ETV Bharat / state

फरीदाबाद की गौशाला के लिए आर्थिक आय का जरिया बने गोबर और गोमूत्र, दूर-दूर से सामान खरीदने आ रहे लोग

फरीदाबाद के बल्लभगढ़ के ऊंचा गांव में बनी गौशाला ने गोबर और गोमूत्र को आर्थिक आय का जरिया बनाया है. गौशाला संचालकों द्वारा गोबर-गोमूत्र से (Cow dung product) व्यवसायिक सामान अगरबत्तियां, साबुन, दीये और दूसरे सामान तैयार किए जा रहे हैं. जिससे गौशाला को आर्थिक मदद मिल रही है.

Cow dung product
Cow dung product
author img

By

Published : Dec 13, 2021, 10:20 PM IST

फरीदाबाद: बल्लभगढ़ में बनी गौशाला के लिए गोबर और गोमूत्र आर्थिक आय का जरिया बन गया है. दरअसल ऊंचा गांव में बनी ये गौशाला गोबर और गोमूत्र से व्यावसायिक सामान तैयार कर रही है. जो लोगों को भी खूब पसंद आ रहे हैं. गौशाला में गोबर और गोमूत्र से अगरबत्तियां (candles of cow dung), साबुन, दीये, हवन के उपले, लकड़ी के आकार वाले उपले सहित कई सामान तैयार किए जा रहे हैं. जिससे गौशाला को भी काफी हद तक आर्थिक मदद मिल रही है.

गौशाला में गायों के डॉक्टर सत्यवान शर्मा ने बताया कि कोरोना के समय में गौशाला के सामने आर्थिक संकट आ गया था और आर्थिक संकट से निकलने के लिए गौशाला संचालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ऐसे में गौशाला संचालकों ने गौशाला से निकलने वाले गोबर और गोमूत्र को ही आर्थिक आय का जरिया बनाने की तरफ कदम बढ़ाया. उन्होंने गायों के गोबर और गोमूत्र से इन व्यवसाययिक सामानों (Cow dung product) को तैयार किया.

फरीदाबाद की गौशाला के लिए आर्थिक आय का जरिया बने गोबर और गोमूत्र, दूर-दूर से सामान खरीदने आ रहे लोग

ये भी पढ़ें- 22 साल की उम्र में इस लड़की पर टूटा दुखों का पहाड़, ऑटो चलाकर भर रही परिवार का पेट

हालांकि शुरुआत में जब इन सामानों को तैयार किया गया तो सामानों की इतनी मांग नहीं थी, लेकिन अब इनकी मांग काफी बढ़ गई है इनको लेने के लिए दूरदराज से लोग गौशाला पहुंचते हैं ऐसे में अब जल्द ही इन सामानों का बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. बता दें कि गौशाला को मानव सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है. यहां करीब 700 गायें हैं और रोजाना 2 क्विंटल से ज्यादा गोबर निकलता है. लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए और सुविधा के लिए गाय के गोबर से लकड़ी के आकार के गोकाष्ट बनाए जा रहे हैं. इससे दाह संस्कार आदि में सुविधा हो रही है.

हरियाणा की यह पहली ऐसी गौशाला है जहां पर गोबर और गोमूत्र से इस तरह के सामान तैयार किए जा रहे हैं और जो लोगों को भी खूब पसंद आ रहे हैं. डॉ. सत्यवान ने बताया कि एक समय था जब पहले गोबर को खेतों में डाला जाता था, जिससे काफी गंदगी फैलती थी, लेकिन अब इस गोबर और गोमूत्र से यह सारे सामान तैयार किए जा रहे हैं. सत्यवान ने बताया कि इन सामानों के उपयोग से वातावरण तो स्वच्छ हो ही रहा है. साथ ही इससे बने सामानों से घर का माहौल भी महक उठता है, क्योंकि इसमें किसी प्रकार के केमिकल की कोई मिलावट नहीं है.

