चरखी दादरी: देश की मशहूर पहलवान गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट (vinesh phogat cwg 2022) बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल की प्रबल दावेदार शुरू से रही हैं. विनेश इससे पहले दो कामनवेल्थ गेम्स में देश के लिए गोल्ड मेडल जीत चुकी थी. विनेश ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 और 2018 में स्वर्ण पदक जीता था. इसी जीत को बरकरार रखते हुए विनेश ने एक बार फिर गोल्ड मेडल जीतकर स्वर्ण पदक की हैट्रिक लगा दी है.
विनेश फोगाट ने पहलवानी में अब तक कई बड़ी सफलता हासिल की है. कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स दोनों में गोल्ड मेडल जीतने वाली वो भारत की पहली महिला पहलवान हैं. विनेश 18 फरवरी 2019 को होने वाले लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवॉर्ड (Laureus World Sports Award) के लिए नॉमिनेट होने वाले पहली भारतीय रेसलर बनी थीं. विनेश की नेशनल और इंटरनेशनल उपलब्धियों को लेकर भारत सरकार उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन अवॉर्ड और भीम अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है.
विनेश फोगाट बचपन से गीता और बबीता फौगाट के पिता और अपने ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट कुश्ती के गुर सीखे हैं. पूरे देश की तरह परिवार को भी विनेश से मेडल जीतने की उम्मीद है. विनेश फोगाट की दोनों बड़ी बहनें गीता और बबीता फोगाट ने भी कुश्ती में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. गीता फोगाट कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं और ओलंपिक समर गेम्स के लिए चुनी जाने वालीं पहली भारतीय महिला कुश्ती खिलाड़ी भी रही हैं. बबीता फोगाट कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में गोल्ड और 2018 में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं. विनेश फोगाट राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी हैं.
बलाली गांव में हुआ है जन्म- विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को बलाली गांव चरखी दादरी में हुआ (Balali Village Of Charkhi Dadri) था. उन्होंने 2019 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप (world wrestling championship) में ब्रॉन्ज मेडल जीता और टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं थीं. विनेश फोगाट के कॉमनवेल्थ में जाने से परिजनों व उनके गांव के लोगों में खुशी का माहौल हैं. कॉमनवेल्थ में विनेश फोगाट के प्रदर्शन पर देश भर के लोगों की निंगाहे रहेंगी.
बेटी ने दूध की लाज रख ली. तीन बार कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार गोल्ड जीता है. मैने बेटी को भारत शेरनी के रूप में पैदा किया है. अब बेटी ओलंपिक में भी गोल्ड जीतकर दूध की लाज रखेगी. प्रेमलता, विनेश की मां
पिता की मृत्यु के बाद ताऊ ने संभाला- विनेश के पिता की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी. ऐसे में उसके ताऊ महाबीर फोगाट ने विनेश का पालन-पोषण किया. उन्होंने अपनी दोनों बेटियों गीता और बबीता के साथ विनेश को भी पहलवानी के गुर सिखाए. विनेश फोगाट ने भी अपने ताऊ और बहनों को निराश नहीं किया. अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत विनेश ने कॉमनवेल्थ, एशियन, विश्व कुश्ती चैंपियनशीप सहित ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व किया.
विनेश के कोच व ताऊ महाबीर फोगाट का कहना है कि विनेश ने गांव की मिट्टी से इस खेल को शुरू करते हुए अपनी बड़ी बहनों से प्रेरणा लेकर कुश्ती में अपना नाम कमाया है. उसने पांच साल की छोटी उम्र में ही पहलवान बनने का सपना पाल लिया था. महाबीर पहलवान ने विनेश को भारत के लिए खेलों में सोने की चिड़िया बताया और कहा कि विनेश इस बार ओलंपिक में अपना टारगेट पूरा करेगी. वहीं भाई हरविंद्र ने विनेश की इस उपलब्धि को गांव व क्षेत्र के साथ देश की उपलब्धि बताया. विनेश की उपलब्धि पर ग्रामीणों ने परिजनों संग मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाई.
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