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फरीदाबाद: 50 करोड़ रुपये के घोटाले में नगर निगम के 4 कर्मचारी सस्पेंड

50 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में फरीदाबाद नगर निगम के चार कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है. विजिलेंस टीम मामले की जांच कर रही है.

Faridabad Municipal Corporation scam
Faridabad Municipal Corporation scam
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Published : Mar 20, 2021, 9:31 PM IST

फरीदाबाद: 50 करोड़ में बिना कार्य की भुगतान राशी के घोटाले में नगर निगम के चार कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है. 50 करोड़ के इस भ्रष्टाचार मामले को लेकर नगर निगम में पहले से काफी चर्चाएं थी. इस मामले की जांच विजिलेंस कर रही है.

निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा उस समय हुया जब निगम पार्षद दीपक चौधरी ने 2017 से लेकर 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा मांगा. नगर निगम के द्वारा जो रिपोर्ट दीपक चौधरी को दी गई उसमें यह खुलासा हुआ कि वर्ष 2017 से वर्ष 2019 तक अलग-अलग वार्डो में करीब 50 करोड़ की राशि आवंटित की गई.

लेकिन इस राशि से कोई काम नहीं हुआ. यह राशि दूसरे कामों को दिखाकर निकाली गई. निगम पार्षद के द्वारा इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर से की गई. जिसके बाद इस मामले की एक उच्च स्तरीय जांच की गई. प्रारंभिक जांच में ये बात सामने आयी कि 388 कार्यों में से एक भी कार्य ठेकेदार व जेई दिखाने में अस्मर्थ रहे. 388 में से 270 कार्यों की जो बाउचर मिले हैं. उनमें 151 बाउचर में तत्काली जेई दीपक कुमार, एसडीओ शेर सिंह के हस्ताक्षर हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में गुंडाराज! हर रोज हो रही हत्या, पुलिसवालों को गैंगस्टर दे रहे सुपारी, रोहतक, सोनीपत बने अपराधियों के 'मनोहर' अड्डे

जांच में पाया गया कि 113 कार्यों के फर्जी बाउचर तैयार करने में ठेकेदार सतवीर से मिलीभगत कर अधिकारियों ने पैरवी की. इन 113 कार्यों को पैमाइश बुक में फर्जी तरीके से दर्ज किया गया. निरीक्षण के दौरान कमेटी के सामने जानबूझ कर पैमाइश बुक को पेश नहीं किया गया. तत्कालीन SDO शेर सिंह, XEN रमन कुमार, SE और चीफ इंजीनियर ने ठेकेदार से मिलीभगत करके निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाने में मदद की है.

फरीदाबाद: 50 करोड़ में बिना कार्य की भुगतान राशी के घोटाले में नगर निगम के चार कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है. 50 करोड़ के इस भ्रष्टाचार मामले को लेकर नगर निगम में पहले से काफी चर्चाएं थी. इस मामले की जांच विजिलेंस कर रही है.

निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा उस समय हुया जब निगम पार्षद दीपक चौधरी ने 2017 से लेकर 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा मांगा. नगर निगम के द्वारा जो रिपोर्ट दीपक चौधरी को दी गई उसमें यह खुलासा हुआ कि वर्ष 2017 से वर्ष 2019 तक अलग-अलग वार्डो में करीब 50 करोड़ की राशि आवंटित की गई.

लेकिन इस राशि से कोई काम नहीं हुआ. यह राशि दूसरे कामों को दिखाकर निकाली गई. निगम पार्षद के द्वारा इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर से की गई. जिसके बाद इस मामले की एक उच्च स्तरीय जांच की गई. प्रारंभिक जांच में ये बात सामने आयी कि 388 कार्यों में से एक भी कार्य ठेकेदार व जेई दिखाने में अस्मर्थ रहे. 388 में से 270 कार्यों की जो बाउचर मिले हैं. उनमें 151 बाउचर में तत्काली जेई दीपक कुमार, एसडीओ शेर सिंह के हस्ताक्षर हैं.

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जांच में पाया गया कि 113 कार्यों के फर्जी बाउचर तैयार करने में ठेकेदार सतवीर से मिलीभगत कर अधिकारियों ने पैरवी की. इन 113 कार्यों को पैमाइश बुक में फर्जी तरीके से दर्ज किया गया. निरीक्षण के दौरान कमेटी के सामने जानबूझ कर पैमाइश बुक को पेश नहीं किया गया. तत्कालीन SDO शेर सिंह, XEN रमन कुमार, SE और चीफ इंजीनियर ने ठेकेदार से मिलीभगत करके निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाने में मदद की है.

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