ये भी पढ़ें- कभी बच्चों को पालने के लिए इस महिला ने दूसरों के घरों में किया था काम, आज कई लोगों को दे रही रोजगार

वहीं गौशाला में इन सामानों की खरीदारी के लिए आए लोगों ने बताया कि उनको गोबर और गोमूत्र से बने यह सामान बेहद पसंद आ रहे हैं. सामान खरीदने वालों ने बताया कि इनमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं है. इसलिए ना तो पर्यावरण में इनका कोई नुकसान है और ना ही इनको प्रयोग में लाने वाले को किसी प्रकार का नुकसान हो रहा है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat App

फरीदाबाद: बल्लभगढ़ में बनी गौशाला के लिए गोबर और गोमूत्र आर्थिक आय का जरिया बन गया है. दरअसल ऊंचा गांव में बनी ये गौशाला गोबर और गोमूत्र से व्यावसायिक सामान तैयार कर रही है. जो लोगों को भी खूब पसंद आ रहे हैं. गौशाला में गोबर और गोमूत्र से अगरबत्तियां (candles of cow dung), साबुन, दीये, हवन के उपले, लकड़ी के आकार वाले उपले सहित कई सामान तैयार किए जा रहे हैं. जिससे गौशाला को भी काफी हद तक आर्थिक मदद मिल रही है.

गौशाला में गायों के डॉक्टर सत्यवान शर्मा ने बताया कि कोरोना के समय में गौशाला के सामने आर्थिक संकट आ गया था और आर्थिक संकट से निकलने के लिए गौशाला संचालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ऐसे में गौशाला संचालकों ने गौशाला से निकलने वाले गोबर और गोमूत्र को ही आर्थिक आय का जरिया बनाने की तरफ कदम बढ़ाया. उन्होंने गायों के गोबर और गोमूत्र से इन व्यवसाययिक सामानों (Cow dung product) को तैयार किया.

फरीदाबाद की गौशाला के लिए आर्थिक आय का जरिया बने गोबर और गोमूत्र, दूर-दूर से सामान खरीदने आ रहे लोग

ये भी पढ़ें- 22 साल की उम्र में इस लड़की पर टूटा दुखों का पहाड़, ऑटो चलाकर भर रही परिवार का पेट

हालांकि शुरुआत में जब इन सामानों को तैयार किया गया तो सामानों की इतनी मांग नहीं थी, लेकिन अब इनकी मांग काफी बढ़ गई है इनको लेने के लिए दूरदराज से लोग गौशाला पहुंचते हैं ऐसे में अब जल्द ही इन सामानों का बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. बता दें कि गौशाला को मानव सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है. यहां करीब 700 गायें हैं और रोजाना 2 क्विंटल से ज्यादा गोबर निकलता है. लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए और सुविधा के लिए गाय के गोबर से लकड़ी के आकार के गोकाष्ट बनाए जा रहे हैं. इससे दाह संस्कार आदि में सुविधा हो रही है.

हरियाणा की यह पहली ऐसी गौशाला है जहां पर गोबर और गोमूत्र से इस तरह के सामान तैयार किए जा रहे हैं और जो लोगों को भी खूब पसंद आ रहे हैं. डॉ. सत्यवान ने बताया कि एक समय था जब पहले गोबर को खेतों में डाला जाता था, जिससे काफी गंदगी फैलती थी, लेकिन अब इस गोबर और गोमूत्र से यह सारे सामान तैयार किए जा रहे हैं. सत्यवान ने बताया कि इन सामानों के उपयोग से वातावरण तो स्वच्छ हो ही रहा है. साथ ही इससे बने सामानों से घर का माहौल भी महक उठता है, क्योंकि इसमें किसी प्रकार के केमिकल की कोई मिलावट नहीं है.

ये भी पढ़ें- कभी बच्चों को पालने के लिए इस महिला ने दूसरों के घरों में किया था काम, आज कई लोगों को दे रही रोजगार

वहीं गौशाला में इन सामानों की खरीदारी के लिए आए लोगों ने बताया कि उनको गोबर और गोमूत्र से बने यह सामान बेहद पसंद आ रहे हैं. सामान खरीदने वालों ने बताया कि इनमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं है. इसलिए ना तो पर्यावरण में इनका कोई नुकसान है और ना ही इनको प्रयोग में लाने वाले को किसी प्रकार का नुकसान हो रहा है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat App

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.