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मार्केट में आई अब डिजिटल राखी, ऐसे भाई तक पहुंचाएगी बहन का प्यार

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Published : Aug 18, 2021, 5:41 PM IST

रक्षाबंधन का त्योहार देशभर में बड़े उत्साह से मनाया जाता है. बदलते समय के साथ इस त्योहार में भी बदलाव आया है. अब नॉर्मल राखी की जगह डिजिटल राखियां मार्केट में आ गई हैं.

Digital Rakhi
Digital Rakhi

फरीदाबाद: भाई-बहन के प्‍यार का प्रतीक रक्षाबंधन (Festival Of Rakshabandhan) देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार भी इंटरनेट की मदद से भारत की सीमाओं से बाहर निकलकर विश्‍वभर में भाई-बहनों के दिल में अपनी जगह बना रहा है. डिजिटल होते भारत में अब ये त्योहार भी डिजिटल हो रहा है. फरीदाबाद के राखी निर्माताओं ने तकनीकी और डिजिटल को मिलाकर इस तरह की राखी तैयार की है कि जिससे रक्षाबंधन पूरी तरह से डिजिटल (Digital Rakshabandhan) होने का अहसास देगा.

जिस तरह डिजिटल उपकरणों के जरिए हम किसी के दूर होने पर भी उसके होने का एहसास अपने पास कर सकते हैं. ठीक उसी तरह से इन राखियों (Digital Rakhi) से भी भाई बहन के प्यार का अहसास किया जा सकता है. इस राखी की खासियत ये है कि इसपर क्यूआर कोड (QR Code On Rakhi) दिया गया है. जैसे ही भाई कलाई पर बांधने के बाद इस क्यूआर कोड को फोन से स्कैन करेगा. उस वक्त भाई बहन के प्यार से जुड़े गीतों की वीडियो और ऑडियो भाई सुन या देख सकेगा.

फरीदाबाद में आ गई डिजिटल राखी

'बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है', 'भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना' जैसे गीतों के बोल भाई को बहन के प्यार का एहसास कराएंगे. राखी निर्माताओं का मानना है कि इससे उन भाइयों को अपनी बहन की कमी महसूस नहीं होगी जिनकी बहनें उनको राखी बांधने के लिए दूरदराज से चलकर उनके पास नहीं आ सकती.

फरीदाबाद के पांच नंबर में साईं राखी के नाम से राखी निर्माता अजय खरबंदा ने ये राखियां तैयार की हैं. इन राखियों में टेक्निक के साथ-साथ क्राफ्ट का बेहद ध्यान रखा गया है. अजय ने खुद टेक्निक के काम को संभाला है और पूरा टेक्निकल काम उन्होंने खुद ही इन राखियों में किया है. अजय ने बताया कि उनके पास डिजिटल राखी की कीमत 150 रुपये से लेकर 450 रुपये तक है. इस तरह की राखियां बनाने को लेकर वो काफी समय से काम कर रहे थे.

Digital Rakhi
क्यूआर कोड स्कैन करने से सुनाई और दिखाई देंगे गाने

ये भी पढ़ें- ओलंपिक मेडल जीतकर पहली बार गांव पहुंचे रवि दहिया, देखिए शानदार स्वागत की तस्वीरें

उन्होंने बताया कि आज हम डिजिटल युग में हैं. हमारे पास हर डिजिटल उपकरण हैं. तो ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना तकनीक का उपयोग राखी में किया जाए, ताकि जब भी किसी भाई की कलाई पर राखी बांधी जाए, उसको भाई और बहन के प्यार गीत भी सुनाई दे. अजय समेत परिवार के 5 लोगों की टीम ने इस पर कई महीने मेहनत की और उस मेहनत का नतीजा निकल कर सामने आया कि आज राखियां लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. तकनीक और डिजिटलाइजेशन का इससे अच्छा मिलाजुला उदाहरण देखने को नहीं मिल सकता.

फरीदाबाद: भाई-बहन के प्‍यार का प्रतीक रक्षाबंधन (Festival Of Rakshabandhan) देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार भी इंटरनेट की मदद से भारत की सीमाओं से बाहर निकलकर विश्‍वभर में भाई-बहनों के दिल में अपनी जगह बना रहा है. डिजिटल होते भारत में अब ये त्योहार भी डिजिटल हो रहा है. फरीदाबाद के राखी निर्माताओं ने तकनीकी और डिजिटल को मिलाकर इस तरह की राखी तैयार की है कि जिससे रक्षाबंधन पूरी तरह से डिजिटल (Digital Rakshabandhan) होने का अहसास देगा.

जिस तरह डिजिटल उपकरणों के जरिए हम किसी के दूर होने पर भी उसके होने का एहसास अपने पास कर सकते हैं. ठीक उसी तरह से इन राखियों (Digital Rakhi) से भी भाई बहन के प्यार का अहसास किया जा सकता है. इस राखी की खासियत ये है कि इसपर क्यूआर कोड (QR Code On Rakhi) दिया गया है. जैसे ही भाई कलाई पर बांधने के बाद इस क्यूआर कोड को फोन से स्कैन करेगा. उस वक्त भाई बहन के प्यार से जुड़े गीतों की वीडियो और ऑडियो भाई सुन या देख सकेगा.

फरीदाबाद में आ गई डिजिटल राखी

'बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है', 'भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना' जैसे गीतों के बोल भाई को बहन के प्यार का एहसास कराएंगे. राखी निर्माताओं का मानना है कि इससे उन भाइयों को अपनी बहन की कमी महसूस नहीं होगी जिनकी बहनें उनको राखी बांधने के लिए दूरदराज से चलकर उनके पास नहीं आ सकती.

फरीदाबाद के पांच नंबर में साईं राखी के नाम से राखी निर्माता अजय खरबंदा ने ये राखियां तैयार की हैं. इन राखियों में टेक्निक के साथ-साथ क्राफ्ट का बेहद ध्यान रखा गया है. अजय ने खुद टेक्निक के काम को संभाला है और पूरा टेक्निकल काम उन्होंने खुद ही इन राखियों में किया है. अजय ने बताया कि उनके पास डिजिटल राखी की कीमत 150 रुपये से लेकर 450 रुपये तक है. इस तरह की राखियां बनाने को लेकर वो काफी समय से काम कर रहे थे.

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क्यूआर कोड स्कैन करने से सुनाई और दिखाई देंगे गाने

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उन्होंने बताया कि आज हम डिजिटल युग में हैं. हमारे पास हर डिजिटल उपकरण हैं. तो ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना तकनीक का उपयोग राखी में किया जाए, ताकि जब भी किसी भाई की कलाई पर राखी बांधी जाए, उसको भाई और बहन के प्यार गीत भी सुनाई दे. अजय समेत परिवार के 5 लोगों की टीम ने इस पर कई महीने मेहनत की और उस मेहनत का नतीजा निकल कर सामने आया कि आज राखियां लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. तकनीक और डिजिटलाइजेशन का इससे अच्छा मिलाजुला उदाहरण देखने को नहीं मिल सकता.

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