फरीदाबाद: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का पूजन का विधान तो है ही लेकिन नदियों का पूजन भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना गया है. क्योंकि नदियों को पूजनीय और पवित्र माना जाता है. वैसे तो कई सारी नदियां है लेकिन गंगा नदी का इनमें विशेष स्थान है और यही वजह है कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. महंत मुनिराज ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी के कमंडल से मां गंगा उत्पन्न हुई थी.
यही वजह है कि हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से जहां सारे कष्ट, विकार, क्लेश दूर हो जाते हैं. वहीं सारे पाप भी धुल जाते हैं. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने के साथ-साथ पित्र दोष दूर करने के लिए पितरों को अर्घ्य भी दिया जाता है. जिससे पित्र दोष दूर हो जाते हैं. गंगा में स्नान करते समय अपने पितरों, देवी-देवताओं, सूर्य देव और मां गंगा को सच्चे मन से याद करके गंगा में डुबकी लगानी चाहिए. इससे मां गंगा अति प्रसन्न होती हैं. इसके बाद सच्चे मन से मां गंगा की पूजा करनी चाहिए.
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सप्तमी पर गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त : गंगा सप्तमी की तिथि 26 अप्रैल सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो जाएगी. यह अगले दिन यानी 27 अप्रैल 2023 को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी. मां गंगा की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है. पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त 26 अप्रैल को है और इसी दिन मां गंगा की पूजा होगी. हालांकि शास्त्रों में गंगा स्नान को तीर्थ स्नान माना जाता है. ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त में तीर्थ स्नान को शुभ माना जाता है. इसलिए 27 अप्रैल को गंगा में डुबकी लगाने से सभी कष्ट दूर हो जाएंगे.
गंगा पूजा की विधि: मान्यताओं के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर मां गंगा को ध्यान में रखते हुए गंगा स्नान करना बहुत ही लाभकारी एवं शुभ होता है. अगर इस दिन आप गंगा में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें. नए वस्त्र धारण कर लें और उसके बाद घर में मां गंगा की मूर्ति के साथ कलश की स्थापना करें.
ध्यान रहे कि कलश की स्थापना करते समय कलश में रोली, गंगाजल, शहद, इत्र, फूल, गाय का दूध, फूल बेलपत्र को कलश में अवश्य डालें. उसके बाद लाल कपड़े में नारियल को लपेट कर उसे कलावा से बांध दें और उसे कलश के ऊपर रख दें. इसके बाद मां गंगा की तस्वीर या मूर्ति पर कनेर का फूल, चंदन, फल फूलों की माला, गुड़ से बना हुआ प्रसाद मां गंगा को चढ़ाएं.
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इसके बाद उनकी कथा पढ़ें और बाद में मां गंगा की आरती करें. इसके बाद मां गंगा के सामने हाथों को जोड़कर उनसे प्रार्थना करें. ऐसा करने से मां गंगा अति प्रसन्न होकर आप पर सदा कृपा बनाए रखेगी. यदि आप गंगा सप्तमी के दिन गंगा में जाकर स्नान करते हैं तो इसी विधि विधान के साथ गंगा तट पर आप मां गंगा की पूजा कर सकते हैं.
गंगा आरती में जुटते हैं श्रद्वालु : गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी के तटों पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है. इस दिन भक्त गंगा मां की पूरी श्रद्धा और भक्ति से पूजा करते हैं. इसी दिन दान करने से पित्र दोष से भी छुटकारा मिलता है. इस दिन शाम के समय गंगा तट पर महा आरती का आयोजन भी किया जाता है. गंगा आरती का दर्शन भव्य और मनमोहक होता है. इस दौरान लोग दिए को पत्ते से बनी कटोरी में डालकर मां गंगा में प्रवाहित करते हैं, मां गंगा की पूजा-अर्चना से मां गंगा प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर कर देती हैं और मनवांछित फल भी देती हैं. मां गंगा की पूजा मात्र से ही सारे कष्ट विकार क्लेश दूर हो जाते हैं और यही वजह है कि हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है.