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Guru Pradosh Vrat 2023: गुरु प्रदोष व्रत के दिन ये उपाय करने से प्रसन्न होंगे महादेव, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

एक जून यानी गुरुवार को ज्येष्ठ महीने का अंतिम प्रदोष व्रत है. इसे गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2023) भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन शिव भगवान की पूजा विधि विधान से करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं.

Guru Pradosh Vrat 2023
Guru Pradosh Vrat 2023: महादेव को प्रसन्न करने के लिए गुरु प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय
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Published : May 30, 2023, 2:19 PM IST

फरीदाबाद: सनातन धर्म में हर देवी देवताओं की पूजा की विधि अलग-अलग होती है और इसी अनुसार भक्तों पर भगवान की कृपा भी बरसती है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. ज्येष्ठ माह का अंतिम प्रदोष व्रत 1 जून को रखा जाएगा. कहा जाता है कि इस दिन भोले बाबा की पूजा करने से भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. जो भी भक्त इस दिन श्रद्धापूर्वक भक्ति से भोले बाबा की आराधना करते हैं. महादेव भी भक्तों पर अत्यधिक प्रसन्न होकर उनकी सारी परेशानियों को दूर कर उन्हें सुख संपत्ति का वरदान देते हैं. इसीलिए प्रदोष व्रत में भोले बाबा की पूजा पूरी निष्ठा से की जाती है.



हालांकि इस बार का प्रदोष व्रत अपने आप में खास इसलिए भी है, क्योंकि यह व्रत इस बार श्रेष्ठ महीने की अंतिम तिथि 1 जून गुरुवार के दिन पड़ रहा है. ऐसे में गुरुवार होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों के जहां सारे कष्ट दूर होते हैं. वहीं विरोधियों पर भी उनकी विजय प्राप्त होती है.

ये भी पढ़ें : गंगा सप्तमी 2023: इस विधि से पूजन करने पर होगा लाभ, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त



गुरु प्रदोष व्रत तिथि: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गुरु प्रदोष व्रत ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार 1 जून को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 2 जून शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में यदि आप भी प्रदोष का व्रत रख रहे हैं तो इसका व्रत गुरुवार यानी 1 जून को रखें.


प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त : ज्येष्ठ महीने के अंतिम प्रदोष व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 1 जून यानी गुरुवार को शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 16 मिनट तक है. वहीं शिव पूजा के समय अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त भी है, जो शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 8 बजकर 30 मिनट तक है. उसके बाद चर-सामान्य मुहूर्त भी है, जो रात 8 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 47 मिटन तक है. इन शुभ मुहूर्त में आप भगवान शिव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.


प्रदोष व्रत पूजा की विधि: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भोले बाबा के मंदिर में या फिर घर पर ही भोले बाबा की मूर्ति या शिवलिंग रखकर उनकी पूजा करें. भगवान के सामने देशी घी का दिया और धूप जलाएं. इसके बाद शिवजी पर कच्चा दूध, पुष्प, कपूर, रोली, बेलपत्र, मेवा, शहद, घी, अक्षत, चंदन आदि से उनकी पूजा करें. पूजन के बाद भगवान भोले बाबा की कथा पढ़ें और फिर उनकी आरती करें.

ये भी पढ़ें : Skand Shashthi 2023: स्कंद षष्ठी व्रत के दिन ऐसे करें भगवान कर्तिकेय की पूजा, सभी कष्ट होंगे दूर!

उसके बाद भोले बाबा को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और पूरे दिन व्रत में रहे. इसके बाद शाम को भोले बाबा की आरती करें और रात भर व्रत रहने के बाद सुबह भोले बाबा की पूजा करके सूर्य भगवान को अर्घ देकर व्रत का पारण करें. अपने बड़ों का आशीर्वाद लें. ऐसा करने से भोले बाबा भक्तों के घर में सुख शांति प्रदान करते हैं.

