द्वारा अलग-अलग प्रदर्शनी, मेलों में लगाकर इसकी बिक्री की जाती थी. इनसे होने वाली इनकम को कैदियों के विकास कार्य में लगाया जा रहा था. ऐसे में साल में सिर्फ चार से पांच बार ही कैदियों द्वारा बनाया जा रहा सामान लोगों के बीच पहुंचता था. लेकिन अब साल के 365 दिन यह सामान लोगों के बीच उपलब्ध रहेगा.