ETV Bharat / state

चरखी दादरी: ऐतिहासिक श्यामसर तालाब चढ़ा पानी की भेंट, 40 साल से बना है डंपिंग प्वाइंट - हिंदी न्यूज

ऐतिहासिक धरोहर श्यामसर तालाब कूड़े की भेंट चढ़ रहा हैं. पिछले 40 साल से लोगों ने इसे डंपिंग प्वाइंट बना रखा है. लेकिन प्रशासन इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

श्यामसर तालाब में लगे गंदगी के अंबार
author img

By

Published : Jul 17, 2019, 3:38 PM IST

चरखी दादरी: 1600 ईसवी में बना शहर का ऐतिहासिक श्यामसर तालाब क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है. इस तालाब के चारों ओर करीब दो दर्जन मंदिर बने हुए हैं. लेकिन पिछले 40 साल से यहां के लोगों ने इसमें कूड़ा-कचरा डालकर, इसे डंपिंग प्वाइंट बना दिया है.

क्लिक कर देखें वीडियो

बदहाली के दौर से गुजर रहा श्यामसर तालाब जहां कूड़े की भेंट चढ़ चुका है. वहीं आस-पास बने मंदिर और घरों में दरारें आने से हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि सरकार ने इस तालाब को टूरिस्ट प्लेस बनाने के योजना के इरादे से इसके लिए 24 करोड़ के बजट को मंजूरी भी दी है. लेकिन अभी तक धरताल पर कोई काम नहीं किया गया है.

कब बना था श्यामसर तालाब ?

1600 ईसवी में दादरी के पुराना शहर निवासी सेठ सीताराम ने करीब 16 एकड़ जमीन पर ऐतिहासिक श्यामसर तालाब बनवाया था. इसके चारों तरफ अलग-अलग देवताओं के मंदिर भी बनाए गए थे. यहां पुरुष और महिलाओं के नहाने के लिए अलग-अलग घाट भी बने हुए थे. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां मत्था टेक मन्नतें मांगने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह बदहाली का शिकार हो गया और अब लोग यहां अपने घरों का कूड़ा कचरा डालते हैं. इतना ही नहीं बल्कि बारिश के दौरान शहर से पानी भी इसी तालाब में चला जाता है.

तालाब के आस-पास बने मंदिरों की हालत ऐसी हो चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. यहां के निवासियों का कहना है कि मंदिरों और उनके घरों की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं. पानी खड़ा होने से बड़ा हादसा होने का खतरा उन्हें सता रहा है.

श्रद्धालुओं की इससे जुड़ी भावनाओं के चलते हरियाणा सरकार ने इसके जीर्णोद्धार करने की घोषणा की थी. जिला प्रशासन के सहयोग से ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के प्रयास भी किए गए. लेकिन यह योजना भी अधर में लटकी हुई है. तालाब में गंदा पानी जमा होने के चलते योजना पर कार्य नहीं हो पा रहा है.

चारों तरफ लगेगा लाल रंग का पत्थर

तालाब की तलहटी कच्ची है और वर्षों से पानी जमा रहने के कारण यहां चव्वा बन चुका है, जिससे साफ पानी भी खराब हो जाता है. ऐसे में तालाब से पूरा पानी निकालने के बाद यहां जमीन पर पत्थर लगवाकर उसे पक्का किया जाएगा. वहीं श्यामसर तालाब और उसके चारों तरफ बने मंदिरों के बाहर राजस्थान का लाल पत्थर लगाकर सौंदर्यीकरण किया जाएगा.

गंदे पानी को निकालने काम जल्द होगा शुरू

नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सुन्दर श्योराण ने बताया कि सरकार ने ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और टूरिस्ट प्लेस बनाने के लिए 24 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि मंजूर की है. पानी जमा होने के कारण ऐतिहासिक धरोहर की हालत जर्जर हो चुकी है. जलभराव से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से पानी की निकासी का कार्य शुरू करवाया जाएगा. हालांकि बारिश का मौसम होने के कारण योजना पर कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है.

