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इंसानियत जरूरी है: गरीब लोगों को ठंड से बचाने लिए कपड़ा बांट रहे रामफल

सर्दी का मौसम अक्सर बे सहारा लोगों के लिए मुसीबत बनकर आता है, लेकिन कुछ लोगों की मेहनत और लग्न इन बे सहारा लोगों के लिए सहारा बन जाती है. ऐसे ही एक सख्स हैं चरखी दादरी के निवासी संजय रामफल. रामफल लोगों के घरों से अतिरिक्त कपड़े लेकर गरीब और बे सहारा लोगों में बांटते हैं.

free cloth donation in charkhi dadri
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Published : Dec 24, 2019, 7:52 PM IST

चरखी दादरी: सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही बे सहारा लोगों की मुसीबत शुरू हो गई. सरकार की ओर से रैन बसेरा और अन्य योजनाओं से लोगों की मदद का दावा किया जाता है लेकिन इसकी हकीकत सड़क किनारे ठंड से ठिठुर बयां कर रहे हैं.

रेलवे स्टेशन, ईंट भट्टों, फुटपाथ, झुग्गियों, बस स्टैंड सहित कई क्षेत्रों में सर्दी में मौसम में आपको ठिठुरते हुए लोग मिल जाएंगे. इसके साथ ही रजाई और कंबल किराए पर देने वालों का बिजनेस भी शुरू हो गया, लेकिन कोई इन्हें गर्म कपड़े दान कर इनकी मदद नहीं करता. अगर इन लोगों के पास इतने ही पैसे होते तो ये लोग खुद नए कपड़े खरीद सकते हैं.

गरीब लोगों को ठंड से बचाने लिए कपड़ा बांट रहे रामफल, देखें वीडियो

चरखी दाददी निवासी संजय रामफल खुशियों की दीवार से एकत्रित किए सामान को सर्दी में जरूरतमंदों को देकर रिश्तों की गर्माहट लाने का काम कर रहा है. करीब दो साल पहले दादरी के जिला न्यायालय परिसर में खुशियों की दीवार अभियान की शुरूआत की थी. साथ ही उन्होंने यहां कपड़ा बैंक चला रखा है. जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत के कपड़े ले जा सकता है.

लोगों को बांट रहे गर्म कपड़े

अब तक हजारों लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कपड़े बांटे जा चुके हैं. अब सर्दी के इस मौसम में संजय अकेले ही टेंपो में एकत्रित सामान को लेकर गरीबों के बीच पहुंचते हैं. जैसे ही वो लोगों की ओर जाने लगते हैं, गरीब लोग टेंपो की ओर दोड़ने लगते हैं. संजय सर्दी मौसम में खुशियां बांट रहे हैं.

गरीबों की हालत देखी तो शुरू किया अभियान

संजय रामफल कहते हैं कि वो मायानगरी मुंबई में काफी सालों तक रहे, गरीबों की हालत देखी तो उन्होंने सेवा करने का अभियान चलाया. न पास पैसे और ना ही साधन हैं फिर भी गरीबों की सेवा का जुनून लिए स्वयं ही गरीबों के बीच पहुंच जाता है. उनकी सेवा करता है.

झुग्गी-झोपड़ी, कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत नहीं होती है. अच्छे कपड़े खरीदने की बात तो दूर घर खर्च चलाना उनके लिए मुश्किल होता है. ऐसे लोगों की मदद के लिए कपड़ा बैंक खोलने का विचार मन में आया, जहां से लोग अपनी पसंद के कपड़े बिना रोक ले जाएं. जो भी अपने कपड़ों को अब नहीं पहनना चाहते, वे यहां आकर कपड़े दे जाएं.

टेंपो में भरकर कपड़े ले जाते हैं

सर्दी का मौसम सुबह 9 बजे का समय, दादरी की झुग्गी झोपड़ी और दलित बस्तियों में रिक्शा या टैंपो लेकर पहुंच जाते हैं. संजय यहां रहने वाले गरीबों को गर्म कपड़े देकर रिश्तों की गर्माहट पैदा कर रहे हैं. कपड़े मिलने पर इन लोगों की आंखों में खुशी झलक दिख रही है.

ये भी पढ़ें:- बड़ा फैसला, NPR पर कैबिनेट की लगी मुहर : सूत्र

झुग्गियों और इंट भट्टों पर रह रहे लोगों का कहना है कि टेंपो वाला भाई उनके लिए देवता समान है. जो इस कडकड़ाती ठंड में रिश्तों की गर्माहट दे रहा है. इस चमचमाती दुनिया में कोई पूछता भी नहीं सब स्वार्थी हैं. ऐसे में जरूरतमंदों की सेवा कर रहे रंगकर्मी संजय के सामने सेवा ही जुनून है.