वहीं भक्तों को मनवांछित फल का भी वरदान देते हैं. इसके साथ ही इस व्रत को रखने से शत्रुओं पर भी विजय की प्राप्ति होती है. उसके साथ धन-संपत्ति संतान सुख की भी प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने से रोग, ग्रह दोष भी दूर होते हैं. अगर आप भी भोले बाबा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस बार का प्रदोष व्रत पूजन विधि विधान के साथ करें.

फरीदाबाद: सनातन धर्म में हर देवी देवताओं की पूजा की विधि अलग-अलग होती है और इसी अनुसार भक्तों पर भगवान की कृपा भी बरसती है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. ज्येष्ठ माह का अंतिम प्रदोष व्रत 1 जून को रखा जाएगा. कहा जाता है कि इस दिन भोले बाबा की पूजा करने से भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. जो भी भक्त इस दिन श्रद्धापूर्वक भक्ति से भोले बाबा की आराधना करते हैं. महादेव भी भक्तों पर अत्यधिक प्रसन्न होकर उनकी सारी परेशानियों को दूर कर उन्हें सुख संपत्ति का वरदान देते हैं. इसीलिए प्रदोष व्रत में भोले बाबा की पूजा पूरी निष्ठा से की जाती है.



हालांकि इस बार का प्रदोष व्रत अपने आप में खास इसलिए भी है, क्योंकि यह व्रत इस बार श्रेष्ठ महीने की अंतिम तिथि 1 जून गुरुवार के दिन पड़ रहा है. ऐसे में गुरुवार होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों के जहां सारे कष्ट दूर होते हैं. वहीं विरोधियों पर भी उनकी विजय प्राप्त होती है.

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गुरु प्रदोष व्रत तिथि: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गुरु प्रदोष व्रत ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार 1 जून को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 2 जून शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में यदि आप भी प्रदोष का व्रत रख रहे हैं तो इसका व्रत गुरुवार यानी 1 जून को रखें.


प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त : ज्येष्ठ महीने के अंतिम प्रदोष व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 1 जून यानी गुरुवार को शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 16 मिनट तक है. वहीं शिव पूजा के समय अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त भी है, जो शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 8 बजकर 30 मिनट तक है. उसके बाद चर-सामान्य मुहूर्त भी है, जो रात 8 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 47 मिटन तक है. इन शुभ मुहूर्त में आप भगवान शिव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.


प्रदोष व्रत पूजा की विधि: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भोले बाबा के मंदिर में या फिर घर पर ही भोले बाबा की मूर्ति या शिवलिंग रखकर उनकी पूजा करें. भगवान के सामने देशी घी का दिया और धूप जलाएं. इसके बाद शिवजी पर कच्चा दूध, पुष्प, कपूर, रोली, बेलपत्र, मेवा, शहद, घी, अक्षत, चंदन आदि से उनकी पूजा करें. पूजन के बाद भगवान भोले बाबा की कथा पढ़ें और फिर उनकी आरती करें.

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उसके बाद भोले बाबा को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और पूरे दिन व्रत में रहे. इसके बाद शाम को भोले बाबा की आरती करें और रात भर व्रत रहने के बाद सुबह भोले बाबा की पूजा करके सूर्य भगवान को अर्घ देकर व्रत का पारण करें. अपने बड़ों का आशीर्वाद लें. ऐसा करने से भोले बाबा भक्तों के घर में सुख शांति प्रदान करते हैं.

वहीं भक्तों को मनवांछित फल का भी वरदान देते हैं. इसके साथ ही इस व्रत को रखने से शत्रुओं पर भी विजय की प्राप्ति होती है. उसके साथ धन-संपत्ति संतान सुख की भी प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने से रोग, ग्रह दोष भी दूर होते हैं. अगर आप भी भोले बाबा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस बार का प्रदोष व्रत पूजन विधि विधान के साथ करें.

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