चरखी दादरी: 1600 ईसवी में बना शहर का ऐतिहासिक श्यामसर तालाब क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है. इस तालाब के चारों ओर करीब दो दर्जन मंदिर बने हुए हैं. लेकिन पिछले 40 साल से यहां के लोगों ने इसमें कूड़ा-कचरा डालकर, इसे डंपिंग प्वाइंट बना दिया है.

क्लिक कर देखें वीडियो

बदहाली के दौर से गुजर रहा श्यामसर तालाब जहां कूड़े की भेंट चढ़ चुका है. वहीं आस-पास बने मंदिर और घरों में दरारें आने से हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि सरकार ने इस तालाब को टूरिस्ट प्लेस बनाने के योजना के इरादे से इसके लिए 24 करोड़ के बजट को मंजूरी भी दी है. लेकिन अभी तक धरताल पर कोई काम नहीं किया गया है.

कब बना था श्यामसर तालाब ?

1600 ईसवी में दादरी के पुराना शहर निवासी सेठ सीताराम ने करीब 16 एकड़ जमीन पर ऐतिहासिक श्यामसर तालाब बनवाया था. इसके चारों तरफ अलग-अलग देवताओं के मंदिर भी बनाए गए थे. यहां पुरुष और महिलाओं के नहाने के लिए अलग-अलग घाट भी बने हुए थे. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां मत्था टेक मन्नतें मांगने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह बदहाली का शिकार हो गया और अब लोग यहां अपने घरों का कूड़ा कचरा डालते हैं. इतना ही नहीं बल्कि बारिश के दौरान शहर से पानी भी इसी तालाब में चला जाता है.

तालाब के आस-पास बने मंदिरों की हालत ऐसी हो चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. यहां के निवासियों का कहना है कि मंदिरों और उनके घरों की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं. पानी खड़ा होने से बड़ा हादसा होने का खतरा उन्हें सता रहा है.

श्रद्धालुओं की इससे जुड़ी भावनाओं के चलते हरियाणा सरकार ने इसके जीर्णोद्धार करने की घोषणा की थी. जिला प्रशासन के सहयोग से ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के प्रयास भी किए गए. लेकिन यह योजना भी अधर में लटकी हुई है. तालाब में गंदा पानी जमा होने के चलते योजना पर कार्य नहीं हो पा रहा है.

चारों तरफ लगेगा लाल रंग का पत्थर

तालाब की तलहटी कच्ची है और वर्षों से पानी जमा रहने के कारण यहां चव्वा बन चुका है, जिससे साफ पानी भी खराब हो जाता है. ऐसे में तालाब से पूरा पानी निकालने के बाद यहां जमीन पर पत्थर लगवाकर उसे पक्का किया जाएगा. वहीं श्यामसर तालाब और उसके चारों तरफ बने मंदिरों के बाहर राजस्थान का लाल पत्थर लगाकर सौंदर्यीकरण किया जाएगा.

गंदे पानी को निकालने काम जल्द होगा शुरू

नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सुन्दर श्योराण ने बताया कि सरकार ने ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और टूरिस्ट प्लेस बनाने के लिए 24 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि मंजूर की है. पानी जमा होने के कारण ऐतिहासिक धरोहर की हालत जर्जर हो चुकी है. जलभराव से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से पानी की निकासी का कार्य शुरू करवाया जाएगा. हालांकि बारिश का मौसम होने के कारण योजना पर कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है.