चरखी दादरी: सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही बे सहारा लोगों की मुसीबत शुरू हो गई. सरकार की ओर से रैन बसेरा और अन्य योजनाओं से लोगों की मदद का दावा किया जाता है लेकिन इसकी हकीकत सड़क किनारे ठंड से ठिठुर बयां कर रहे हैं.

रेलवे स्टेशन, ईंट भट्टों, फुटपाथ, झुग्गियों, बस स्टैंड सहित कई क्षेत्रों में सर्दी में मौसम में आपको ठिठुरते हुए लोग मिल जाएंगे. इसके साथ ही रजाई और कंबल किराए पर देने वालों का बिजनेस भी शुरू हो गया, लेकिन कोई इन्हें गर्म कपड़े दान कर इनकी मदद नहीं करता. अगर इन लोगों के पास इतने ही पैसे होते तो ये लोग खुद नए कपड़े खरीद सकते हैं.

गरीब लोगों को ठंड से बचाने लिए कपड़ा बांट रहे रामफल, देखें वीडियो

चरखी दाददी निवासी संजय रामफल खुशियों की दीवार से एकत्रित किए सामान को सर्दी में जरूरतमंदों को देकर रिश्तों की गर्माहट लाने का काम कर रहा है. करीब दो साल पहले दादरी के जिला न्यायालय परिसर में खुशियों की दीवार अभियान की शुरूआत की थी. साथ ही उन्होंने यहां कपड़ा बैंक चला रखा है. जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत के कपड़े ले जा सकता है.

लोगों को बांट रहे गर्म कपड़े

अब तक हजारों लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कपड़े बांटे जा चुके हैं. अब सर्दी के इस मौसम में संजय अकेले ही टेंपो में एकत्रित सामान को लेकर गरीबों के बीच पहुंचते हैं. जैसे ही वो लोगों की ओर जाने लगते हैं, गरीब लोग टेंपो की ओर दोड़ने लगते हैं. संजय सर्दी मौसम में खुशियां बांट रहे हैं.

गरीबों की हालत देखी तो शुरू किया अभियान

संजय रामफल कहते हैं कि वो मायानगरी मुंबई में काफी सालों तक रहे, गरीबों की हालत देखी तो उन्होंने सेवा करने का अभियान चलाया. न पास पैसे और ना ही साधन हैं फिर भी गरीबों की सेवा का जुनून लिए स्वयं ही गरीबों के बीच पहुंच जाता है. उनकी सेवा करता है.

झुग्गी-झोपड़ी, कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत नहीं होती है. अच्छे कपड़े खरीदने की बात तो दूर घर खर्च चलाना उनके लिए मुश्किल होता है. ऐसे लोगों की मदद के लिए कपड़ा बैंक खोलने का विचार मन में आया, जहां से लोग अपनी पसंद के कपड़े बिना रोक ले जाएं. जो भी अपने कपड़ों को अब नहीं पहनना चाहते, वे यहां आकर कपड़े दे जाएं.

टेंपो में भरकर कपड़े ले जाते हैं

सर्दी का मौसम सुबह 9 बजे का समय, दादरी की झुग्गी झोपड़ी और दलित बस्तियों में रिक्शा या टैंपो लेकर पहुंच जाते हैं. संजय यहां रहने वाले गरीबों को गर्म कपड़े देकर रिश्तों की गर्माहट पैदा कर रहे हैं. कपड़े मिलने पर इन लोगों की आंखों में खुशी झलक दिख रही है.

ये भी पढ़ें:- बड़ा फैसला, NPR पर कैबिनेट की लगी मुहर : सूत्र

झुग्गियों और इंट भट्टों पर रह रहे लोगों का कहना है कि टेंपो वाला भाई उनके लिए देवता समान है. जो इस कडकड़ाती ठंड में रिश्तों की गर्माहट दे रहा है. इस चमचमाती दुनिया में कोई पूछता भी नहीं सब स्वार्थी हैं. ऐसे में जरूरतमंदों की सेवा कर रहे रंगकर्मी संजय के सामने सेवा ही जुनून है.

