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इस बार कुछ अलग होगा अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेला, इन नियमों का पालन कर ही उठा सकेंगे मेले का लुत्फ

कोरोना महामारी की वजह से दो साल के बाद 2022 अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले का आयोजन करवाने की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन इस बार मेले का माहौल बदला होगा. इस महामारी के दौर में क्या कुछ होगा नया जानने के लिए पढ़ें ये खबर-

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इस बार कुछ अलग होगा अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेला
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Published : Sep 12, 2021, 5:12 PM IST

फरीदाबाद: कला और संस्कृति के अनूठा संगम है अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेला. यहां शिल्पकारों, हस्तकारों और लोक कलाकारों का जमावड़ा लगता है. फरवरी के पहले हफ्ते में लगने वाले इस मेले में हर साल पूरी दुनिया से लोग आते थे, लेकिन साल 2020 में आई कोरोना महामारी की वजह से इस मेले को स्थगित करना पड़ा, जिससे हजारों शिल्पकारों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन साल 2022 में आयोजित करवाने की मंजूरी मिल गई है.

इस साल हस्तशिल्प मेले को सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. मंजूरी मिलते ही अब इसके आयोजित की रूपरेखा तैयार करने में अधिकारी जुट गए है. मेला प्राधिकरण की तरफ से इस मेले को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इस बार सूरजकुंड मेला कई मायनों में बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि पिछली बार कोरोना की वजह से मेला घूमने से चूक गए लोग भी मेले का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में इस बार मेले में पिछले कई सालों की तुलना में इस बार ज्यादा भीड़ जुटने की उम्मीद है.

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दो सालों से किसी भी तरह का आयोजन नहीं होने से मेले की इमारते भी खस्ताहाल हो चुकी हैं.

ये पढ़ें- हरियाणा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले को दी मंजूरी, ब्रिटेन होगा कंट्री पार्टनर

वहीं मेला प्राधिकरण अधिकारियों की बात करें तो इस बार मेले की तैयारी करना काफी चुनौती भरा होगा. करीब 1 साल से वीरान पड़े मेले की दुकानों में जंगल उग आए हैं, मेले के लिए बनाई गई सभी दुकानें और कलाकृतियां लगभग बेकार हो चुकी हैं. ऐसे में टूरिज्म विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि पूरे मेले को दोबारा से खड़ा करना और उसको पहले जैसा स्वरूप देने के लिए, टूरिज्म विभाग को दिन-रात मेहनत करनी होगी.

मेले के लिए बने नए नियम: वहीं इस बार कोरोना को देखते हुए मेले में आने के लिए कई तरह के नियमों में बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है, मेले में आने से से पहले आपको वैक्सीनेशन कराना बेहद जरूरी होगा. वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाने के बाद आप मेले में प्रवेश ले सकेंगे. अगर आपके पास वैक्सीनेशन का कोई सर्टिफिकेट नहीं है और कोरोना की जांच रिपोर्ट है जिसमें आप नेगेटिव हैं तो आप मेले में प्रवेश ले सकेंगे. मेला में बिना मास्क के नहीं घूमा जा सकेगा अगर आप बिना मास्क के मेले में घूमते दिखाई देते हैं तो आपका चालान भी किया जा सकता है. मेले में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से मास्क ना लगाने वाले लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा.

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पूरे मेला क्षेत्र में जंगल-झाड़ी ऊग चुकी है

35 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में इस बार पार्टनर कंट्री ब्रिटेन होगा, इसलिए मेला कई मायनों में खास हो जाता है. 1987 से शुरू हुए इस मेले में ब्रिटेन पहली बार कंट्री पार्टनर के रूप में आएगा. इसके अलावा इस बार मेले में कितने देश भाग लेंगे इस पर अभी फाइनल निर्णय नहीं लिया गया है. बताया जा रहा है कि इसबार अफगानिस्तान से हस्तशिल्प कलाकार भी आ सकते हैं, हालांकि इसपर आखिरी फैसला विदेश मंत्रालय को करना है.

सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति का आदान प्रदान करता है बाहरी देशों के हस्तशिल्प कलाकार हमारे देश के हस्तशिल्प कलाकारों के साथ मिलकर सूरजकुंड में दुकान लगाते हैं जिससे उनकी संस्कृति में हमें देखने को मिलती है और हमारी संस्कृति भी उनको देखने को मिलती हैं.

ये पढ़ें- दूसरों को हंसाने वाले खुद रो रहे हैं, कोरोना ने छीना सर्कस वालों का रोजगार

फरीदाबाद: कला और संस्कृति के अनूठा संगम है अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेला. यहां शिल्पकारों, हस्तकारों और लोक कलाकारों का जमावड़ा लगता है. फरवरी के पहले हफ्ते में लगने वाले इस मेले में हर साल पूरी दुनिया से लोग आते थे, लेकिन साल 2020 में आई कोरोना महामारी की वजह से इस मेले को स्थगित करना पड़ा, जिससे हजारों शिल्पकारों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन साल 2022 में आयोजित करवाने की मंजूरी मिल गई है.

इस साल हस्तशिल्प मेले को सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. मंजूरी मिलते ही अब इसके आयोजित की रूपरेखा तैयार करने में अधिकारी जुट गए है. मेला प्राधिकरण की तरफ से इस मेले को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इस बार सूरजकुंड मेला कई मायनों में बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि पिछली बार कोरोना की वजह से मेला घूमने से चूक गए लोग भी मेले का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में इस बार मेले में पिछले कई सालों की तुलना में इस बार ज्यादा भीड़ जुटने की उम्मीद है.

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दो सालों से किसी भी तरह का आयोजन नहीं होने से मेले की इमारते भी खस्ताहाल हो चुकी हैं.

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वहीं मेला प्राधिकरण अधिकारियों की बात करें तो इस बार मेले की तैयारी करना काफी चुनौती भरा होगा. करीब 1 साल से वीरान पड़े मेले की दुकानों में जंगल उग आए हैं, मेले के लिए बनाई गई सभी दुकानें और कलाकृतियां लगभग बेकार हो चुकी हैं. ऐसे में टूरिज्म विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि पूरे मेले को दोबारा से खड़ा करना और उसको पहले जैसा स्वरूप देने के लिए, टूरिज्म विभाग को दिन-रात मेहनत करनी होगी.

मेले के लिए बने नए नियम: वहीं इस बार कोरोना को देखते हुए मेले में आने के लिए कई तरह के नियमों में बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है, मेले में आने से से पहले आपको वैक्सीनेशन कराना बेहद जरूरी होगा. वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाने के बाद आप मेले में प्रवेश ले सकेंगे. अगर आपके पास वैक्सीनेशन का कोई सर्टिफिकेट नहीं है और कोरोना की जांच रिपोर्ट है जिसमें आप नेगेटिव हैं तो आप मेले में प्रवेश ले सकेंगे. मेला में बिना मास्क के नहीं घूमा जा सकेगा अगर आप बिना मास्क के मेले में घूमते दिखाई देते हैं तो आपका चालान भी किया जा सकता है. मेले में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से मास्क ना लगाने वाले लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा.

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पूरे मेला क्षेत्र में जंगल-झाड़ी ऊग चुकी है

35 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में इस बार पार्टनर कंट्री ब्रिटेन होगा, इसलिए मेला कई मायनों में खास हो जाता है. 1987 से शुरू हुए इस मेले में ब्रिटेन पहली बार कंट्री पार्टनर के रूप में आएगा. इसके अलावा इस बार मेले में कितने देश भाग लेंगे इस पर अभी फाइनल निर्णय नहीं लिया गया है. बताया जा रहा है कि इसबार अफगानिस्तान से हस्तशिल्प कलाकार भी आ सकते हैं, हालांकि इसपर आखिरी फैसला विदेश मंत्रालय को करना है.

सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति का आदान प्रदान करता है बाहरी देशों के हस्तशिल्प कलाकार हमारे देश के हस्तशिल्प कलाकारों के साथ मिलकर सूरजकुंड में दुकान लगाते हैं जिससे उनकी संस्कृति में हमें देखने को मिलती है और हमारी संस्कृति भी उनको देखने को मिलती हैं.

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