फरीदाबाद: कृषि सुधार से संबंधित विधेयक पास होकर कानून का रूप ले चुके हैं, लेकिन अन्नदाताओं की झोली अभी भी खाली ही नजर आ रही है. सरकार भले ही किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती रहे, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि किसानों की आय पहले से भी कम होती जा रही है.
दरअसल, बल्लभगढ़ अनाज मंडी में अभी तक धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है. किसान वनस्पति धान लेकर मंडी पहुंच रहे हैं और निजी खरीददारों को कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि, गेहूं की सरकारी खरीद से पहले परमल धान की खरीद की जाती है और उसी का समर्थन मूल्य भी तय किया जाता है.
नहीं मिल रहा वनस्पति धान का उचित रेट
सरकार की तरफ से परमल धान का समर्थन मूल्य 1888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है जबकि वनस्पति धान को कोई समर्थन मूल्य तय नहीं किया जाता. अब किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यही है कि जो वनस्पति धान पहले 2500 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जाता था. वही वनस्पति धान अब 1700 से लेकर 1900 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीदा जा रहा है.
ये बोले मार्केट सचिव
बल्लभगढ़ मार्केट कमेटी के सचिव इंद्रपाल ने बताया कि अभी परमल वेरायिटी का धान बेहद कम आ रहा है, इसलिए सरकारी खरीद एजेंसी का शैड्यूल नहीं बना है. वहीं वनस्पति धान की कीमत को लेकर उन्होंने कहा कि जो धान साफ नहीं है या फिर जिसमें नमी ज्यादा है उसी की कीमत कम मिल रही है.
किसानों की झोली खाली
वनस्पति धान की कम कीमत को लेकर किसान बेहद नाराज हैं. किसानों का कहना है कि अगर सरकार सही दाम देकर उनकी फसल नहीं खरीदेगी तो उन्हें निजी खरीदारों को ही औने-पौने दामों पर फसल बेचनी पड़ेगी. ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने की बात सरासर झूठ है.
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