Intro:सर्दी में जरूरतमंदों को बांट रहे खुशियां:-
आओ, कपड़े पसंद करो और फ्री ले जाओ
: खोलें अपनी खुशियों का पिटारा, सर्द मौसम में बांट रहा खुशियां
: टैंपों में भरकर सर्द कपड़े गरीबों को बांट रहा है संजय रामफल
प्रदीप साहू
चरखी दादरी : सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही बेअसहारा लोगों की मुसीबत शुरू हो गई। रैन बसेरा व अन्य योजनाओं से लोगों की मदद का दावा किया जाता है लेकिन इसकी हकीकत सडक़ किनारे ठंड से ठिठुर रहे ये लोग बयां कर देते हैं। रेलवे स्टेशन, ईंट-भ_ों, फुटपाथ, झुग्गियों, बस स्टैंड सहित कई क्षेत्रों में सर्दी में मौसम में आपको परेशान होते हुए दिख जाएंगे। इसके इतर रजाई और कंबल किराए पर देने वालों का बिजनेस भी शुरू हो गया, लेकिन कोई इन्हें गर्म कपड़े दान कर इनकी मदद नहीं करता।Body:चरखी दादरी निवासी संजय रामफल खुशियों की दीवार से एकत्रित किए सामान को सर्दी में जरूरतमंदों को देकर रिश्तों की गर्माहट लाने का कार्य कर रहा है। करीब दो वर्ष पूर्व दादरी के जिला न्यायालय परिसर में खुशियों की दीवार अभियान की शुरूआत की थी। साथ ही उन्होंने यहां कपड़ा बैंक चला रखा है, जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत के कपड़े ले जा सकता है। अब तक हजारों लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कपड़े बांटे जा चुके हैं। अब सर्दी के इस मौसम में संजय अकेले ही टैंपों, रिक्शा में एकत्रित सामान को लेकर गरीबों के बीच पहुंचते हैं। उनकी जैसे ही खोलें अपनी खुशियों का पिटारा की आवाज सुनती है तो गरीब टैम्पों की ओर दौड़ पड़ते हैं। संजय सर्द मौसम में खुशियां बांट रहे हैं।
बाक्स:-
गरीबों की हालत देखी तो शुरू किया अभियान
रंगकर्मी संजय रामफल कहते हैं कि वह मायानगरी मुम्बई में काफी वर्षों तक रहा है। गरीबों की हालत देखी तो उसने सेवा करने का अभियान चलाया। न पास पैसे और ना ही साधन हैं फिर भी गरीबों की सेवा का जुनून लिए स्वयं ही गरीबों के बीच पहुंच जाता है और उनकी सेवा करता है। संजय कहता है कि झुग्गी झोपड़ी कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत नहीं होती है। अच्छे कपड़े खरीदने की बात तो दूर घर खर्च चलाना उनके लिए मुश्किल होता है। ऐसे लोगों की मदद के लिए कपड़ा बैंक खोलने का विचार मन में आया, जहां से लोग अपनी पसंद के कपड़े बिना रोक ले जाएं। जो भी अपने कपड़ों को अब नहीं पहनना चाहते, वे यहां आकर किसी भी आकार के कपड़े दे जाएं।
बाक्स:-
टैंपो, रिक्शा में भरकर कपड़े ले जाते और बांटते हैं
सर्दी का मौसम सुबह 9 बजे का समय, दादरी की झुग्गी झोपड़ी और दलित बस्तियों में रिक्शा या टैंपो लेकर पहुंच जाते हैं। संजय यहां रहने वाले गरीबों को गर्म कपड़े देकर रिश्तों की गर्माहट पैदा कर रहे हैं। कपड़े मिलने पर इन लोगों की आंखों में खुशी झलक रही थी।Conclusion:बाक्स:-
उनके लिए 'देवताÓ दे रहे हैं गर्माहट
झुग्गियों व ईंट-भ_ों सहित फुटपाथ पर रहने वाले गरीब लोग गर्म कपड़े पाकर काफी खुश हैं। सलीम व पतोसो का कहना है कि टैम्पो वाला भाई उनके लिए देवता समान है। जो इस कडकड़़ाती ठंड में रिश्तों की गर्माहट दे रहा है। इस चमचमाती दुनिया में कोई पूछता भी नहीं सब स्वार्थी हैं। ऐसे में जरूरतमंदों की सेवा कर रहे रंगकर्मी संजय के सामने सेवा ही जुनून है।
विजवल:- 1
टैंपों में कपड़े लेकर ईंट-भ_ों पर पहुंचता, गर्म कपड़े देता, कपड़े लेते गरीब, झुग्गियों में कपड़े बांटते संजय रामफल के कट शाटस
बाईट:- 2
संजय रामफल, सामाजिक कार्यकत्र्ता
बाईट:- 3
सलीम व पतासो, नागरिक
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