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फरीदाबाद में किसान अभी भी जला रहें हैं पराली, प्रशासन ने नहीं की कोई कार्रवाई - फरीदाबाद किसान प्रशासन कार्रवाई

प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद भी फरीदाबाद में किसान बेखौफ होकर खेतों में धान की पराली जला रहे हैं लेकिन फिर भी किसानों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है.

farmers are burning stubble in faridabad but administration has not taken any action
फरीदाबाद: पाबंदी के बावजूद किसान जला रहें हैं पराली, प्रशासन ने नहीं की कोई कार्रवाई
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Published : Oct 17, 2020, 4:46 PM IST

फरीदबाद: प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद भी किसान बेखौफ होकर खेतों में धान की पराली जला रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से जहां वायू प्रदुषण बढ़ रहा है, तो वहीं भूमि की उपजाऊ क्षमता भी कम हो रही है. हालांकि प्रशासन ने पराली जलाने वालों पर निगरानी रखने के लिए कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की है. इसके बावजूद भी पराली जलाने पर जिले में किसी भी किसान पर कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे किसानों को भी प्रशासन का कोई डर नहीं है.

पाबंदी के बावजूद किसान जला रहें हैं पराली

प्रशासन ने पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए खेतों में धान की पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. पराली जलाने पर प्रशासन द्वारा 3 से 15 हजार रूपए तक जुर्माना वसूला जाता है. इसके बावजूद भी किसान पराली जलाने से परहेज नहीं कर रहे हैं. धान की कटाई के बाद सरसों और गेहूं की बुआई शुरु हो जाती है, किसान इन फसलों की अगेली बुआई करने के लिए धान की कटाई का काम पूरा होने के बाद पराली और फानों में आग लगा देते हैं जिसकी वजह से भयंकर धुआं आसमान में छा जाता है.

फरीदाबाद: पाबंदी के बावजूद किसान जला रहें हैं पराली, प्रशासन ने नहीं की कोई कार्रवाई

कृषि विशेषज्ञों की किसानों को सलाह

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खेत में पराली जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है, इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है. वहीं मिट्टी में मौजूद किसान मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हें जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है. किसान मित्र कीट नष्ट होने से फसलों में बिमारी का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाता है, वहीं पराली के धुएं से पर्यावरण में प्रदूषण भी बढ़ है और इससे हमारे स्वास्थ्य पर बूरा प्रभाव पड़ता है.

सुप्रीम कोर्ट ने किया नए आयोग का गठन

आपको बता दें कि दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नए आयोग का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने और इसकी निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा में पहले से ही मौजूद टीमों को जो पराली जलाने से रोकने के लिए हैं, लोकुर समिति को रिपोर्ट करना और निर्देश लेना होगा. साथ ही कहा कि राज्यों को अपने काम को पूरा करने के लिए समिति को पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए. पीठ ने कहा, ईपीसीए सहित सभी प्राधिकरण मांगी गयी सूचना के लिए समिति को रिपोर्ट करेंगे. पीठ ने कहा, हमें विश्वास है कि प्रत्येक उपाय प्रदूषण को कम करने के इरादे से अधिकारियों द्वारा लिया गया है.

ये भी पढ़िए: कैथल में पराली जलाने पर 15 किसानों पर FIR

फरीदबाद: प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद भी किसान बेखौफ होकर खेतों में धान की पराली जला रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से जहां वायू प्रदुषण बढ़ रहा है, तो वहीं भूमि की उपजाऊ क्षमता भी कम हो रही है. हालांकि प्रशासन ने पराली जलाने वालों पर निगरानी रखने के लिए कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की है. इसके बावजूद भी पराली जलाने पर जिले में किसी भी किसान पर कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे किसानों को भी प्रशासन का कोई डर नहीं है.

पाबंदी के बावजूद किसान जला रहें हैं पराली

प्रशासन ने पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए खेतों में धान की पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. पराली जलाने पर प्रशासन द्वारा 3 से 15 हजार रूपए तक जुर्माना वसूला जाता है. इसके बावजूद भी किसान पराली जलाने से परहेज नहीं कर रहे हैं. धान की कटाई के बाद सरसों और गेहूं की बुआई शुरु हो जाती है, किसान इन फसलों की अगेली बुआई करने के लिए धान की कटाई का काम पूरा होने के बाद पराली और फानों में आग लगा देते हैं जिसकी वजह से भयंकर धुआं आसमान में छा जाता है.

फरीदाबाद: पाबंदी के बावजूद किसान जला रहें हैं पराली, प्रशासन ने नहीं की कोई कार्रवाई

कृषि विशेषज्ञों की किसानों को सलाह

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खेत में पराली जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है, इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है. वहीं मिट्टी में मौजूद किसान मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हें जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है. किसान मित्र कीट नष्ट होने से फसलों में बिमारी का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाता है, वहीं पराली के धुएं से पर्यावरण में प्रदूषण भी बढ़ है और इससे हमारे स्वास्थ्य पर बूरा प्रभाव पड़ता है.

सुप्रीम कोर्ट ने किया नए आयोग का गठन

आपको बता दें कि दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नए आयोग का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने और इसकी निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा में पहले से ही मौजूद टीमों को जो पराली जलाने से रोकने के लिए हैं, लोकुर समिति को रिपोर्ट करना और निर्देश लेना होगा. साथ ही कहा कि राज्यों को अपने काम को पूरा करने के लिए समिति को पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए. पीठ ने कहा, ईपीसीए सहित सभी प्राधिकरण मांगी गयी सूचना के लिए समिति को रिपोर्ट करेंगे. पीठ ने कहा, हमें विश्वास है कि प्रत्येक उपाय प्रदूषण को कम करने के इरादे से अधिकारियों द्वारा लिया गया है.

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