Intro:ऐतिहासिक धरोहर श्यामसर तालाब पानी की भेंट चढ़ी
40 साल से डंपिंग प्वाइंट बना हुआ है दादरी का श्यामसर तालाब
: 24 करोड़ से कायाकल्प करने की योजना खटाई में
: तालाब के आसपास बने मंदिर व घरों में आई दरारें, बड़ा हादसा होने का खतरा
चरखी दादरी। 1600 ईस्वी में बने शहर के ऐतिहासिक श्यामसर तालाब क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का प्रतिक है। इस तालाब के चारों तरफ करीबन दो दर्जन मंदिर बनाए हुए हैं। करीब 40 साल से लोगों द्वारा इस तालाब में कूड़ा कर्कट डालकर डंपिंग प्वाइंट बना दिया है। बदहाली के दौर से गुजर रहे श्यामसर तालाब जहां पानी की भेंट चढ़ चुका है वहीं आसपास बने मंदिर व घरों में दरारें आने के बाद बड़ा हादसा होने का इंतजार है। हालांकि सरकार द्वारा करीब सवा 24 करोड़ मंजूर करके श्यामसर तालाब को टूरिस्ट प्लेस बनाने की योजना है। हालात ऐसे हैं कि योजना भी खटाई में पड़ती नजर आ रही हैञ Body:सन 1600 ईस्वी में दादरी के पुराना शहर निवासी सेठ सीताराम ने करीब 16 एकड़ जमीन पर ऐतिहासिक श्यामसर तालाब बनवाया था। इसके चारों तरफ अलग-अलग देवताओं के मंदिर भी बनाए गए थे। यहां पुरुष और महिलाओं के नहाने के लिए अलग-अलग घाट भी बने हुए थे। श्रद्धालु दूर-दूर से यहां मत्था टेक मन्नतें मांगने आते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह बदहाली का शिकार हो गया और अब लोग यहां अपने घरों का कूड़ा कर्कट डालते हैं। इतना ही नहीं बल्कि बारिश के दौरान शहर से पहुंचता पानी के कारण तालाब व मंदिरों की हालत ऐसी जर्जर हो चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यहां के निवासियों का कहना है कि मंदिरों व उनके घरों की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं। पानी खड़ा होने से बड़ा हादसा होने का खतरा उन्हें सता रहा है।
श्रद्धालुओं की इससे जुड़ी भावनाओं के चलते हरियाणा सरकार द्वारा इसका जीर्णोद्धार करने की घोषणा की थी। जिला प्रशासन के सहयोग से ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के प्रयास भी किए गए। लेकिन यह योजना भी अधर में लटकी हुई है। तालाब में गंदा पानी जमा होने के चलते योजना पर कार्य नहीं हो पा रहा है।
बाक्स:-
चारों तरफ लगेगा लाल रंग का पत्थर
फिलहाल तालाब की तलहटी कच्ची है और वर्षों से पानी जमा रहने के कारण यहां चव्वा बन चुका है और साफ पानी भी खराब हो जाता है। ऐसे में तालाब को पूरा पानी निकालने के बाद यहां जमीन पर पत्थर लगवा उसे पक्का किया जाएगा। वहीं श्यामसर तालाब व चारों तरफ बने मंदिरों के बाहर राजस्थान का लाल पत्थर लगाकर सौंदर्यीकरण बढ़ाया जाएगा।Conclusion:बाक्स:-
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सुन्दर श्योराण ने बताया कि सरकार द्वारा ऐतिहासिक धरोहर को बचाने व टूरिस्ट पैलेस बनाने के लिए 24 करोड़ 30 लाख रुपए की राशि मंजूर की गई है। ऐतिहासिक धरोहर की हालत पानी जमा होने के कारण जर्जर है। जलभराव से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध करते हुए पानी की निकासी का कार्य शुरू करवाया जाएगा। हालांकि बारिश का मौसम होने के कारण योजना पर कार्य शुरू नहीं किया जा सकता।
विजवल:- 1
ऐतिहासिक धरोहर तालाब में गंदा पानी, जर्जर हो चुके मंदिर, घाट व दिवारें, आसपास के घरों की हालत व ऐतिहासिक धरोहर के कट शाटस
बाईट:- 2
कमला, संतोष व बिट्टू, स्थानीय नागरिक
बाईट:- 3
सुन्दर श्योराण, कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.