चरखी दादरी: 1600 ईसवी में बना शहर का ऐतिहासिक श्यामसर तालाब क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है. इस तालाब के चारों ओर करीब दो दर्जन मंदिर बने हुए हैं. लेकिन पिछले 40 साल से यहां के लोगों ने इसमें कूड़ा-कचरा डालकर, इसे डंपिंग प्वाइंट बना दिया है.
बदहाली के दौर से गुजर रहा श्यामसर तालाब जहां कूड़े की भेंट चढ़ चुका है. वहीं आस-पास बने मंदिर और घरों में दरारें आने से हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि सरकार ने इस तालाब को टूरिस्ट प्लेस बनाने के योजना के इरादे से इसके लिए 24 करोड़ के बजट को मंजूरी भी दी है. लेकिन अभी तक धरताल पर कोई काम नहीं किया गया है.
कब बना था श्यामसर तालाब ?
1600 ईसवी में दादरी के पुराना शहर निवासी सेठ सीताराम ने करीब 16 एकड़ जमीन पर ऐतिहासिक श्यामसर तालाब बनवाया था. इसके चारों तरफ अलग-अलग देवताओं के मंदिर भी बनाए गए थे. यहां पुरुष और महिलाओं के नहाने के लिए अलग-अलग घाट भी बने हुए थे. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां मत्था टेक मन्नतें मांगने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह बदहाली का शिकार हो गया और अब लोग यहां अपने घरों का कूड़ा कचरा डालते हैं. इतना ही नहीं बल्कि बारिश के दौरान शहर से पानी भी इसी तालाब में चला जाता है.
तालाब के आस-पास बने मंदिरों की हालत ऐसी हो चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. यहां के निवासियों का कहना है कि मंदिरों और उनके घरों की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं. पानी खड़ा होने से बड़ा हादसा होने का खतरा उन्हें सता रहा है.
श्रद्धालुओं की इससे जुड़ी भावनाओं के चलते हरियाणा सरकार ने इसके जीर्णोद्धार करने की घोषणा की थी. जिला प्रशासन के सहयोग से ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के प्रयास भी किए गए. लेकिन यह योजना भी अधर में लटकी हुई है. तालाब में गंदा पानी जमा होने के चलते योजना पर कार्य नहीं हो पा रहा है.
चारों तरफ लगेगा लाल रंग का पत्थर
तालाब की तलहटी कच्ची है और वर्षों से पानी जमा रहने के कारण यहां चव्वा बन चुका है, जिससे साफ पानी भी खराब हो जाता है. ऐसे में तालाब से पूरा पानी निकालने के बाद यहां जमीन पर पत्थर लगवाकर उसे पक्का किया जाएगा. वहीं श्यामसर तालाब और उसके चारों तरफ बने मंदिरों के बाहर राजस्थान का लाल पत्थर लगाकर सौंदर्यीकरण किया जाएगा.
गंदे पानी को निकालने काम जल्द होगा शुरू
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सुन्दर श्योराण ने बताया कि सरकार ने ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और टूरिस्ट प्लेस बनाने के लिए 24 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि मंजूर की है. पानी जमा होने के कारण ऐतिहासिक धरोहर की हालत जर्जर हो चुकी है. जलभराव से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से पानी की निकासी का कार्य शुरू करवाया जाएगा. हालांकि बारिश का मौसम होने के कारण योजना पर कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है.