फरीदाबाद: साइबर युग में जहां लोगों को साइबर सुविधाएं घर बैठे मिल रही हैं वहीं लोग साइबर (cyber fraud in Faridabad) ठगी का भी शिकार हो रहे हैं. फरीदाबाद में साइबर ठगी का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी लोगों को लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर फंसाकर उनसे लाखों रुपये ठगते थे.
आरोपी इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी करवाने व आदित्य बिरला कैपिटल (Aditya birla capital) से लोन दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करते थे. पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में विशाल, अंकित तथा उदित उर्फ गोपी हैं. आरोपी अंकित और उदित उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के और विशाल दिल्ली के राजा बाजार का रहने वाला है. आरोपियों ने प्रेमचंद नाम के व्यक्ति से ठगी की वारदात को अंजाम दिया है.
इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (life insurance fraud in faridabad) करवाने पर आदित्य बिरला कैपिटल से 15 लाख रुपये का लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी की है. आरोपियाों ने पीड़ित से डेढ़ लाख रुपये ऐंठ लिये हैं. पीड़ित ने 19 जुलाई को इसकी शिकायत साइबर थाने में दी थी. जिसके आधार पर धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस मामले की जांच में जुटी थी.
डीसीपी नीतीश कुमार अग्रवाल ने मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए आरोपियों की धरपकड़ के निर्देश दिए. पुलिस ने काफी जांच पड़ताल के बाद तीन आरोपियो को गाजियाबाद के वैशाली के कॉल सेन्टर से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने आरोपियों को अदालत में पेश कर 2 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया. जिसमें से उनसे 5 मोबाइल फोन व सिम कार्ड सहित 39 हजार रुपए नकद बरामद हुए हैं. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने ठगी की कई वारदातों को कबूल किया है.
आरोपियों ने सेक्टर-29 में रहने वाले अपूर्व सिंह से भी 7.1 लाख रुपए की ठगी की है. इस मामले में आरोपीयों से 42 हजार रुपए बरामद हुए हैं. आरोपी कॉल सेंटर चलाते थे और पुलिस से बचने के लिये स्थान बदलते रहते थे. आरोपियों ने पीड़ित प्रेमचन्द के साथ धोखाधड़ी की वारदात को दिल्ली के मोती नगर में तथा आरोपी अपूर्व सिंह के साथ गाजियाबाद के वैशाली में अंजाम दिया था. आरोपी धोखाधड़ी की वारदातों को लगभग डेढ़ साल से अंजाम दे रहे थे. अभी तक 50 से 60 लाख रुपए की ठगी ये कर चुके हैं.
ये भी पढ़ें- अंबाला में साइबर ठगी, 1930 हेल्पलाइन नंबर की मदद से बचे 9.80 लाख रुपये